'ईमानदारी धन की नहीं, पेशेवराना स्तर पर भी होती है'
'उनकी ज्यादा रुचि केवल सत्ता में बने रहने में थी'स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 13 September 2014 04:02:11 AM
नई दिल्ली। पूर्व नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) विनोदराय ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कटु आलोचना करते हुए कहा है कि ईमानदारी केवल धन की नहीं होती, बल्कि यह बौद्धिक और पेशेवराना स्तर पर भी होती है। विनोदराय ने दावा किया कि कांग्रेस नेताओं ने कैग की ऑडिट रपटों में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नाम को बाहर रखने के लिये दबाव बनाया था। विनोद राय ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व में गठबंधन की राजनीति की भी आलोचना की और कहा कि उनकी ज्यादा रुचि केवल सत्ता में बने रहने में थी।
उल्लेखनीय है कि विनोद राय के कार्यकाल में 2जी स्पेक्ट्रम और कोयला ब्लॉक आवंटन में हुए नुकसान के अनुमानों को लेकर तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार काफी दबाव में आ गई थी। विनोद राय ने कहा कि ईमानदारी केवल वित्तीय मामलों में नहीं देखी जाती, यह बौद्धिक भी होती है और पेशेवराना ईमानदारी भी होती है, आपने संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ ली है, यह महत्वपूर्ण है।
विनोद राय से जब पूछा गया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सोच के बारे में उनकी धारणा क्या है, क्योंकि कई लोग उन्हें बुजुर्ग राजनेता के तौर पर सम्मान देते हैं, जवाब में विनोद राय ने कहा कि आप राष्ट्र को सरकार के अधीन और सरकार को राजनीतिक दलों के गठबंधन के अधीन नहीं रख सकते, उस समय कहा जा रहा था कि अच्छी राजनीति, अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छी होती है, पर क्या अच्छी राजनीति का मतलब सत्ता में बने रहना होता है?
विनोद राय देश के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के तौर पर अपने कार्यकाल पर एक पुस्तक लिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि तत्कालीन संप्रग सरकार ने उनका फोन टैप किया। उनका मानना है कि 2जी दूरसंचार स्पेक्ट्रम आवंटन पहले आओ पहले पाओ के आधार करने तथा कोयला खानों को बिना नीलामी के आवंटित करने के फैसले में मनमोहन सिंह की भी भागीदारी थी।