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'मोदी से मुसलमानों को डरा रही है कांग्रेस व सपा'

'गुजरात के मुसलमान खुशहाल और संपन्न हैं'

कह रहे हैं बाबरी मस्‍जिद मुकद्मे के मुख्‍य वादी हाशिम अंसारी

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Saturday 7 December 2013 04:28:28 AM

hashim ansari

नई दिल्‍ली/अयोध्या। हिंदुस्‍तान की भाषाई समाचार एजेंसी ‘भाषा’ ने कल अयोध्या में राम जन्‍मभूमि पर बाबरी मस्‍जिद के मालिकाना हक का मुकद्मा लड़ रहे सबसे पुराने मुख्‍य वादी मोहम्मद हाशिम अंसारी का एक कथन प्रसारित किया है, जिसमें मोहम्मद हाशिम अंसारी ने कहा बताते हैं कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी मुसलमानों के दिल में नरेंद्र मोदी का खौफ पैदा कर रही है और भाजपा नेता नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने के लिए मुस्लिम समुदाय के समर्थन की जरूरत है। कुछ समय पहले ही दारूल उलूम देवबंद के मुख्‍य कारीधारी मौलाना मदनी ने भी ऐसा ही बयान दिया था, जिसमें उन्‍होंने कहा था कि कांग्रेस देश की जनता में मोदी का भ्‍ाय पैदा कर रही है। यूं तो नरेंद्र मोदी के बारे में मुसलमानों में कुछ सकारात्‍मक परिवर्तन दिखाई पड़ रहा है, मगर इन सहित मोदी को लेकर अनेक मुस्‍लिम नेताओं के द्वीअर्थी बयानों पर संशय कायम है। अधिकांश मुस्‍लिम नेताओं का बाद में ऐसे बयानों और कथन से मुकर जाने का भी इतिहास है, इसलिए दावे से नहीं कहा जा सकता कि उन्‍होंने मीडिया से वास्‍तव में क्‍या कहा और मुस्‍लिम समाज ने इनके बयानों को कितनी तरजीह दी है। फिलहाल देखना होगा कि ये लोग ऐसे मामलों में आगे क्‍या बोलते हैं।
मोहम्मद हाशिम अंसारी ने बाबरी मस्जिद विध्वंस के 21 साल पूरे होने पर भाषा से कहा बताते हैं कि नरेंद्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री बनने के लिए मुस्लिमों के पूरे समर्थन की जरूरत है। मोदी के प्रति अपना सकारात्‍मक रूख प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि गुजरात के मुसलमान खुशहाल और संपन्न हैं। सन् 1959 से बाबरी मस्‍जिद के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हाशिम अंसारी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस मुसलमानों में यह कह कर मोदी का खौफ पैदा कर रही है कि यदि वह प्रधानमंत्री बन जाएंगे तो मुस्‍लिम समुदाय के लिए इसके गंभीर परिणाम होंगे। उन्होंने कहा कि मुसलमान 50 साल से ज्यादा समय से कांग्रेस का समर्थन कर रहे हैं, पर बदले में कांग्रेस ने उन्हें तोहफे के तौर पर सिलसिलेवार सांप्रदायिक दंगे दिए हैं। हाशिम अंसारी ने उत्‍तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार के मुस्लिम मंत्रियों पर भी हमला बोला और मुस्लिम मंत्रियों को ‘शक्तिहीन’ करार दिया है। उनका कहना था कि सपा सरकार में मुस्लिम मंत्री बेजुबान हैं और पार्टी में उनकी कोई हैसियत नहीं है। मोहम्‍मद हाशिम ने आरोप लगाया कि सपा सरकार भी कांग्रेस की राह पर ही चल रही है, जिसने दंगों के जरिए मुस्लिमों को दबाकर रखा हुआ है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार आने के बाद 100 से ज्यादा दंगे हुए हैं। सपा, कांग्रेस की राह पर चल रही है, जिसने दंगे कराकर मुस्लिमों को दबाने का काम किया है।
मोहम्मद हाशिम अंसारी को पहले अच्‍छी तरह से जान लें कि वे केवल अयोध्या में राम जन्‍मभूमि पर बाबरी मस्‍जिद के मालिकाना हक का मुकद्मा लड़ रहे हैं। अयोध्‍या फैजाबाद को छोड़ कर उनकी कोई बड़ी सामाजिक और राजनीतिक हैसियत भी नहीं है, लेकिन उन्‍होंने मुसलमानों से अपनी बात कहने की हिम्‍मत दिखाई है। मोहम्‍मद हाशिम अंसारी के नरेंद्र मोदी पर बयान को मुसलमानों में फिलहाल उतने महत्‍व से नहीं देखा गया है, क्‍योंकि कुछ मुस्‍लिम नेताओं का कहना है कि वे बस बाबरी मस्‍जिद के मुकद्में से जाने जाते हैं और मुस्‍लिम समाज भी राजनीतिक और सामाजिक रूप से इतने फिरकों में बंटा है कि उसे इस्‍लाम के नाम पर ही किसी एक मुद्दे पर बिखरने से रोका जा सकता है, बाकी उन्‍हें एक जगह बैठाना किसी पर शोध से भी बड़ा विषय है। हाशिम अंसारी ने एक बार पहले भी अयोध्‍या में उस स्‍थान पर मंदिर को लेकर बयान दिया था और बाद में मुस्‍लिम सियासत के उनके दरवाजे पहुंचते ही वे बयान से पलट गए थे। इस कारण देश के राष्‍ट्रवादी मुसलमान बड़े ही संशय में दिखते हैं और वे समझ नहीं पाते हैं कि भारत के राजनीतिक परिदृश्‍य में वे अपनी महत्‍वपूर्ण भूमिका के लिए किसके या किनके पीछे चलें और किस प्रकार अपनी भूमिका का निर्वहन करें। भारत में मुस्‍लिम समाज का एक बड़ा तबका ऐसा है, जो विभिन्‍न राजनीतिक दलों के शक्‍तिशाली नेताओं के पीछे चल कर उनमें अपना भविष्‍य तलाश करता है। एक तबका ऐसा है, जो केवल मुस्‍लिम सियासत की हूक पर बिना सोचे विचारे सड़क पर उतर आता है और उसके पीछे जान और माल गंवा बैठता है। यही तबका मतदान में सबसे आगे होता है और उसका वोट इस्‍तेमाल होकर मुस्‍लिम सियासत के मूढ़ों को आबाद करता है।
भारत में 20 करोड़ मुसलमान हैं और उनके ‌‌हितों के गंभीर प्रश्‍न का चिंतन और उसका निष्‍पक्ष उत्‍तर यदि मुसलमान ही दें, तो शायद इन 20 करोड़ भारतीय मुसलमानों को उनकी और ज्‍यादा प्रगति का मार्ग प्रशस्‍त हो। देश के एक राज्‍य में और देश में शासन करना दोनों अलग-अलग प्राथमिकताएं हैं। नरेंद्र मोदी यह बात जाहिर कर चुके हैं कि वह देश में विकास और सबको साथ लेकर चलने का भेद-भाव रहित कार्य करेंगे। देश का ऐसा कौन राजनेता होगा, जो ऐसे अवसर प्राप्‍त होने के बाद भी अपने देश के नागरिकों का विश्‍वास नहीं जीतना चाहेगा? दूसरे, यह सोचने की बात है कि भारत का मुसलमान आज तक अपना लीडर नहीं बना पाया? भारत में आजतक मुस्‍लिम लीडरशिप विकसित नहीं हो पाई। उसे ऐसा नहीं करने के लिए किसने रोका है? मुसलमानों की आज तक दूसरों के पीछे ही चलने की क्‍या मजबूरी है? वह तो इस देश की जागरुक और दूसरी निर्णायक ताकत हैं। स्‍वयं ही अपनी राजनीतिक शक्‍ति की उपेक्षा कौन कर रहा है? हिंदुस्‍तान में मुसलमानों के राष्‍ट्रवाद से कोई इंकार कर सकता है? उनके बिना इस देश के निर्माण और तीज-त्‍योहारों का कोई मतलब नहीं है। इसी कारण दुनिया भारत का लोहा मानती है। सच्‍ची धर्मनिर्पेक्षता इस देश का मूल स्‍वरूप है, जिसे हज़ार मोदी भी नहीं बदल सकते। मोदी यदि राष्‍ट्रवाद और विकास की बात कर रहे हैं, देश में पटेल जैसी धर्मनिर्पेक्षता की बात कर रहे हैं तो क्‍या आप इससे सहमत नहीं हैं? जरा सोचिए ! भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि उसने मुसलमानों के विरोध के लिए मोदी को प्रधानमंत्री का उम्‍मीदवार नहीं बनाया है, आप उनके विरोध के बजाए उनके साथ चलकर सारी आशंकाओं को समाप्‍त कर सकते हैं, ये काम केवल मुसलमान स्‍वयं ही कर सकते हैं, कोई और नहीं। कहने वाले तो कहते हैं कि शायद मोदी राज ही भारत के मुसलमानों के लिए सबसे ज्‍यादा भरोसेमंद विकल्‍प हो सकता है।
भारतीय जनता पार्टी से मुसलमानों को अलग करके चलने की राजनीति इस समय अपने चरम पर है और गैर भाजपाई राजनीतिक दल केवल इसी उलट फेर में उलझे हैं कि मुसलमानों को भाजपा से किस प्रकार से दूर रखा जाए। फैजाबाद के एक जागरूक मुसलमान के रूप में भी मोहम्‍मद हाशिम अंसारी के इस कथन को यदि सही मान लिया जाए कि गुजरात के मुसलमान खुशहाल और संपन्न हैं, तो मोदी को लेकर मुसलमानों में गतिरोध को कौन सी शक्‍तियां हवा दे रही हैं और मुसलमान उन्‍हें क्‍यों नहीं समझ पा रहे हैं? इस सवाल का सीधा सा जवाब मोहम्‍मद हाशिम अंसारी के कथन में ही है। भारतीय जनता पार्टी में राष्‍ट्रीय स्‍तर पर दो मुसलमान लीडर हैं-मुख्‍तार अब्‍बास नकवी और शाहनवाज़ हुसैन। ये दोनों कोई मामूली मुस्‍लिम नेता नहीं हैं, अपितु देश में राष्‍ट्रवाद के ऐसे चेहरे हैं, जिनपर देश का जनमानस गर्व करता है और वे भी पूरी शिद्दत के साथ भाजपा पर होने वाले सांप्रदायिक हमलों का माकूल जवाब देते हैं, उनकी उनके समाज में मान्‍यता और राजनीतिक शक्‍ति को कम करके नहीं देखा जा सकता। उनकी उपयोगिता सर्वविदित है और भारतीय जनता पार्टी में उनका एक श्रेष्‍ठ मुकाम माना जाता है। भारतीय मुसलमानों के सामने यही उदाहरण काफी सशक्‍त है, जो मुसलमानों के सामने समाधान प्रस्‍तुत करता है कि देश में कांग्रेस का क्‍या विकल्‍प है और देश को आज कैसी सरकार की आवश्‍यकता है। यह मुसलमानों को विचार करना होगा कि उन्‍हें तरक्‍की, खुशहाली और भाईचारा चाहिए या वो तनाव और वो दहशत चाहिए जो साठ साल से सत्‍ता में बने रहने के लिए कांग्रेस देती आ रही है, सपा भी दे रही है और मुसलमानों में नरेंद्र मोदी का भय पैदा किया जा रहा है।

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