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'बच्चे देशभक्ति और उच्च आदर्शों से परिपूर्ण हों'

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वीर साहिबजादों को श्रद्धापूर्वक याद किया

मेधावी बाल वीरों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से नवाजा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 26 December 2025 02:57:52 PM

meritorious young heroes were honored with the prime minister's national children's award

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने श्रीगुरु गोविंद सिंहजी के चार साहिबजादों के सर्वोच्च बलिदान की याद में वीर बाल दिवस पर आज वीरता, सामाजिक सेवा, पर्यावरण, खेल, कला संस्कृति और विज्ञान प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धियों केलिए नई दिल्ली में समारोहपूर्वक मेधावी बाल वीरों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्रदान किया। राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं को बधाई दी और कहाकि पुरस्कृत बाल वीरों ने अपने परिवारों, अपने समुदायों और पूरे देश को गौरवांवित किया है। उन्होंने बाल वीरों से कहाकि यह पुरस्कार उन्हें प्रोत्साहन देने केलिए प्रदान किया गया है और विश्वास व्यक्त कियाकि ये पुरस्कार देश के सभी बच्चों को प्रेरित करेंगे।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि लगभग 320 वर्ष पूर्व सिख धर्म के दसवें गुरु और भारतीयों के पूजनीय श्रीगुरु गोविंद सिंहजी और उनके चार साहिबजादों ने सत्य और न्याय केलिए लड़ते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया था। उन्होंने उल्लेख कियाकि दो सबसे छोटे साहिबजादों की वीरता को भारत और विदेश दोनों जगह सम्मानित और सराहा जाता है। उन्होंने सत्य और न्याय केलिए गौरवपूर्वक प्राणों की आहुति देने वाले उन महान बाल नायकों को श्रद्धापूर्वक याद किया। राष्ट्रपति ने कहाकि किसी देश की महानता तभी निश्चित होती है, जब उसके बच्चे देशभक्ति और उच्च आदर्शों से परिपूर्ण हों। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहाकि बच्चों ने वीरता, कला एवं संस्कृति, पर्यावरण, नवाचार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, सामाजिक सेवा और खेल जैसे क्षेत्रों में अपनी असाधारण प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहाकि सात वर्षीय वाका लक्ष्मी प्रग्निका जैसी प्रतिभाशाली बच्चियों के कारण ही भारत को विश्वस्तर पर शतरंज की महाशक्ति माना जाता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि अजय राज और मोहम्मद सिदान पी, जिन्होंने अपनी वीरता और बुद्धिमत्ता से दूसरों की जान बचाई, वे प्रशंसा के पात्र हैं। नौ वर्षीय बेटी व्योमा प्रिया और ग्यारह वर्षीय बहादुर बेटे कमलेश कुमार ने अपने साहस से दूसरों की जान बचाते हुए अपनी जान गंवाई। दस वर्षीय श्रवण सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान युद्ध से जुड़े जोखिमों के बावजूद अपने घर केपास सीमा पर तैनात भारतीय सैनिकों को नियमित रूपसे पानी, दूध और लस्सी पहुंचाई। दिव्यांग बेटी शिवानी होसुरू उप्पारा ने आर्थिक और शारीरिक सीमाओं को पार करते हुए खेल जगत में असाधारण उपलब्धियां हासिल की हैं। वैभव सूर्यवंशी ने क्रिकेट की बेहद प्रतिस्पर्धी और प्रतिभा से भरी दुनिया में अपना नाम कमाया है और कई रिकॉर्ड बनाए हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विश्वास व्यक्त कियाकि उनके जैसे साहसी और प्रतिभाशाली बच्चे आगे भी अच्छा काम करते रहेंगे और भारत के भविष्य को उज्ज्वल बनाएंगे।

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