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संथाली भाषा में अनुवादित भारतीय संविधान

आदिवासी लोगों की बोली जाने वाली सबसे प्राचीन भाषा

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गर्व और प्रशंसा व्यक्त की

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 25 December 2025 03:48:03 PM

president released the constitution of india in the santhali language

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में सुशासन दिवस और पंडित रघुनाथ मुर्मु द्वारा 1925 में ओल चिकी लिपि विकसित किए जाने के शताब्दी वर्ष पर संथाली भाषा में अनुवादित भारतीय संविधान का विमोचन किया है। इसे विधि एवं न्याय मंत्रालय के विधायी विभाग ने पहलीबार प्रकाशित किया है। संथाली भाषा को 2003 के 92वें संविधान संशोधन अधिनियम के माध्यम से संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था। यह भारत की सबसे प्राचीन जीवित भाषाओं में से एक है। यह झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बिहार में बड़ी संख्या में आदिवासी लोगों द्वारा बोली जाती है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इस अवसर पर कहाकि यह सभी संथाली लोगों केलिए गर्व और खुशी की बात हैकि भारत का संविधान अब संथाली भाषा और ओल चिकी लिपि में उपलब्ध है, इससे वे संविधान को अपनी भाषा में पढ़ और समझ सकेंगे। राष्ट्रपति ने कहाकि इसवर्ष हम ओल चिकी लिपि की शताब्दी मना रहे हैं। उन्होंने विधि एवं न्याय मंत्री और उनकी टीम की प्रशंसा की, जिन्होंने शताब्दी वर्ष में भारत के संविधान को ओल चिकी लिपि में प्रकाशित करवाया था। संथाली भाषा में अनुवादित संविधान की प्रति के विमोचन पर उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन, विधि एवं न्याय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुनराम मेघवाल, संथाली भाषी समुदाय के सदस्य और आमंत्रित गणमान्‍य नागरिक मौजूद थे।

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