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Tuesday 29 July 2025 02:47:35 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने आज राष्ट्रीय प्राणी उद्यान नई दिल्ली में आयोजित वैश्विक बाघ दिवस-2025 समारोह को संबोधित करते हुए लोगों में पारिस्थितिक संतुलन, संरक्षण जागरुकता और प्रकृति केप्रति कृतज्ञता के महत्व पर जोर दिया। भूपेंद्र यादव ने वन्यजीव और जैव विविधता के संरक्षण केप्रति खासतौर पर बच्चों एवं युवाओं को जागरुक करने केलिए विद्यालयों और शिक्षकों की प्रशंसा की। वन्यजीव संरक्षण केप्रति सरकार की प्रतिबद्धता का उल्लेख करते हुए भूपेंद्र यादव ने कहाकि भारत में बाघ अभयारण्यों की संख्या वर्ष 2014 में 46 से बढ़कर 58 हो गई है, यह वृद्धि भारत में राष्ट्रीय पशु की सुरक्षा केप्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने बाघ अभयारण्यों में राष्ट्रव्यापी वृक्षारोपण अभियान की शुरुआत की, जिसके 1 लाख से अधिक पौधे लगाए जाएंगे और यह दुनिया में इस तरह के सबसे बड़े अभियानों में से एक होगा। उन्होंने कहाकि प्रत्येक बाघ अभयारण्य में बाघ संरक्षण केलिए आवश्यक पारिस्थितिक आधार को मजबूत करने और आवास बहाली को बढ़ावा देने केलिए बंजर क्षेत्रों में देशी पौधों की प्रजातियों के 2000 पौधे लगाए जाएंगे।
वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने बच्चों और नागरिकों से ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के अंतर्गत अपनी माँ के नाम पर कम से कम एक पौधा लगाने का आग्रह किया, जो मातृशक्ति और धरती मां दोनों केप्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। उन्होंने उद्गार व्यक्त करते हुए कहाकि जैसे हमारी मां हमारा पालनपोषण करती है, वैसेही धरती मां भी करती है, एक पेड़ पक्षियों को आश्रय देता है, बिना मांगे फल देता है और नि:स्वार्थ भाव से ऑक्सीजन प्रदान करता है। भूपेंद्र यादव ने भारत में शुरू किए गए अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट अलायंस की ओरभी ध्यान आकर्षित किया, जिसका उद्देश्य दुनियाभर में पाई जानेवाली सात बड़ी बिल्लियों का संरक्षण करना है। उन्होंने बतायाकि 24 देश पहले ही इस वैश्विक प्रयास में शामिल होने केलिए सहमत हैं, इसका मुख्यालय भारत में होगा। भूपेंद्र यादव ने युवाओं का मिशन लाइफ के अंतर्गत संरक्षण प्रयासों के माध्यम से समाज में योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि हमें यह नहीं भूलना चाहिएकि सच्ची प्रगति प्रकृति केसाथ सामंजस्य बनाए रखने में ही निहित है। उन्होंने कहाकि बाघ जैसा सबसे शक्तिशाली प्राणी भी हमें विनम्रता सिखाता है, यही पारिस्थितिक संतुलन का सार है।
वैश्विक बाघ दिवस समारोह में केंद्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह, अधिकारी, अग्रिम पंक्ति के वन कर्मचारी, वैज्ञानिक, संरक्षणवादी, गैर सरकारी संगठन, छात्र, सामुदायिक प्रतिनिधि और हितधारक समूह भी उपस्थित थे। समारोह का एक विशेष आकर्षण इको-शॉप प्रदर्शनी थी, जिसमें देशभर के विभिन्न बाघ अभयारण्यों की इको-शॉप प्रदर्शित की गईं। इन स्टॉलों पर पश्चिमी घाट और दक्षिणी भूभागों से समुदाय आधारित दीर्घकालिक उत्पादों और पर्यावरण विकास उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला उपलब्ध थी। ये उत्पाद सांस्कृतिक विरासत और पारिस्थितिक उत्तरदायित्व के सम्मिश्रण का प्रतिनिधित्व करते हैं। इको-शॉप प्रदर्शनी संरक्षण और सामुदायिक आजीविका केबीच महत्वपूर्ण संबंधों का उल्लेख करते हुए यह दिखाती हैकि स्थायी उद्यम मॉडल स्थानीय समुदायों को सशक्त बना सकते हैं, वन आश्रित परिवारों को सहायता प्रदान कर सकते हैं तथा बाघों के आवासों पर दबाव कम करके और संघर्ष को कम करके संरक्षण लक्ष्यों में प्रत्यक्ष रूपसे योगदान दे सकते हैं।
समारोह में अरावली परिदृश्य में तीन स्थानों पर वन नर्सरियों का उद्घाटन भी किया गया, जो देशी प्रजातियों का उपयोग करके वनीकरण और दीर्घकालिक पारिस्थितिक अनुकूलता को बढ़ावा देने केलिए एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूपमें काम करेंगी। 'प्लास्टिक मुक्त बाघ अभयारण्य' अभियान का भी शुभारंभ हुआ, जिसका उद्देश्य बाघ अभयारण्यों के भीतर सभी एकल उपयोग वाले प्लास्टिक के उपयोग को समाप्त करना है। चार महत्वपूर्ण प्रकाशनों का अनावरण किया गया, जिनमें से प्रत्येक में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के अंतर्गत भारत के वन्यजीव संरक्षण के अनूठे पहलू पर प्रकाश डाला गया है-‘भारत के बाघ परिदृश्य में छोटी बिल्लियों की स्थिति’ पर रिपोर्ट, स्ट्राइप्स पत्रिका-वैश्विक बाघ दिवस विशेष संस्करण और भरत लाल एवं डॉ एसपी यादव की पुस्तकें-भारत में बाघ अभयारण्यों के झरने और भारत के बाघ अभयारण्यों के अंदर जल निकाय। सात श्रेणियों में एनटीसीए पुरस्कार वितरित किए, जिनमें मरणोपरांत/ कर्तव्यपालन के दौरान जीवन बलिदान, वन्यजीव अपराध का पता लगाना, जांच और अभियोजन, वन्यजीव निगरानी, वन्यजीव आवास प्रबंधन, वन्यजीव संरक्षण और शिकार विरोधी गतिविधियां, जनभागीदारी और पर्यावरण विकास और स्वैच्छिक ग्राम पुनर्वास कार्य प्रमुख हैं। ये समग्र प्रयास जंगलों में बाघों के दीर्घकालिक अस्तित्व को सुनिश्चित करने केलिए पारिस्थितिक अखंडता, सामुदायिक कल्याण और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को आवश्यक तत्वों के रूपमें महत्व देते हैं।