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गृह मंत्रालय की पहल 'साइबर सुरक्षित भारत'

प्रतिबद्धता जताई और लोगों को साइबर खतरों से बचने के सुझाव दिए

एनसीआरपी वेबसाइट www.cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 6 December 2023 02:24:28 PM

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नई दिल्ली। गृह मंत्रालय ने 'साइबर सुरक्षित भारत' पहल की है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में साइबर सुरक्षित भारत का निर्माण करना उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। गृह मंत्रालय ने साइबर अपराध को रोकने और लोगों को साइबर खतरे से बचाने की प्रतिबद्धता जताते हुए नागरिकों को साइबर खतरों से बचने के सुझाव दिए हैंकि वे ऐसे धोखेबाजों द्वारा उपयोग में लाए गए फोन नंबरों और सोशल मीडिया हैंडल के बारेमें तुरंत एनसीआरपी की वेबसाइट www.cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें। गौरतलब हैकि गृह मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4सी) देश में साइबर अपराध से समन्वित और व्यापक तरीके से निपटने केलिए अपने वर्टिकल नेशनल साइबर क्राइम थ्रेट एनालिटिक्स यूनिट (एनसीटीएयू) के माध्यम से पिछले सप्ताह संगठित निवेश/ कार्य आधारित पार्ट टाइम नौकरी देने की धोखाधड़ी में शामिल 100 से अधिक वेबसाइटों की पहचान की और उनपर अंकुश लगाने की सिफारिश की थी।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम-2000 केतहत अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए इन वेबसाइटों को अवरुद्ध कर दिया है। कार्य आधारित/ संगठित अवैध निवेश से संबंधित आर्थिक अपराधों में सहायता प्रदान करने वाली इन वेबसाइटों के बारेमें यह पता चला हैकि इन्हें डिजिटल विज्ञापन, चैट मैसेंजर, म्यूल और रेंटिड खातों का प्रयोग करके विदेशी एजेंट संचालित करते हैं। यहभी पता चलाकि कार्ड नेटवर्क, क्रिप्टो मुद्रा, विदेशी एटीएम निकासियों और अंतर्राष्ट्रीय फिनटेक कंपनियों का उपयोग करके आर्थिक धोखाधड़ी से प्राप्त अवैध धन को भारत से बाहर बड़े पैमाने पर वैध करते हुए (मनीलॉन्ड्रिंग) पाया गया है। इस बारेमें 1930 हेल्पलाइन और एनसीआरपी के माध्यम से कई शिकायतें प्राप्त हुई थीं, ये अपराध नागरिकों केलिए गंभीर खतरा पैदा कररहे थे और इसमें डेटा सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी शामिल थीं।
साइबर धोखाधड़ी में आमतौरपर विदेशी विज्ञापनदाताओं द्वारा कई भाषाओं में घर बैठे नौकरी, घर बैठे कमाई कैसे करें आदि जैसे प्रमुख शब्दों का उपयोग करते हुए गूगल और मेटा जैसे मंचों पर लक्षित डिजिटल विज्ञापन दिए जाते हैं। इनके निशाने पर अधिकतर सेवानिवृत्त कर्मचारी, महिलाएं और पार्टटाइम नौकरी की तलाश कररहे बेरोज़गार युवा रहते हैं। ऐसे विज्ञापनों पर क्लिक करने पर व्हाट्सएप/ टेलीग्राम का उपयोग करने वाला एक एजेंट संभावित पीड़ित व्‍यक्ति केसाथ बातचीत शुरू करता है, जो उसे वीडियो लाइक और सब्सक्राइब, मैप्स रेटिंग आदि जैसे कुछ कार्य करने केलिए तैयार करता है। कार्य पूरा होने पर ऐसे शिकार व्‍यक्ति को शुरू में कुछ कमीशन दिया जाता है और उसे दिए गए कार्य के बदले अधिक लाभ प्राप्त करने केलिए और अधिक निवेश करने केलिए कहा जाता है। विश्वास प्राप्‍त करने केबाद जब वह व्‍यक्ति बड़ी रकम जमा करता है तो जमा राशि जब्तकर ली जाती है और इस तरह वह व्‍यक्ति को धोखाधड़ी का शिकार हो जाता है।
एहतियाती सलाह दी गई हैकि इंटरनेट पर प्रायोजित इस तरह की अधिक से अधिक कमीशन का भुगतान करने वाली ऑनलाइन योजनाओं में निवेश करने से पहले सोच समझकर निर्णय लें। यदि कोई अज्ञात व्यक्ति आपसे व्हाट्सएप या टेलीग्राम पर संपर्क करता है तो उसके साथ बिना उचित सत्यापन के वित्तीय लेनदेन करने से बचें। यूपीआई ऐप में उल्लिखित रिसीवर के नाम का उचित तरीक से सत्‍यापन करें। यदि प्राप्तकर्ता कोई रेंडम व्यक्ति है तो यह एक म्‍यूल खाता हो सकता है और उसकी योजना धोखाधड़ी हो सकती है। इसी तरह उस स्रोत की भी जांच करें, जहां से प्रारंभिक कमीशन प्राप्त हो रहा है। नागरिकों को अज्ञात खातों से लेनदेन करने से बचना चाहिए, क्योंकि ये मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण में शामिल हो सकते हैं और पुलिस द्वारा ऐसे खातों के अवरुद्ध होने और अन्य कानूनी कार्रवाई का भी कारण बन सकते हैं।

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