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पसमांदा मुसलमानों के लिए मोदी की फिक्र

भाजपा व आरएसएस क्या हकीकत में पसमांदाओं की हमदर्द है?

मुसलमान तो दूर उनके बीवी-बच्चे भी शायद ही बीजेपी को वोट दें

Monday 2 October 2023 12:50:52 PM

हिसाम सिद्दीकी

हिसाम सिद्दीकी

pasmanda muslims

मुसलमान वोट एक मुश्त किसी दूसरी पार्टी में जाकर बीजेपी को सियासी नुकसान न पहुंचा सके, इस गरज से पसमांदा यानी पिछड़े मुसलमानों की हमदर्दी के बहाने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गुजिश्ता तीस साल से कोशिश कर रहा है। इस काम पर मोटी रकम भी खर्च की जा रही है, इसके बावजूद अशराफ और रजला मुसलमानों का शोशा छोड़कर फिरकापरस्त ताकतों को कुछभी हासिल नहीं हुआ है। मुसलमान इनके चंगुल में नहीं फंसे और मुत्तहिद होकर बीजेपी के खिलाफ अपनी पसंद की पार्टियों को वोट देते आ रहे हैं। अब वजीर-ए-आजम नरेंद्र मोदी ने पसमांदा मुसलमानों का मामला अपने हाथ में ले लिया है। तकरीबन एक साल पहले तेलंगाना में हुई बीजेपी की नेशनल एक्जीक्यूटिव की मीटिंग में नरेंद्र मोदी ने अपनी पार्टी के लोगों को पसमांदा मुसलमानों तक पहुंच बनाने की हिदायत दी थी। इसबार पंद्रह अगस्त को लालकिले की फसील (प्राचीर) से पीएम मोदी ने एलक्शन मुहिम जैसी तकरीर करते हुए पसमांदा मुसलमानों की फलाह और बहबूद की बात की, क्या भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस हकीकत में पसमांदा मुसलमानों की हमदर्द है?
सियासी हालात पर नज़र डालने से यही जाहिर होता हैकि 2024 के लोकसभा एलक्शन में अपनी शिकस्त से सहमे पीएम मोदी और आरएसएस किसीभी किस्म के मुसलमानों केसाथ कोई हमदर्दी नहीं रखती, बल्कि दुश्मनी का रवैय्या रखती है, जिनका सुबूत बीजेपी की रियासती हुकूमतें आए दिन पेश करती रहती हैं। यह लोग पसमांदा और गैर पसमांदा सभी मुसलमानों पर जुल्म-ज्यादतियां करते हैं। इनकी ज्यादतियों का शिकार वही मुसलमान बनते हैं, जिन्हें पसमांदा कहा जाता है। पैसे या किसी और लालच में कुछ मुसलमान भी अपने जमीर का सौदा करके बीजेपी की इस मुहिम में लग गए हैं। हालांकि यह सारे ऐसे लोग हैं, जिनके कहने से आम मुसलमान तो दूर उनके बीवी-बच्चे भी शायद बीजेपी को वोट नहीं देंगे। वजह यह हैकि बीजेपी मुसलमानों को सिर्फ बेवकूफ बनाती है, जिन प्रदेशों में बीजेपी सरकारें हैं, उनमें मुसलमानों पर हर तरह की ज्यादतियां हो रही हैं। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात, असम, हरियाणा समेत हर बीजेपी सरकार में मुसलमान जुल्म और ज्यादती का निशाना बनाए जारहे हैं। जो लोग उनकी ज्यादतियों का निशाना बन रहे हैं वह सभी पसमांदा मुसलमान हैं। उत्तर प्रदेश में 2017 से बीजेपी की सरकार है मुसलमानों की यह हालत बना दी गई हैकि वह अपने किसीभी मसले को सरकार तक पहुंचाने केलिए धरना और मुजाहिरा तक नहीं कर सकते।
बिकाऊ किस्म के जो मुसलमान पसमांदा मुसलमानों में बीजेपी की पैरवी करते फिर रहे हैं, उन्हें यहभी नहीं दिखताकि 2019 में सीएए और एनआरसी के खिलाफ उत्तर प्रदेश में जो मुजाहिरे हुए थे, उसमें हुई पुलिस फायरिंग में दो दर्जन से ज्यादा नौजवान मुसलमान मारे गए थे, उनमें तीन के अलावा बाकी सब वही थे, जिन्हें पसमांदा कहा जाता है। जिन हजारों लोगों को मुकद्मों में फंसाया गया उनमें भी चंद के अलावा बाकी सभी पसमांदा मुसलमान हैं। क्या यही बीजेपी की पसमांदा मुसलमानों से हमदर्दी है, अगर हमदर्दी है तो मोदी सीएए-एनआरसी के मुकदमे वापस करवाएं। पसमांदा मुसलमानों केसाथ बीजेपी सरकार की ज्यादतियां की फेहरिस्त बहुत लंबी है। इलाहाबाद में पसमांदा लीडर की हैसियत से सात बार असम्बली और एकबार लोकसभा मेम्बर बनने वाले अतीक का क्या हश्र हुआ। हम मानते हैंकि अतीक माफिया सरगना थे, उनके साथ योगी सरकार ने जो कुछ किया उसे किसी हद तक सही कहा जा सकता है, लेकिन अदालती कस्टडी में अतीक के मारे जाने के बावजूद सरकार जिस तरह उनकी बीवी, बहनों, घर की दूसरी औरतों और नाबालिग बच्चों केसाथ कार्रवाइयां करवा रही है, उसका क्या औचित्य है?
उत्तर प्रदेशभर में पसमांदा मुसलमानों से निकलकर जितने भी सियासतदां बने तकरीबन सब पर प्रदेश सरकार का अजाब नाजिल हो रहा है। बरेली के भोजीपुरा असम्बली से मेम्बर असम्बली शहजिल इस्लाम अंसारी बिरादरी के हैं। उनकी एक तकरीर वायरल हो गई तो चंद घंटों के अंदर योगी सरकार ने सालों से चल रहे उनके पेट्रोल पम्प पर बुलडोजर चलवा दिया। कानपुर से सीसामऊ असम्बली हलके से पसमांदा तबके के मेम्बर असम्बली इरफान सोलंकी के खिलाफ उनकी एक पड़ोसन की शिकायत पर सरकार ने इनते मुकद्मे लाद दिएकि वह सालों से जेल में है। उनकी जमानत भी नहीं होने दी जा रही है। प्रदेश सरकार में वजीर और दो-तीन बार मेम्बर असम्बली रहे मेरठ के याकूब कुरैशी और उनके बीवी-बच्चों को दर्जनों मुकदमों में नामजद कर दिया गया, वह फरार हैं तो सरकार ने उनके स्लाटर हाउस, मकान, दुकान सब सीज करा दिया। सहारनपुर में एमएलसी रहे हाजी इकबाल पर योगी सरकार आते ही गैरकानूनी माइनिंग के मुकद्मे दायर हो गए। उन्होंने बच्चों की तालीम केलिए बहुत अच्छी यूनिवर्सिटी बनाई थी। इकबाल फरार हैं, उनके आलीशान महलनुमा मकान पर बुलडोजर चलवा दिया गया। यूनिवर्सिटी और कालेज सब सीज कर दिए गए, जिसमें हजारों बच्चों का मुस्तकबिल भी कैद हो गया। क्या यही है पसमांदा मुसलमानों से मोदी की हमदर्दी?
दूसरी रियासतों में भी पसमांदा मुसलमान ही बीजेपी सरकारों के निशाने पर हैं। दिल्ली में लोकसभा सदस्य प्रवेश वर्मा कईबार एलान कर चुके हैंकि हिंदू अपने इलाके में मुसलमान की दुकान से सब्जी न खरीदें, गोश्त मछली न खरीदें, ठेले पर सब्जी बेचने वाले मुसलमानों को अपने मोहल्ले में आने न दें। अपने इलाके में इनकी रेहड़ियां न लगने दें और मुसलमान बारबर की दुकानों पर बाल न कटवाएं। मुसलमानों का मुकम्मल बायकाट करें। प्रवेश वर्मा जिन मुसलमानों के बायकाट की बात करते हैं, वह सभी पसमांदा हैं। दिल्ली के पड़ोस में हरियाणा में बीजेपी सरकार है, बजरंग दल और वीएचपी ने नूंह में जो कराया वह सबके सामने है। हरियाणा में भी मुसलमानों के बायकाट की मुहिम चल रही है। उत्तर-काशी में पिछले दिनों बजरंग दल और दूसरी हिंदुत्ववादी तंजीमों ने फरमान जारी कर दिया था कि मुसलमान अपनी दुकानें बंद करके उत्तर-काशी से चले जाएं वर्ना अंजाम बुरा होगा। उत्तरकाशी मे जितने भी मुसलमान कारोबार कर रहे हैं वह सब पसमांदा हैं और बिजनौर जिले के रहने वाले हैं। पूरे उत्तराखंड में मुसलमानों के खिलाफ ऐसी ही सरगर्मियां हो रही हैं। कर्नाटक में चंद महीने पहले तक बीजेपी सरकार थी तो हिंदुत्ववादी तंजीमों ने सब्जी और फल बेचने वालों के साथ-साथ हलाल गोश्त की दुकानें तक बंद करवाना शुरू कर दिया था। यह गोश्त और सब्जी फरोश मुसलमान कौन हैं सभी तो पसमांदा हैं।
आसाम के वजीर-ए-आला हेमंत बिस्वा सरमा ने तो असम के हिंदू नौजवानों से यह तक अपील कर डाली कि वह आएं और गुवाहाटी के फुटपाथों पर सब्जी बेचने वालों को भगा दें और खुद यह काम करें। वह इतने काबिल वजीर-ए-आला हैंकि बयान दे दियाकि असम में चूंकि सब्जी का कारोबार मुसलमान ज्यादा करते हैं, इसलिए वह सब्जियों की कीमतें बढ़ाए हुए हैं। अब उनसे कौन पूछेकि अगर असम में मुसलमान सब्जी वाले सब्जी महंगी किए हुए हैं तो दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र समेत पूरे देश में सब्जियां क्यों महंगी हैं। उसके लिए जिम्मेदार कौन है? वह जिन सब्जी वालों के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे, वह सबभी तो पसमांदा ही हैं। मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र जहां बीजेपी की मिलीजुली सरकार है, वहां भी मुस्लिम कारोबारियों के खिलाफ तरह-तरह की मुहिम चलती रहती है। देश के किसीभी प्रदेश में मुसलमानों के खिलाफ होने वाली ज्यादतियां पर वजीर-ए-आजम नरेंद्र मोदी कभी कुछ नहीं बोलते, फिर उन्होने लाल किले से किन पसमांदा मुसलमानों को आगे बढ़ाने की बात की और किनके लिए फिक्र जाहिर की, उन्हें तो पूरे देश की खबर है।
असम के मुस्लिम दुश्मन चीफ मिनिस्टर हेमंत बिस्वा सरमा ने सरकारी और गैर सरकारी बेश्तर (अधिकांश) मदरसे बंद करा दिए बड़ी तादाद में मदरसों पर बुलडोजर चलवा दिया क्या पीएम मोदी को इस बात का अंदाजा नहीं है कि मदरसे में पढ़ने वाले बच्चे पसमांदा मुसलमानें के ही बच्चे हैं। मुस्लिम बच्चे तालीम के मैदान में वैसे भी काफी पीछे हैं। मदरसों के जरिए उन्हें तालीम मिल रही थी, वह भी बंद करा दी तो वह बच्चे आखिर क्या बनेंगे? बीजेपी सरकारों वाली रियासतों मे पसमांदा मुसलमानों पर हो रहे जुल्म और ज्यादतियों के खिलाफ अगर पीएम मोदी एक बार भी बोले होते तब भी समझा जा सकता था कि वह पसमांदा मुसलमानों के हमदर्द है, लेकिन वह तो पूरी तरह खामोश हैं फिर हमदर्दी की बातें क्यों? (यह पोस्ट वरिष्ठ पत्रकार हिसाम सिद्दीकी की फेसबुक पोस्ट से साभार है, जिसमें उनके अपने विचार हैं)।

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