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प्रधानमंत्री ने किया अयोध्या में श्रीराम का अभिषेक

विश्व के लिए अनुकरणीय हैं श्रीराम के दर्शन और नैतिक मूल्य-मोदी

त्रेतायुग की भव्यता से परालौकिक हुई भगवान श्रीराम की अयोध्या

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Monday 24 October 2022 01:12:23 PM

pm performs darshan and pooja of bhagwan shree ramlala virajmanin

अयोध्या। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीपावली की पूर्व संध्या पर अयोध्या में भगवान श्रीरामलला विराजमान के दर्शन पूजाअर्चन और प्रतीकस्वरूप अयोध्या के राजा राजारामचंद्र का राज्याभिषेक किया। प्रधानमंत्री ने सरयू नदी के न्यू घाट पर आरती में हिस्सा लिया, संतों से मुलाकात की और रामकथा पार्क में विशाल जनसभा को भी संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि श्रीरामलला के दर्शन और उसके बाद राजाराम के अभिषेक का यह सौभाग्य रामजी की कृपा सेही मिलता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि जब श्रीराम का दर्शन होता है तो हमारे भीतर भगवान श्रीराम के आदर्श एवं नैतिक मूल्य और भी दृढ़ हो जाते हैं, अयोध्या के कण-कण में हम उनके दर्शन को देखते हैं और श्रीराम के अभिषेक केसाथ ही उनका दिखाया मार्ग और प्रदीप्त हो उठता है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि अयोध्या की श्रीराम की लीलाओं, सरयू आरती, दीपोत्सव और रामायण पर शोध एवं अध्ययन के माध्यम से यह दर्शन पूरे विश्व में फैल रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि इसबार दीपावली एक ऐसे समय में आई है, जब हमने कुछ समय पहलेही आजादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं, हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, इस अमृतकाल में भगवान श्रीराम जैसी संकल्पशक्ति देशको नई ऊंचाई पर ले जा रही है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भगवान श्रीराम ने अपने वचन, विचारों, शासन प्रशासन में जिन मूल्यों को गढ़ा, वह सबका साथ सबका विकास केलिए प्रेरणा हैं और सबका विश्वास सबका प्रयास का आधार है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हर भारतीय केलिए भगवान श्रीराम के सिद्धांत एक विकसित भारत की आकांक्षाएं हैं, यह एक प्रकाशस्तंभ की तरह हैं, जो सबसे कठिन लक्ष्यों को प्राप्त करने की प्रेरणा संकल्प एवं मार्ग प्रदान करते हैं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि लालकिले से उन्होंने देशवासियों से पंच प्रणों को आत्मसात करने का आह्वान किया है, इन पंच प्रणों की ऊर्जा जिस एक तत्व से जुड़ी हुई है, वह है-भारत के नागरिकों का कर्तव्य। उन्होंने कहाकि अयोध्या नगरी में दीपोत्सव पर हमें अपने संकल्प को दोहराना है, श्रीराम से सीखना है। प्रधानमंत्री ने कहाकि मर्यादा, मान रखना सिखाती है और मान देना भी और मर्यादा, जिस बोध की आग्रही होती है, वह कर्तव्य हीहै।
भगवान श्रीराम को कर्तव्यों का सजीव अवतार बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि अपनी सभी भूमिकाओं में श्रीराम ने हमेशा अपने कर्तव्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी, उन्होंने किसीको पीछे नहीं छोड़ा, कर्तव्यभावना से मुख नहीं मोड़ा, इसलिए श्रीराम भारत की उस भावना के आदर्श प्रतीक हैं, जो मानती हैकि हमारे अधिकार हमारे कर्तव्यों से स्वयं सिद्ध हो जाते हैं। प्रधानमंत्री ने बतायाकि हमारे संविधान की जिस मूलप्रति पर भगवान श्रीराम, मां सीता और लक्ष्मण का चित्र अंकित है, संविधान का वह पृष्ठ भी मौलिक अधिकारों की बात करता है। उन्होंने कहाकि जहां एकओर संविधान मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है, वहीं भगवान श्रीराम के रूपमें कर्तव्यों की शाश्वत सांस्कृतिक समझ भी है। प्रधानमंत्री ने अपनी विरासत पर गर्व करने और गुलाम मानसिकता का त्याग करने में 'पंच प्रण' का जिक्र करते हुए कहाकि आजादी के अमृतकाल में देशने अपनी विरासत पर गर्व और गुलामी की मानसिकता से मुक्ति का आह्वान किया है, यह प्रेरणा भी हमें प्रभु श्रीराम से मिलती है, श्रीराम ने भी मां और मातृभूमि को स्वर्ग सेभी ऊपर रखकर इस रास्ते पर हमारा मार्गदर्शन किया।
अयोध्या में श्रीराम मंदिर, काशी में बाबा विश्वनाथ, उत्तराखंड में केदारनाथ और उज्जैन में श्रीमहाकाल महालोक का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि सरकार ने श्रीराम मंदिर और काशी विश्वनाथ धाम से लेकर केदारनाथ और श्रीमहाकाल महालोक तक घनघोर उपेक्षा के शिकार हमारी आस्था के दिव्य एवं देवस्थानों के गौरव को पुनर्जीवित किया है, उन पूजा स्थलों का कायाकल्प किया है, जो भारत के गौरव का हिस्सा हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि एक समय तो ऐसा भी आया, जब श्रीराम के बारेमें हमारी संस्कृति और सभ्यता के बारेमें बात करने तकसे बचा जाता था, इसी देशमें श्रीराम के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाए जाते थे। उन्होंने कहाकि हमने हीनभावना की बेड़ियों को तोड़ा है और इन आठ वर्ष में भारत के तीर्थों के विकास की समग्र सोच को सामने रखा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि अयोध्या में हजारों करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर काम चल रहा है, सड़कों के विकास से लेकर घाटों और चौराहों के सौंदर्यीकरण, नए रेलवे स्टेशन और एक विश्वस्तरीय हवाई अड्डे जैसे बुनियादी ढांचे में सुधार, पूरे क्षेत्रमें कनेक्टिविटी और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन से अत्यधिक लाभ मिलेगा, रामायण सर्किट के विकास केलिए काम चल ही रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांस्कृतिक कायाकल्प के सामाजिक और अंतर्राष्ट्रीय आयामों की चर्चा की और कहाकि श्रृंगवेरपुर धाम में निषादराज पार्क विकसित किया जा रहा है, जिसमें भगवान श्रीराम और निषादराज गुहु की 51 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा लगेगी। प्रधानमंत्री ने कहाकि राजा गुहु की प्रतिमा रामायण के सर्वसमावेशी के संदेश का प्रचार करेगी, जो हमें समानता और सद्भाव के संकल्प से जोड़ता है। अयोध्या में 'क्वीन हीओ मेमोरियल पार्क' के विकास के बारेमें प्रधानमंत्री ने कहाकि यह पार्क भारत और दक्षिण कोरिया के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने के माध्यम के रूपमें कार्य करेगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि आध्यात्मिक पर्यटन के मामले में रामायण एक्सप्रेस ट्रेन सही दिशामें उठाया गया एक कदम है। उन्होंने कहाकि चाहे चारधाम परियोजना हो, बुद्ध सर्किट हो या प्रसाद योजना केतहत विकास परियोजनाएं, यह सांस्कृतिक कायाकल्प नए भारत के समग्र विकास का श्रीगणेश है। प्रधानमंत्री ने कहाकि अयोध्या भारत की महान सांस्कृतिक विरासत का प्रतिबिंब है और भगवान श्रीराम के आदर्शों पर चलना हम सभी भारतीयों का कर्तव्य है।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि श्रीराम भलेही अयोध्या के राजकुमार और राजा थे, लेकिन आराध्य वह पूरे देशके हैं, उनकी प्रेरणा, उनकी तप-तपस्या, उनका दिखाया मार्ग हरएक देशवासी केलिए है। उन्होंने कहाकि हमें उनके आदर्शों को निरंतर जीना है और उन्हें जीवन में उतारना है। प्रधानमंत्री ने अयोध्या के लोगों को इस पवित्र शहर में सभी का स्वागत करने और इसे साफ रखने के अपने दोहरे कर्तव्यों के बारेमें याद दिलाते हुए कहाकि अयोध्या की पहचान एक 'कर्तव्य नगरी' के रूपमें विकसित होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र स्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने मंदिर स्थल पर पवित्र परियोजना से जुड़े श्रमजीवियों तथा अन्य लोगों से भी बातचीत की। प्रधानमंत्री ने भव्य दीपोत्सव समारोह की शुरुआत की। उन्होंने भव्य म्यूजिकल लेज़र शो केसाथ-साथ सरयू नदी के तटपर राम की पैड़ी में 3-डी होलोग्राफिक प्रोजेक्शन मैपिंग शो देखा। प्रधानमंत्री ने भगवान श्रीराम की भूरि-भूरि प्रशंसा की और कहाकि अयोध्या नगरी दीपों से दिव्य और भावनाओं से भव्य है, अयोध्या नगरी भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण के स्वर्णिम अध्याय का प्रतिबिंब है। प्रधानमंत्री ने कहाकि जबवे पहले यहां राज्यभिषेक केलिए आए थे तो उनके अंदर भावनाओं की लहरें दौड़ रही थीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या के अतीत की कल्पना करते हुए कहाकि जब भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास केबाद लौटे होंगे तो अयोध्या को किसप्रकार सजाया गया होगा और आज इस अमृतकाल में भगवान श्रीराम के आशीर्वाद से हम अयोध्या की दिव्यता और अमरता के साक्षी बन रहे हैं। उन्होंने कहाकि हम उन परंपराओं और संस्कृतियों के वाहक हैं, जिनमें त्योहार और उत्सव लोगों के जीवन का एक स्वाभाविक हिस्सा हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि हर सत्य की जीत और हर झूंठ की हार पर मानवता का संदेश जिंदा रखने में भारत का कोई मुकाबला नहीं है। उन्होंने कहाकि दीपावली के ये दीपक भारत के आदर्शों, मूल्यों और दर्शन के जीवंत ऊर्जापुंज हैं, ज्योतियों की जगमग और प्रकाश का ये प्रभाव भारत के मूल मंत्र-'सत्यमेव जयते' की उद्घोषणा है। नरेंद्र मोदी ने भौतिक दीपक में चेतन ऊर्जा पर प्रकाश डालते हुए और ऋषियों को उद्धृत करते हुए कहाकि दीपज्योतिः परब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दनः अर्थात दीपक का प्रकाश ब्रह्मा का ही रूप है और अपने इस विश्वास को दोहरायाकि ये आध्यात्मिक प्रकाश भारत को प्रगति और उत्थान के मार्ग पर ले जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोस्वामी तुलसीदास के रामचरित मानस की चौपाई जगत प्रकास्य प्रकासक रामू का उसके अर्थ के साथ उल्लेख करते हुए कहाकि भगवान श्रीराम पूरी दुनिया के प्रकाश के दाता हैं और सकल विश्व केलिए एक प्रकाशस्तंभ की तरह हैं। प्रधानमंत्री ने दीयों के बारेमें अपनी कविता 'दीया' की कुछ पंक्तियों का पाठ किया, जिसे उन्होंने कई साल पहले गुजराती में लिखा था। उन्होंने कविता का अर्थ समझाया जो कुछ यूं हैकि दीपक आशा और ऊष्मा, अग्नि और आराम देता है, भलेही हरकोई उगते सूरज की पूजा करता है, परंतु ये दीया ही है, जो सबसे अंधेरी रात में हमारा साथ देता है। उन्होंने कहाकि लोगों के मनमें समर्पण की भावना लातेहुए अंधकार को दूर करने केलिए दीपक स्वयं जलता है। प्रधानमंत्री ने रेखांकित कियाकि जबहम स्वार्थ से ऊपर उठते हैं तो सर्वसमावेशन का संकल्प स्वतः ही इसमे समा जाता है। उन्होंने कहाकि जब हमारे विचार साकार हो जाते हैं तो हम कहते हैंकि ये उपलब्धि मेरेलिए नहीं है, बल्कि ये मानवजाति के कल्याण केलिए है, दीप से दीपावली तक यही भारत का दर्शन है, यही भारत का विचार है और भारत की सनातन संस्कृति है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भलेही भारत ने मध्यकाल और आधुनिककाल तक कितने ही अंधकारमय युगों का सामना किया है, लेकिन देशवासियों ने कभीभी दीप जलाना बंद नहीं किया और विश्वास करना कभी नहीं छोड़ा। उन्होंने याद कियाकि कोरोना की मुश्किलों के दौरान हर भारतीय एक समान भावना केसाथ दीया लेकर खड़ा हुआ था, सारी दुनिया इस महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई की गवाह है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत अतीत में हर अंधेरे से बाहर आया है और उसने प्रगति के पथ पर अपनी शक्ति का प्रकाश फैलाया है। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, महंत नृत्य गोपालदास महाराज, साधु-संत, देश-विदेश के श्रद्धालु और बड़ी संख्या में अयोध्यावासी उपस्थित थे।

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