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रक्षा मंत्रालय का बीडीएल के साथ अनुबंध

वायुसेना-नौसेना केलिए खरीदे जाएंगे 2,971 करोड़ के उपकरण

आयातित मिसाइल प्रणालियों से बेहतर आत्मनिर्भरता के लिए करार

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 1 June 2022 04:08:10 PM

ministry of defence has signed contract with bharat dynamics limited

नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय ने आत्मनिर्भर भारत के विज़न को बढ़ावा देते हुए भारतीय वायुसेना और नौसेना केलिए खरीदे श्रेणी केतहत 2,971 करोड़ रुपये की लागत से एस्ट्रा एमके-आई बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर टू एयर मिसाइल और संबंधित उपकरण की आपूर्ति केलिए भारत डायनेमिक्स लिमिटेड यानी बीडीएल केसाथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। अभीतक इस श्रेणी की मिसाइल को स्वदेशी रूपसे बनाने की तकनीक उपलब्ध नहीं थी। एस्ट्रा एमके-आई बीवीआर एएएम को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने स्वदेशी रूपसे डिजाइन और विकसित किया है, जो विदेशी स्रोतों पर निर्भरता कम करते हुए बियॉन्ड विजुअल रेंज केसाथ-साथ क्लोज कॉम्बैट एंगेजमेंट केलिए भारतीय वायुसेना की जारी की गई स्टाफ आवश्यकताओं पर आधारित है।
बीवीआर क्षमता के साथ हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल अपने लड़ाकू विमानों को बड़ी स्टैंड ऑफ रेंज प्रदान करती है, जो दुश्मन के वायु रक्षा उपायों के सामने खुद को उजागर किए बिना शत्रु दल के विमानों को बेअसर कर सकती है। इससे हवाई क्षेत्र में श्रेष्ठता प्राप्त होती है और यह बनी रहती है। यह मिसाइल तकनीकी और आर्थिक रूपसे ऐसी कई आयातित मिसाइल प्रणालियों से बेहतर है। एस्ट्रा एमके-आई मिसाइल और इसके प्रक्षेपण जमीनी तैयारी तथा परीक्षण केलिए सभी संबद्ध प्रणालियों को डीआरडीओ ने आईएएफ के समन्वय से विकसित किया है। यह मिसाइल, जिसके लिए आईएएफ ने पहले ही सफल परीक्षण पूरे कर लिए हैं, पूरी तरह से सु 30 एमके-आई लड़ाकू विमान में एकीकृत है और हल्के लड़ाकू विमान (तेजस) सहित चरणबद्ध तरीके से अन्य लड़ाकू विमानों केसाथ इसे जोड़ा जाएगा। भारतीय नौसेना मिग 29के लड़ाकू विमान में इस मिसाइल को जोड़ेगी।
एस्ट्रा एमके-आई मिसाइल और सभी संबद्ध प्रणालियों के उत्पादन केलिए डीआरडीओ से बीडीएल को प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण पूरा कर लिया गया है और बीडीएल में उत्पादन प्रगति पर है। यह परियोजना बीडीएल में बुनियादी ढांचे और परीक्षण सुविधाओं के विकास केलिए उत्प्रेरक के रूपमें कार्य करेगी। यह एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में कम से कम 25 वर्ष की अवधि केलिए कई एमएसएमई केलिए अवसर भी पैदा करेगी। रक्षा मंत्रालय ने कहा हैकि यह परियोजना अनिवार्य रूपसे आत्मनिर्भर भारत की भावना का प्रतीक है और हवा से हवा में मार करने वाले मिसाइल क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में देश की यात्रा को साकार करने में मदद करेगी।

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