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पंडित बिरजू महाराज नहीं रहे!

कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति-प्रधानमंत्री

'विश्वमें भारतीय नृत्य कला को विशिष्ट पहचान दिलाई'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 17 January 2022 03:26:20 PM

pandit birju maharaj

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पद्म विभूषण से सम्मानित महान कत्थक नृत्य कलाकार पंडित बिरजू महाराज के निधन पर शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री ने कहा हैकि उनका निधन पूरे विश्व केलिए अपूरणीय क्षति है। एक ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहाकि भारतीय नृत्य कला को विश्वभर में विशिष्ट पहचान दिलाने वाले पंडित बिरजू महाराज के निधन से अत्यंत दुख हुआ है, उनका जाना संपूर्ण कला जगत केलिए एक अपूरणीय क्षति है, शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों केसाथ हैं। ओम शांति! वे 83 वर्ष के थे। बिरजू महाराज के पोते स्वरांश मिश्रा ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए उनके निधन की जानकारी दी। कला-संस्कृति, फिल्म और राजनीतिक जगत की हस्तियों ने भी पंडित बिरजू महाराज के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
गौरतलब हैकि पंडित बिरजू महाराज ने भारतीय कला और संस्कृति को कत्थक नृत्य केजरिए देश-विदेश में पहुंचाया और बहुत ख्याति दिलाई। उनका पूरा नाम पंडित बृजमोहन मिश्र है। वे शास्त्रीय कत्थक नृत्य के लखनऊ कालिका बिंदादिन घराने के अग्रणी नर्तक थे। वे कत्थक नर्तकों के महाराज परिवार के वंशज थे, जिसमें अन्य प्रमुख विभूतियों में इनके दो चाचा शंभु महाराज एवं लच्छू महाराज और तथा इनके स्वयं के पिता एवं गुरु अच्छन महाराज भी आते हैं। हालांकि इनका प्रथम जुड़ाव नृत्य से ही है तथा ये अच्छे शास्त्रीय गायक भी थे। इन्होंने कत्थक नृत्य में नए आयाम नृत्य नाटिकाओं को जोड़कर उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। कत्थक हेतु 'कलाश्रम' की भी स्थापना की, इसके अलावा विश्वपर्यंत भ्रमण कर सहस्रों नृत्य कार्यक्रम केसाथ-साथ कत्थक शिक्षार्थियों केलिए सैंकड़ों कार्यशालाएं भी आयोजित की हैं।
पंडित बिरजू महाराज पद्म विभूषण, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और कालिदास सम्मान से नवाजा जा चुके हैं। बिरजू महाराज का जन्म कत्थक नृत्य केलिए प्रसिद्ध जगन्नाथ महाराज के घर हुआ था, जिन्हें लखनऊ घराने के अच्छन महाराज कहा जाता था, ये रायगढ़ रजवाड़े में दरबारी नर्तक हुआ करते थे। इनको प्रशिक्षण उनके चाचा लच्छू महाराज एवं शंभु महाराज से प्राप्त हुआ। बिरजू महाराज ने मात्र तेरह वर्ष की आयु में ही नई दिल्ली के संगीत भारती में नृत्य की शिक्षा प्रारंभ कर दी थी, उसके बाद दिल्ली में ही भारतीय कला केंद्र में शुरूआत की। कुछ समय बाद इन्होंने कत्थक केंद्र संगीत नाटक अकादमी की एक इकाई में शिक्षण कार्य शुरू किया, यहां ये संकाय अध्यक्ष थे और निदेशक भी रहे। इसके बाद कलाश्रम नामसे दिल्ली में ही एक नाट्य विद्यालय भी खोला। इन्होंने कई हिंदी फ़िल्मों में भी कत्थक नृत्य के अद्भुत और मनमोहक संयोजन किए हैं।

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