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वाराणसी में तीन दिवसीय 'काशी उत्सव'

काशी की प्रतिष्ठित पुरातन विरासत व संस्कृति का उत्सव

सदियों पुराने कवियों और लेखकों पर केंद्रित है आयोजन

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Monday 15 November 2021 01:21:01 PM

three-day 'kashi utsav' in varanasi

वाराणसी। काशी की प्रतिष्ठित और पुरातन विरासत तथा संस्कृति का उत्सव मनाने केलिए वाराणसी में तीन दिवसीय कार्यक्रम 'काशी उत्सव' का आयोजन गोस्वामी तुलसीदास, संत कबीर, संत रैदास, भारतेंदु हरिश्चंद्र, मुंशी प्रेमचंद और जयशंकर प्रसाद जैसे सदियों पुराने कवियों तथा लेखकों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसका आयोजन वाराणसी के रुद्राक्ष अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं कन्वेंशन सेंटर में 16 से 18 नवंबर 2021 तक किया जाएगा। भारत सरकार की पहल पर प्रगतिशील भारत के 75 वर्ष पूरेहोने का उत्सव मनाने केलिए आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत उत्तर प्रदेश सरकार वाराणसी प्रशासन के सहयोग से भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की ओर से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र इसकी मेजबानी कर रहा है।
वाराणसी या काशी को इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और शानदार इतिहास तथा देदीप्यमान सुंदरता केकारण इस महोत्सव केलिए चुना गया है। भारत की सबसे लंबी नदी गंगा काशी से होकर बहती है और इस आयोजन केलिए चुनी गई छह दिग्गज हस्तियों, शहर के कलाकारों, विद्वानों तथा लेखकों केलिए यह प्रेरणा का स्रोत है। यह उत्सव काशी के प्रतिष्ठित गौरव को सामने रखने में मदद करेगा, जो हरेक समयकाल की पौराणिकता को जन्म देता है। उत्सव के प्रत्येक दिन केलिए एक विषय निर्धारित किया गया है और ये हैं-'काशी के हस्ताक्षर', 'कबीर, रैदास की बानी और निर्गुण काशी' तथा 'कविता और कहानी-काशी की जुबानी'। कार्यक्रम का पहला दिन प्रख्यात साहित्यकारों, भारतेंदु हरिश्चंद्र और जयशंकर प्रसाद पर केंद्रित होगा। दूसरे दिन प्रमुख कवि संत रैदास और संत कबीर दास पर प्रकाश डाला जाएगा, उत्सव के अंतिम दिन गोस्वामी तुलसीदास और मुंशी प्रेमचंद केंद्र बिंदु के रूपमें होंगे।
काशी उत्सव पैनल चर्चा, प्रदर्शनियों, फिल्म स्क्रीनिंग, संगीत, नाटक और नृत्य प्रदर्शन के माध्यम से काशी के इन व्यक्तित्वों को प्रमुखता देगा। नामी कलाकार कार्यक्रम में प्रस्तुति देंगे। डॉ कुमार विश्वास 16 नवंबर 2021 को 'मैं काशी हूं' विषय पर कार्य्रक्रम प्रस्तुत करेंगे, जबकि सदस्य संसद मनोज तिवारी महोत्सव के अंतिम दिन 'तुलसी की काशी' पर संगीतमय प्रस्तुति देंगे। उत्सव के दौरान कलापिनी कोमकली, भुवनेश कोमकली, पद्मश्री से सम्मानित भारती बंधु और मैथिली ठाकुर जैसे कलाकार भी भक्तिमय कार्य्रक्रम प्रस्तुत करेंगे। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के कलाकार रानी लक्ष्मीबाई पर एक नाटक 'खूब लड़ी मर्दानी' प्रस्तुत करेंगे, जिसे 18 नवंबर को एनएसडी की भारती शर्मा निर्देशित करेंगी। जयशंकर प्रसाद के महाकाव्य 'कामायनी: डांस ड्रामा' पर 16 नवंबर को नाट्य प्रस्तुति दी जाएगी, जिसका निर्देशन वाराणसी के व्योमेश शुक्ल करेंगे।
महोत्सव में वाराणसी पर आईजीएनसीए की फिल्मों को भी शामिल किया गया है, ये फ़िल्में हैं-वीरेंद्र मिश्रा की 'बनारस एक सांस्कृतिक प्रयोग', पंकज पाराशर निर्देशित 'मेरी नज़र में काशी' और 'मनभवन काशी', दीपक चतुर्वेदी की 'काशी पवित्र भुगोल', सत्यप्रकाश उपाध्याय की 'मेड इन बनारस', राधिका चंद्रशेखर की 'काशी गंगा विश्वेश्वरै' और 'मुक्तिधाम', अर्जुन पांडे की 'काशी की ऐतिहसिकता' और 'काशी की हस्तियां'। महोत्सव में पुस्तकों तथा छह साहित्यिक हस्तियों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी, जिनके विषय आईजीएनसीए और साहित्य अकादमी नई दिल्ली ने तैयार और निर्धारित किए हैं। काशी के छह प्रकाशकों पर पैनल चर्चा में वक्ता भाग लेंगे और वे इस प्रकार से हैं-डॉ सच्चिदानंद जोशी, प्रोफेसर मारुति नंदन तिवारी, वीरेंद्र मिश्रा, प्रोफेसर निरंजन कुमार, अनंत विजय, प्रोफेसर पूनम कुमारी सिंह, प्रोफेसर विशंभरनाथ मिश्रा, डॉ सदानंद शाही और डॉ उदय प्रताप सिंह।
आईजीएनसीए काशी उत्सव को भारत के लोगों को समर्पित करना चाहता है, जिसमें प्रत्येक भारतीय की भूमिका है और उसने राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, चाहे फिर वह सांस्कृतिक, आर्थिक या सामाजिक रूपसे इसमें शामिल हों। आईजीएनसीए न केवल राष्ट्र के गौरवशाली अतीत को प्रदर्शित कर रहा है, बल्कि यह जागरुकता भी पैदा कर रहा हैकि भारत और भारतीयों में आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने की अत्यधिक समाहित क्षमता है। गौरतलब हैकि गायक डॉ कुमार विश्वास की मैं काशी हूं और मनोज तिवारी के तुलसी की काशी तथा प्रख्यात लोक गायकों के कार्यक्रमों केलिए सीमित संख्या में प्रवेश-पास जारी होंगे, जिन्हें रुद्राक्ष अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और कन्वेंशन सेंटर सिगरा वाराणसी में पंजीकरण कराकर प्राप्त किया जा सकता है।

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