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भारतीय मुद्रा की भी छवियां बदलने का समय!

सुभाष भगत और टाटा को भी तो भारत के नोटों पर स्थान दें

भारतीय नोटों पर अकेले गांधी जी ही कब तक बैठे रहेंगे?

Saturday 13 November 2021 03:05:02 PM

अतुल मलिकराम

अतुल मलिकराम

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परिवर्तन ही संसार का नियम है और हर दिन आगे बढ़ने के साथ-साथ पीछे छूटा जा रहा है। इससे जुड़ी कई बातें, कई वो कहावतें और मुहावरे महज कहानियां बनकर रह गए लगते हैं, जो हमारे बड़े और बुज़ुर्ग कह गए हैं। परिवर्तन ही संसार का नियम है, तो यह सच और क्षेत्रोंमें भी और ज्यादा साकार होता दिखाई दे। आजजब देशमें कई क्षेत्रोंमें परिवर्तन की लहर चल रही है तो देशके नोट इससे अछूते क्यों? इनपर भी यह परिवर्तन दिख जाना चाहिए नहींतो एक दिन में कई बार कहा जाने वाला यह आदर्श सच अधूरा रह जाएगा। कौन नहीं कह रहा है कि देशकी मुद्रा पर भी यह परिवर्तन दिखना चाहिए।
भारतीय रिज़र्व बैंक समय-समय पर नोटों की रूपरेखा में मात्र सूक्ष्म बदलाव करता रहता है। गांधीजी से पहले नोटों पर जानवर, बांध, संसद भवन, अंतरिक्ष उपग्रह आदि मुद्रित हुआ करते थे। तमाम बड़े परिवर्तनों के बाद करीब 50 वर्ष से अबतक भारत के नोटों पर गांधीजी की ही तस्वीर पेश की जा रही है, लेकिन आरबीआई ने आजतक भी इस तस्वीर में परिवर्तन का कोई इरादा नहीं दिखाया है। भारत माता की गोद में पले-बढ़े कई वीर सपूत ऐसे हैं, जिनके भारत में अनन्य कार्यों ने देश की गरिमा को जीवंत रखा हुआ है। इन वीर पुरुषों का अमिट योगदान भारत की कर्मभूमि में अनंतकाल तक ऐसे ही गूंजता रहेगा? इसलिए परिवर्तन ही संसार का नियम है, इस पंक्ति को पुनः जीवंत करने का समय आ गया है। भारतीय नोटों पर गांधी जी के अलावा सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह और जेआरडी टाटा को भी स्थान देने का समय आ गया है।
महात्मा गांधी हमारे देश के 'राष्ट्रपिता' हैं। भारतीय नोटों पर उनकी छवि भारतीय लोकाचार और मूल्यों को दर्शाती है। हम बहुत लंबे समय से नोटों पर उनकी छवि देख रहे हैं। हमारे लिए यह गर्वित करने वाली बात है, लेकिन देशके अन्य महान नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को पहचानने और उन्हें सम्मान प्रदान करने में कहीं न कहीं एक बड़ी कसर है। उन्होंने भारत और भारतवासियों केलिए अपना सर्वस्व कुर्बान किया है। भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस और जेआरडी टाटा ने जीवनपर्यंत भारतवासियों को सरल जीवन देने और देशको बेहतर बनाने केलिए अनुकरणीय और कड़ा संघर्ष किया है। देश-दुनिया जानती हैकि उन्होंने अटूट समर्पण, देशभक्ति और निष्ठा केसाथ देशकी सेवा की है। भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस भारत माता के वो वीर योद्धा थे, जिन्होंने भारत की आज़ादी के लिए निर्णायक लड़ाई लड़ी और शहादत दी। उनके शक्तिशाली व्यक्तित्व ने ही भारतीयों को सम्मानपूर्वक एवं खुलकर जीने केलिए प्रेरित किया।
जेआरडी टाटा की प्रेरणा भारतवासियों केलिए अनुकरणीय है। उन्होंने टाटा ग्रुप के चैयरमेन के रूपमें व्यवसायों और संस्थानों का निर्माण करके राष्ट्र की अमिट सेवा की। भारत की प्रगति में उनका योगदान अतुलनीय है। चाहे स्वास्थ्य क्षेत्र में टाटा मेमोरियल अस्पताल हो या वैज्ञानिक क्षेत्र में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, जेआरडी टाटा ने सुईं से लेकर अंतरिक्ष तक समृद्ध भारत के निर्माण में कोई कमी नहीं रखी। जिस गति से भारत ने तरक्की की है, उसके सबसे बड़े हाथों में से एक हाथ जेआरडी टाटा का है, जिन्होंने हमें व्यवसाय को बुलंदियों पर पहुंचाना सिखाया है। भारतीय मुद्रा यानी नोटों पर दी जानेवाली इन छवियों का मूल उद्देश्य देशकी संस्कृति, मूल्यों और जैव विविधता का प्रतिनिधित्व करना है। भारतीय नोटों पर जेआरडी टाटा, भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस जैसे दिग्गजों की छवियों का उपयोग करना एक प्रगतिशील भारत की ताकत और समृद्धि का प्रतीक होगा।
भारतीय मुद्रा पर गांधीजी की तस्वीर के साथ ही इन महान विभूतियों को भी स्थान दिया जाना आवश्यक है। भारतीय रिज़र्व बैंक, भारत सरकार का यह क़दम भारतीयों को राष्ट्रवाद और भारत माता की सेवा करने केलिए प्रेरित करेगा। राष्ट्र के ये वीर भारतीयों के हर प्रकार से आदर्श और गौरव हैं। यह परिवर्तन नई पीढ़ी को देशके गौरव से रू-ब-रू कराने में कारगर सिद्ध होगा। उनके अंतर्मन में देशभक्ति की अमिट भावनाओं का सैलाब लाने में मदद करेगा, क्योंकि कहते सुनते आए हैं कि परिवर्तन ही संसार का नियम है...

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