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पूर्वोत्तर भारत की समृद्ध विरासत का जश्न

राष्ट्रीय संग्रहालय में पूर्वोत्तर जीवनशैली पर समर्पित गैलरी

1 से 7 नवंबर तक 'डेस्टिनेशन नॉर्थ ईस्ट इंडिया' महोत्‍सव

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 1 November 2021 02:30:17 PM

celebrating the rich heritage of northeast india

नई दिल्ली। आजादी के अमृत महोत्‍सव समारोह के अंतर्गत प्रगतिशील भारत के 75 साल पूरे होने और यहां के लोगों की गौरवपूर्ण संस्कृति एवं उपलब्धियों के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय संग्रहालय, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय और एनईसी की पहल 'डेस्टिनेशन नॉर्थईस्ट इंडिया' केतहत पूर्वोत्तर भारत की समृद्ध विरासत का जश्न मना रहा है। यह आयोजन 7 नवंबर 2021 तक जारी रहेगा। नई दिल्‍ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में पूर्वोत्तर भारत के सांस्कृतिक विस्‍तार का प्रतिनिधित्व करने वाली कलाकृतियों का एक उत्कृष्ट संग्रह है और 'डेस्टिनेशन नॉर्थ ईस्ट इंडिया' महोत्‍सव में योगदान करते हुए एनएम सांस्कृतिक कलाकारों, ऑनलाइन व्याख्यान एवं पर्यटन की एक सप्ताह तक चलने वाली श्रृंखला का आयोजन कर रहा है।
पूर्वोत्तर राज्यों की विविध कलात्मक परंपराओं और समुदायों को उजागर करने केलिए पूर्वोत्तर लाइफस्टाइल गैलरी टूर का भी आयोजन किया गया है। संगीत दल में पूर्वोत्तर क्षेत्र के लगभग अस्सी कलाकारों का प्रतिनिधित्व है, जिसमें अग्रगामी नृत्य और सिने आर्ट टीम, पंथोइबी जागोई मारुप, मिजोरम कल्‍चरल ट्रूप और नागा-तांगखुल ग्रुप शामिल है। ये सांस्कृतिक प्रस्‍तुतियां स्वदेशी जीवनशैली और इस क्षेत्र के परिवेश की झलक दिखाती हैं, जो मूर्त एवं अमूर्त संस्कृति और सामाजिक आर्थिक गतिविधियों को आकार देने केलिए महत्वपूर्ण हैं। उत्सव के उद्घाटन पर सतरिया नृत्य, मणिपुर कम्बा थोइबी और लायन डांस जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। पूर्वोत्तर भारत की कला एवं संस्कृति से संबंधित विभिन्न विषयों पर परिचर्चा वाले ऑनलाइन लर्निंग सत्रों की एक श्रृंखला भी आयोजन का हिस्सा है। राष्ट्रीय संग्रहालय में पूर्वोत्तर जीवनशैली को समर्पित गैलरी में वस्त्र, आभूषण, यूटिलिटी टूल्‍स और व्यक्तिगत अलंकरण आदि को प्रदर्शित किया गया है, जो स्वदेशी पहचान का एक समावेशी प्रतीक है।
पूर्वोत्तर जीवनशैली को समर्पित गैलरी में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह पूर्वोत्तर भारत के विविध समुदायों की आवाज़ को प्रदर्शित करती है। नागा, मिजो, खासी, आदि, मिश्मी, राभा और कार्बी जैसे विभिन्न समुदायों के वस्त्र एवं परिधान उनके रीति-रिवाजों की एकता और अंतर के मूल्‍य को महत्व देते हैं। कपड़ा बुनाई महिलाओं की सबसे महत्वपूर्ण शिल्प प्रथाओं में से एक है। अरुणाचल प्रदेश के मोनपा, मेम्बा, खंबा, खमती और सिंगफो जैसी बौद्ध जनजातियों में पाए जानेवाले प्रतीकात्मक मुखौटों केसाथ जीवन और मृत्यु के जबरदस्‍त नृत्य से जनजातीय जीवनशैली के सार को मनाया जाता है। यह प्रदर्शनी सामाजिक आर्थिक पहलुओं, राजनीति, व्यक्तिगत एजेंसी, लिंग, धर्म, प्राकृतिक प्रतीक, समानता एवं शक्ति की खोज करते हुए एक संवाद स्थापित करती है और अंततः ट्रांस कल्चरलिटी को दर्शाती है।

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