स्वतंत्र आवाज़
word map

'बैटल रेडी फॉर ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी' पर पुस्तक

'आकस्मिक युद्धों को रोकने के लिए क्षमता निर्माण की आवश्यकता'

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ व पूर्व सेना प्रमुख ने किया पुस्तक विमोचन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 18 March 2021 01:07:17 PM

'battle ready for twenty first century' book released

नई दिल्ली। सेंटर फॉर लैंड वॉरफेयर स्टडीज़ (क्लाज़) के प्रतिष्ठित फेलो लेफ्टिनेंट जनरल एके सिंह और विजिटिंग फेलो ब्रिगेडियर नरेंद्र कुमार की सह-संपादित पुस्तक 'बैटल रेडी फॉर ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी' का विमोचन चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और पूर्व सेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर ने सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज (कलॉज़) में किया। पुस्तक में संघर्ष के नवीन आयामों, उनके लिए वांछित क्षमताओं एवं उन सैद्धांतिक मुद्दों को परिभाषित करने का प्रयास किया गया है, जिनको सावधानीपूर्वक परीक्षण की दरकार है। पुस्तक में व्यावहारिक अनुभव एवं क्षेत्र में विशेषज्ञता वाले लेखकों ने भूमि, वायु, समुद्र, अंतरिक्ष, साइबर डोमेन और यहां तककि संज्ञानात्मक डोमेन पर उभरती सुरक्षा चुनौतियों से भारत को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक तरीकों और साधनों को परिभाषित करने और सुझाव देने का प्रयास किया है।
पुस्तक भविष्य के उन संघर्षों का जिक्र कर रही है, जिनका सामना भारत कर सकता है और आकस्मिक युद्धों को रोकने केलिए क्षमताओं का निर्माण करने की आवश्यकता है। इसका प्राक्कथन पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने लिखा है। पूर्व सेना प्रमुख जनरल एनसी विज और प्रोफेसर गौतम सेन ने भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों और निर्माण क्षमताओं की आवश्यकता के लिए अनुभवजन्य रूपसे पहचान करने के लिए पुस्तक पर टिप्पणी की है। पुस्तक भविष्य के संघर्षों के रणनीतिक प्रबंधन के लिए वैचारिक ढांचे को निर्धारित करती है। भारतीय संदर्भ में पारंपरिक ज़मीनी बल इलाके में कब्ज़ा करने, अधिकारपूर्वक बने रहने तथा दुश्मन को कोई भी लाभ उठाने से रोकने में अब भी बेजोड़ हैं। नतीजतन विशेष रूपसे चीन और पाकिस्तान से खतरे से निपटने के दौरान ज़मीनी बलों पर ध्यान केंद्रित रहता है।
पुस्तक के लेखों में भारत को सुरक्षित करने केलिए गतिशील सैन्य रणनीतियों के साथ-साथ ग्रे जोन संघर्ष, शहरी युद्ध और पर्वतीय युद्ध को भी कल्पनाशीलता से शामिल किया गया है। गौरतलब है कि 'दो तरफ़ा युद्ध' की दुविधा अब भ्रम नहीं अपितु एक वास्तविकता है, जो हमारे समक्ष बनी हुई है। बहुत लंबे समय से आईएसआर डोमेन भारत के लिए दुखती रग बना हुआ है, इस लेख के लेखक ने कमियों की पहचान की है और इन्हें दूर करने के लिए व्यावहारिक उपाय भी सुझाए हैं। सैद्धांतिक नवाचार का महत्वपूर्ण आयाम दूरदर्शी नेतृत्व से सही तरीके से जोड़ा गया है तथा यह पेशेवर सैन्य शिक्षा से संबंधित है। यह पुस्तक इंटीग्रेटेड थियेटर कमानों के रूपमें सशस्त्रबलों के पुनर्गठन तथा क्रोस डोमेन ऑपेरशनों को देखते हुए काफी महत्वपूर्ण है। यह पुस्तक खासतौर पर उच्च रक्षा संगठन के सदस्यों, सैन्य पेशेवरों और शिक्षाविदों के लिए है।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]