स्वतंत्र आवाज़
word map

रक्षा मंत्रालय का बीईएल के साथ अनुबंध

नौसेना के लिए लिंक्स यू2 फायर नियंत्रण प्रणाली की खरीद

समुद्री हलचल के बीच निगरानी एवं लक्ष्य को साधने में सक्षम

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 1 January 2021 04:18:20 PM

ministry of defence

नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय ने विक्रय (भारतीय) श्रेणी के तहत 1,355 करोड़ रुपये की लागत से भारतीय नौसेना के प्रमुख युद्धपोतों के लिए 10 लिंक्स यू2 फायर नियंत्रण प्रणाली की खरीद हेतु भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। लिंक्स प्रणाली को स्वदेश में डिजाइन और विकसित किया गया है और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को बढ़ावा देगी। लिंक्स यू2 जीएफसीएस एक नावल गन फायर नियंत्रण प्रणाली है, जिसे समुद्री हलचल के बीच निगरानी करने और लक्ष्यों को निशाना बनाने के लिए विकसित किया गया है। यह सटीक रूपसे हवा और जमीन के लक्ष्यों पर नज़र रखने के साथ-साथ हथियार के लक्ष्य का अनुमान लगाने के लिए आवश्यक लक्ष्य डेटा बनाने में सक्षम है। इसे जहाज पर उपलब्ध मध्यम और छोटी रेंज की बंदूकों जैसे रूसी एके176, ए190, एके630 और एसआरजीएम के साथ संचालित किया जा सकता है।
नावल गन फायर नियंत्रण प्रणाली को शानदार तरीके से डिजाइन दिया गया है और इसके माध्यम से सरल और लचीले तरीके से विभिन्न कार्यों को अंजाम दिया जा सकता है। यह प्रणाली भारतीय नौसेना के लिए विकसित और वितरित की गई है और पिछले दो दशक से सेवा में है। इसके साथ-साथ यह विभिन्न श्रेणियों के विध्वंसकों, फ्रिगेट, मिसाइल बोट, कोरवेटआदि भारतीय नौसेना के जहाजों की सामरिक आवश्यकताओं को संतोषजनक रूपसे पूरा कर रही है। इस प्रणाली को लगातार उन्नत किया गया है और प्रौद्योगिकी उन्नयन के साथ-साथ स्वदेशीकरण पर प्रमुख ध्यान रहा है। इस प्रणाली में उपयुक्त सामाग्री में स्वदेशी तकनीक में लगातार वृद्धि करते हुए विदेशी ओईएम पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही निर्भरता को खत्म किया जा रहा है।
नावल गन फायर नियंत्रण प्रणाली को एनओपीवी, तलवार और टीजी श्रेणी के जहाजों पर लगाया जाएगा। इसमें शामिल निगरानी रडार और हथियार नियंत्रण मॉड्यूल को पूरी तरह से बीईएल ने डिजाइन और विकसित किया गया है। स्वदेशी तकनीक से विकसित यह प्रणाली अधिकतम समय तक कार्य करने के साथ-साथ इसके जीवनपर्यंत उत्कृष्ट उत्पाद की गारंटी को सुनिश्चित करेगी। अनुबंध में प्रस्तावित प्रणाली चौथी पीढ़ी की है और पूरी तरह से स्वदेश में निर्मित प्रणाली है, जिसे आत्मनिर्भर भारत की भावना के साथ विकसित किया गया है। बीईएल बेंगलुरु इन्हें अगले पांच वर्ष में सेना को प्रदान करेगा।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]