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भारत में सबसे ऊंचाई पर मौसम विज्ञान केंद्र

पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने लेह में किया मौसम विज्ञान केंद्र का उद्घाटन

केंद्र के सहयोग और लद्दाख प्रशासन की भागीदारी से हुआ संभव

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 30 December 2020 04:57:11 PM

dr. harsh vardhan inaugurates the meteorological centre, at leh

लेह/ नई दिल्ली। भारत सरकार में पृथ्वी विज्ञान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने नई दिल्ली में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की ओर से एक कार्यक्रम में वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए लेह (लद्दाख) में मौसम विज्ञान केंद्र का उद्घाटन किया है। डॉ हर्षवर्धन ने लेह में मौसम संबंधी सुविधाओं को स्थापित करने में पूरा सहयोग और सक्रिय भागीदारी निभाने के किए लद्दाख प्रशासन का आभार जताया। लद्दाख के उपराज्यपाल राधाकृष्ण माथुर और लद्दाख के सांसद जामयांग सिरिंग नामग्याल ने लेह में मौसम विज्ञान केंद्र स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद व्यक्त किया।
लेह में मौसम विज्ञान केंद्र की आवश्यकता के बारे में डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि लद्दाख क्षेत्र में ऊंचे ढलान वाले पहाड़ हैं, यहां कोई वनस्पति नहीं है, 2010 में यहां बादल फटा था, बाढ़, हिमस्खलन और ग्लेशियर पिघलने से नदी एवं झीलों में अनियंत्रित पानी आ जाना जैसे प्राकृतिक खतरों के लिहाज़ से इसे काफी असुरक्षित और ख़तरनाक बना देते हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसी प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले को नुकसान को रोकने के लिए सरकार को वर्ष 2020 में लेह में एक मौसम विज्ञान केंद्र स्थापित करने की ज़रूरत महसूस हुई और आज इस केंद्र की स्थापना लद्दाख क्षेत्र में मौसम संबंधी कोई भी सूचना अथवा चेतावनी को समय से पूर्व लोगों तक पहुंचाने की प्रणाली को मज़बूत करने के उद्देश्य से की गई है। उन्होंने कहा कि 3500 मीटर की ऊंचाई पर लेह का ये मौसम विज्ञान केंद्र भारत के सबसे ऊंचाई पर मौसम विज्ञान केंद्र के रूपमें एक नया इतिहास रच रहा है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने कहा कि लद्दाख के लोगों और वहां के प्रशासन की मदद करने के लिए भारतीय मौसम विज्ञान विभाग लद्दाख के दोनों ज़िलों लेह और करगिल के हितधारकों के लिए दैनिक आधार पर मौसम का पूर्वानुमान बताएगा। मौसम का पूर्वानुमान लघु अवधि (3 दिन) और मध्यम अवधि (12 दिन) से लेकर एक महीने तक कि अवधि के आधार पर बताया जाएगा। डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग जिलास्तरीय पूर्वानुमान के अलावा नुब्रा, चांगथांग, पैंगोंग झील, झंस्कार, करगिल, द्रास, धा-बैमा (आर्यन घाटी), खलसी जैसे प्रमुख पर्यटन स्थालों के मौसम का पूर्वानुमान भी बताएगा। इस केंद्र में उपलब्ध कराई जाने वाली कुछ प्रमुख सेवाओं में राजमार्ग पूर्वानुमान, पर्वतारोहण पूर्वानुमान, ट्रेकिंग, कृषि, अचानक से आने वाली बाढ़ की चेतावनी, न्यूनतम और अधिकतम तापमान जैसी सेवाएं शामिल हैं।
डॉ हर्षवर्धन ने आश्वासन दिया कि सरकार लद्दाख के लोगों और वहां के प्रशासन को उच्चतम स्तर की संभावित मौसम सेवाएं प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी और लद्दाख को मौसम के प्रकोप से बचाने और सुरक्षित रखने का काम करेगी। डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि इस केंद्र में अधिक ऊंचाई वाले क्षत्रों के मौसम के सटीक पूर्वानुमान के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं होंगी और यह केंद्र लद्दाख प्रशासन एवं वहां के लोगों की मौसम और जलवायु संबंधी विभिन्न ज़रूरतों को पूरा करेगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की उपलब्धियों के बारे में उन्होंने कहा कि रैंकिंग के मामले में भारत का पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय विशेष रूपसे भारतीय मौसम विज्ञान विभाग दुनियाभर के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में से एक है, ये सुनामी जैसे तूफान की समय से पूर्व चेतावनी और सटीक मौसम पूर्वानुमान जैसे विभिन्न मोर्चे पर श्रेष्ठ है। उन्होंने कहा कि करीब 4 करोड़ किसानों को मोबाइल पर संदेश के जरिये मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी दी जाती है, जिससे किसानों को अपनी खेती से जुड़ी योजनाएं बनाने में मदद मिलती है।
लद्दाख के उपराज्यपाल राधाकृष्ण माथुर ने इस अवसर पर लद्दाख क्षेत्र में जलवायु विविधता को ध्यान में रखते हुए सूक्ष्म-जलवायु पूर्वानुमान की ज़रूरत पर बल दिया। उन्होंने स्थानीय स्तरपर मौसम की जानकारी के महत्व और एक मौसम संबंधी एप की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ एम राजीवन ने कहा कि लद्दाख क्षेत्र अपनी विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, संस्कृति, खान-पान और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अपने कूटनीतिक महत्व जैसी कई वजहों से हमारे लिए काफी प्रिय है। उन्होंने आश्वासन दिया की पृथ्वी एवं विज्ञान मंत्रालय भारतीय मौसम विज्ञान विभाग को लद्दाख में विभिन्न सेवाएं प्रदान करने के किए सभी ज़रूरी तकनीकी तथा प्रशासनिक सहयोग देगा। कार्यक्रम में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के संयुक्त सचिव डॉ विपिन चंद्र, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉ एम महापात्रा, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के वैज्ञानिक एफ गोपाल अय्यंगर और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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