स्वतंत्र आवाज़
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'मीडिया की आज़ादी न्यायपालिका जितनी जरूरी'

राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर प्रेस काउंसिल के वेबिनार में बोले उपराष्ट्रपति

'निर्भीक मीडिया के बिना लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 16 November 2020 05:40:50 PM

vice president addressed a webinar organized by the press council of india

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि प्रेस की आज़ादी पर कोई भी आघात राष्ट्रीय हितों के विरुद्ध है और हर एक नागरिक को इसका विरोध करना चाहिए। उपराष्ट्रपति राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर आज 'कोविड महामारी के दौरान मीडिया की भूमिका तथा मीडिया पर महामारी के असर' विषय पर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज़ाद और निर्भीक प्रेस के बिना लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने में प्रेस की अग्रणी भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करने और संविधान के अनुसार कानून का राज सुनिश्चित करने में एक मुखर, आज़ाद और जागरुक मीडिया उतना ही जरूरी है, जितनी स्वतंत्र न्यायपालिका।
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने पत्रकारिता को एक पवित्र मिशन बताते हुए राष्ट्रहित के संवर्धन और जनता के अधिकारों के संरक्षण में प्रेस की उल्लेखनीय भूमिका सराही। उन्होंने मीडिया से आग्रह किया कि वह अपनी रिपोर्ट में वस्तुनिष्ठ, तथ्यात्मक और निष्पक्ष रहे एवं उसे सनसनी फैलाने और खबरों में पूर्वाग्रह मिलाने की प्रवृत्ति से बचने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि विकासपरक खबरों को अधिक तरजीह दी जानी चाहिए। कोरोना महामारी के दौरान प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडियाकर्मियों की अग्रणी भूमिका की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि महामारी के खतरों के बावजूद उन्होंने लगातार सूचना उपलब्ध कराई है, इसके लिए उन्होंने सम्बद्ध हर पत्रकार, कैमरामैन तथा सभी मीडियाकर्मियों का अभिनंदन किया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब अप्रामाणिक अफवाहों का बाज़ार गर्म हो, ऐसे में महामारी के दौरान सही समय पर प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध कराया जाना नितांत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अप्रामाणिक अफवाहों से बचाने के लिए जन जागृति और शिक्षण का प्रसार करने में मीडिया की महती भूमिका है।
वेंकैया नायडू ने उन पत्रकारों के परिजनों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त की, जिनकी कोरोना संक्रमण के कारण मृत्यु हुई। उन्होंने कहा कि कई समाचार पत्रों ने अपने संस्करणों में कटौती की है और डिजिटल संस्करण निकालने लगे हैं। उन्होंने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में हो रही पत्रकारों की छटनी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि इन विषम स्थितियों में पत्रकारों को अकेला नहीं छोड़ा जा सकता। उपराष्ट्रपति ने सभी हितधारकों से साथ मिलकर इस विषम परिस्थिति से निपटने के कारगर और सार्थक उपाय ढूंढने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि महामारी ने मीडिया संस्थानों को अधिक लचीला, स्थाई और स्वीकार्य राजस्व मॉडल अपनाने का अवसर दिया है, सामाजिक मिलजोल के बिना इस अवधि में अधिक से अधिक लोग घर पर ही रहकर ताज़ा खबरों और मनोरंजन के लिए मीडिया पर ही निर्भर रहे। उपराष्ट्रपति ने रामायण और महाभारत की लोकप्रियता की भी चर्चा की और मीडिया जगत से आग्रह किया कि वह अपने दर्शकों में विस्तार करे और राजस्व के नए मॉडल खोजे। 

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