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हिंदी ने भारत को एकता सूत्र में पिरोया-गृहमंत्री

'मातृभाषा के साथ हिंदी भाषा का अधिक से अधिक प्रयोग करें'

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का हिंदी दिवस पर वीडियो संदेश

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 14 September 2020 01:34:57 PM

amit shah (file photo)

नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हिंदी दिवस पर आज देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं और वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से एक संदेश में कहा है कि हिंदी दिवस पर मैं इसके सशक्तिकरण में योगदान देने वाले सभी महानुभावों को नमन करता हूं और देशवासियों से आह्वान करता हूं कि वे अपनी मातृभाषा के साथ-साथ हिंदी भाषा का अधिक से अधिक प्रयोग करके उसके संरक्षण और संवर्धन में अपने योगदान का संकल्प लें। अमित शाह ने कहा कि अनेक भाषाएं एवं संस्कृतियां हमारी न केवल विरासत हैं, हमारी ताकत भी हैं, इसलिए हमें इनको आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि सांस्‍कृतिक व भाषाई विविधता से भरे इस गौरवशाली देश में पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण के बीच सदियों से कई भाषाओं ने संपर्क बनाए रखने का काम किया है, हिंदी इसमें प्रमुख भाषा रही है और ये योगदान जो हिंदी का है इसको देश के कई नेताओं ने समय-समय पर सराहा है और हिंदी ने भारत को एकता के सूत्र में पिरोने का काम किया है।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि हिंदी भाषा और बाकी सारी भारतीय भाषाओं ने मिलकर भारत की सांस्कृतिक विविधता को आगे ले जाने में बहुत बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि हिंदी के साथ बृज, बुंदेलखंडी, अवधी, भोजपुरी, अन्य भाषाएं और बोलियां इसका उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम के समय से राष्ट्रीय एकता और अस्मिता का प्रभावी व शक्तिशाली माध्यम रही है, हिंदी की सबसे बड़ी शक्ति इसकी वैज्ञानिकता, मौलिकता, सरलता, सुबोधता और स्‍वीकार्यता भी है। गृहमंत्री ने कहा कि हिंदी भाषा की विशेषता है कि इसमें जो बोला जाता है, वही लिखा जाता है, हिंदी की इन विशेषताओं एवं सर्वग्राह्यता को ध्‍यान में रखते हुए भारतीय संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को हिंदी को संघ की राजभाषा के रूपमें अंगीकार किया। अमित शाह ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 का उल्‍लेख करते हुए कहा कि 26 जनवरी 1950 को लागू संविधान में यह प्रावधान रखा गया कि संघ की राजभाषा हिंदी व लिपि देवनागरी होगी।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि भारतीय सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों की अविरल धारा मुख्य रूपसे हिंदी भाषा से ही जीवंत तथा सुरक्षित रह पाई है, हिंदी भाषा ने बाकी स्‍थानीय भाषाओं को भी बल देने का प्रयास किया है, यह हर राज्‍य की भाषा को ताकत देती है। उन्होंने कहा ‌कि हिंदी की प्रति‍स्‍पर्धा कभी भी स्‍थानीय भाषा से नहीं रही, यह पूरे भारत के जनमानस में ज्‍यादा स्‍पष्‍ट होने की जरूरत है। गृहमंत्री ने कहा कि अनुच्छेद 351 के अनुसार भारत की अन्य भाषाओं का प्रयुक्त रूप, शैली और पदों को आत्मसात करते हुए जहां आवश्यक है या वांछनीय हो, वहां उसके शब्द भंडार के लिए मुख्यतः संस्कृत से और गौणतः अन्य भाषाओं से शब्द ग्रहण करते हुए हिंदी की समृद्धि सुनिश्चित की जानी है। गृहमंत्री ने कहा कि संवैधानिक दायित्‍वों का निर्वहन करने के लिए आवश्‍यक है कि सरकारी कामकाज अनुवाद की अपेक्षा मूल रूपसे हिंदी में किया जाए और अन्‍य स्‍थानीय भाषाओं में इसका अनुवाद किया जाए। उन्होंने भारत सरकार के सभी मंत्रालयों, विभागों, कार्यालयों, उपक्रमों तथा बैंकों इत्‍यादि के कार्यालय प्रमुखों एवं वरिष्‍ठ अधिकारियों से आग्रह किया कि स्‍थानीय भाषाओं के साथ-साथ वे सरकारी कामकाज में मूल रूपसे हिंदी का प्रयोग करें। अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में भारत एक संसाधन-संपन्न शक्तिशाली देश के रूपमें उभर रहा है और इसमें देश की समृद्ध भाषा हिंदी का बहुत बड़ा योगदान है।
अमित शाह ने कहा कि वैश्विक मंचों पर प्रधानमंत्री के हिंदी में भाषणों से हिंदी का वैश्वि‍क कद मजबूत हुआ है और हिंदी प्रेमियों को प्रेरणा भी मिल रही है, इससे देश की युवा पीढ़ी भाषा के साथ जुड़ने की ओर अग्रसर हुई है, बस आवश्‍यकता इस बात की है कि आगामी पीढ़ी को अधिक से अधिक सूचनाएं हिंदी में उपलब्ध कराई जाएं और उनमें ऐसे संस्कार विकसित किए जाएं कि वह मूल रूपसे हिंदी भाषा में काम करें। गृहमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में कोई भी भाषा सूचना प्रौद्योगिकी के बिना पल्लवित और पोषित नहीं हो सकती, राजभाषा विभाग सूचना प्रौद्योगिकी के माध्‍यम से राजभाषा हिंदी का और अधिक प्रचार करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में निरंतर कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत अभियान को आगे बढ़ाते हुए राजभाषा विभाग हिंदी के लिए ई-टूल्स सुदृढ़ करने का काम कर रहा है। अमित शाह ने बताया कि वोकल फॉर लोकल के अंतर्गत विभाग निर्मित स्‍मृति आधारित अनुवाद टूल ‘कंठस्थ’ का विस्‍तार किया जा रहा है, जिससे अनुवाद क्षेत्र में समय की बचत करने के साथ-साथ एकरूपता और उत्‍कृष्‍टता भी सुनिश्चित की जा सके, इसके अतिरिक्‍त लीला हिंदी प्रवाह, ई-महाशब्दकोश मोबाइल एप्‍लीकेशन हिंदी प्रेमियों के लिए अत्‍यंत उपयोगी हैं, राजभाषा विभाग ई-सरल हिंदी वाक्यकोश का विकास भी कर रहा है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि राजभाषा हिंदी का प्रयोग बढ़ाने और कार्यालय स्तरपर हिंदी में लेखन को प्रोत्साहित एवं प्रेरित करने में हिंदी गृह-पत्रिकाओं का विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि राजभाषा विभाग के ई-पत्रिका पुस्तकालय के माध्यम से हिंदी के पाठक विभिन्न सरकारी संस्थानों की प्रकाशित होने वाली ई-पत्रिकाओं से लाभांवित हो पाएंगे। केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि जनहित को प्राथमिकता देते हुए इस वर्ष ‘हिंदी दिन समारोह’ का आयोजन नहीं किया जा रहा है, लेकिन जिन मंत्रालयों, विभागों, संस्थाओं, बैंकों, सरकारी उपक्रमों, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों ने पूरे वर्ष पूरी निष्ठा से हिंदी में श्रेष्‍ठ कार्य किया है और प्रतिष्ठित राजभाषा कीर्ति पुरस्‍कार जीते हैं, उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा कि हिंदी में मौलिक पुस्तक लेखन और पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित उत्‍कृष्‍ट लेखों के लिए प्रदान किए जाने वाले राजभाषा गौरव पुरस्कार विजेता बधाई के पात्र हैं। राजभाषा विभाग ने भी इस अवसर का सकारात्‍मक उपयोग करते हुए सूचना तकनीक का सहारा लिया और पहली बार वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए ई-निरीक्षण एवं नगर राजभाषा कार्यांवयन समिति की बैठकों का आयोजन किया है। राजभाषा विभाग के प्रशिक्षण केंद्र, केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान तथा केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो ने ऑनलाइन माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन शुरू किया है, जिसमें परंपरागत क्‍लासरूम टीचिंग को परिवर्तित कर, ऑनलाइन वेब कांफ्रेंसिंग टूल के माध्‍यम से प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
अमित शाह ने कहा कि संघ की राजभाषा नीति के अनुसार हमारा संवैधानिक दायित्व है कि हम राजभाषा संबंधि‍त अनुदेशों का अनुपालन करें, तत्‍परता के साथ अनुपालन करें, हम स्‍वयं मूल कार्य हिंदी में करते हुए अधिकारियों एवं कर्मचारियों से राजभाषा अधिनियमों का अनुपालन सुनिश्चित कराएं, ताकि आमजन सभी सरकारी योजनाओं व कार्यक्रमों का लाभ निर्बाध रूपसे उठा पाए। गृहमंत्री ने देशवासियों का आह्वान करते हुए कहा कि आइए हिंदी दिवस अवसर पर हम प्रतिज्ञा लें कि हिंदी की उन्नति व प्रगति की यात्रा पूरे समर्पण के साथ आगे बढ़ाते हुए हमसब मिलकर राजभाषा हिंदी को सभी स्‍थानीय भाषाओं के साथ में रखते हुए हिंदी के माध्‍यम से आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करेंगे। उन्‍होंने देश के युवाओं से कहा कि जब स्‍थानीय भाषा में बोलने वाला साथी हो तब और कोई भाषा का प्रयोग न करते हुए भारतीय भाषाओं के प्रयोग का आग्रह रखिए। अमित शाह ने अभिभावकों को भी कहा कि अपने बच्‍चों के साथ भारतीय भाषाओं में बात करने की बात का संस्‍कार डालें और अपनी भाषाओं की यात्रा को आगे बढ़ाएं। अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से भारतीय भाषाओं व हिंदी का समानांतर विकास होगा, हमारे सामूहिक प्रयासों से हिंदी न केवल राष्‍ट्रीय स्‍तर पर अपितु, विश्‍वपटल पर ज्ञान-विज्ञान से परिपूर्ण समृद्ध भाषा के रूपमें स्‍थापित होगी।

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