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जे&के एलजी के लेखों पर चुनाव आयोग नाखुश!

'जम्मू-कश्मीर के एलजी दे रहे निर्वाचन आयोग के अधिकारों में दखल'

कश्मीर में चुनाव कराने की स्थितियों को निर्वाचन आयोग स्वयं देखेगा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 28 July 2020 04:04:37 PM

election commission of india

नई दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग ने जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल जीसी मुर्मू से परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर में चुनाव जैसे अखबारों में लेख और बयान पर अप्रसन्नता प्रकट की है और उप राज्यपाल से ऐसे बयानों पर रोक लगाने को कहा है। भारत निर्वाचन आयोग ने उपराज्यपाल जीसी मुर्मू को याद दिलाया है कि संवैधानिक योजनाओं में चुनावों का समय आदि तय करना भारत के चुनाव आयोग का एकमात्र अधिकार है। चुनाव का समय तय करने से पहले निर्वाचन आयोग चुनाव वाले इलाके में वहां की स्थलाकृति, मौसम, क्षेत्रीय तथा स्थानीय उत्सवों से उत्पन्न होने वाली संवेदनशीलता सहित सभी प्रासंगिक कारकों को ध्यान में रखता है।
गौरतलब है कि द ट्रिब्यून अखबार में आज यानी 28 जुलाई 2020 को 'परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर में चुनाव' शीर्षक से जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल (एलजी) जीसी मुर्मू का लेख छपा है। एलजी के इसी तरह के लेख बयान इससे पहले द हिंदू में दिनांक 18.11.2019, न्यूज़ 18 में दिनांक 14.11.2019, हिंदुस्तान टाइम्स में 26.6.2020 और इकोनॉमिक टाइम्स (ई-पेपर) में दिनांक 28.7.2020 को भी छपे थे। चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल से ऐसे बयानों पर रोक लगाने को कहा है। निर्वाचन आयोग ने कहा है कि वह एलजी को याद दिलाना चाहेगा कि संवैधानिक योजनाओं में चुनावों का समय आदि तय करना भारत के चुनाव आयोग का एकमात्र अधिकार है। निर्वाचन आयोग ने उदाहरण के तौर पर कहा है कि कोविड-19 के मौजूदा समय, जिसने एक नई विषम स्थिति पैदा कर दी है, को भी नियत समय पर ध्यान में रखा जाना चाहिए, मौजूद मामले में परिसीमन के नतीजे को भी निर्णय लेते वक्त ध्यान में रखना मुनासिब होगा।
निर्वाचन आयोग ने कहा कि इसी तरह केंद्रीय पुलिस बलों के परिवहन केंद्रीय बल और रेलवे कोच आदि की उपलब्धता महत्वपूर्ण कारक हैं। निर्वाचन आयोग का कहना है कि यह सब आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सावधानीपूर्वक सोच-विचार के बाद किया जाता है और संबंधित अधिकारियों के साथ गहन परामर्श के बाद विस्तृत आकलन किया जाता है। आयोग स्वयं उन चुनावी राज्यों का दौरा करता है जहां जाना जरूरी होता है और सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करता है। चुनाव आयोग ने कहा है कि उपराज्यपाल के अलावा भी वहां के अन्य अधिकारियों के लिए इस तरह के बयान देने से बचना उचित होगा, जो चुनाव आयोग के संवैधानिक आदेश के साथ लगभग हस्तक्षेप करने के समान हैं।

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