स्वतंत्र आवाज़
word map

'विकास व प्रगति में भ्रष्टाचार सबसे बड़ी बाधा'

जवाबदेही एवं सुशासन लोकतंत्र की आवश्यक शर्तें-उपराष्ट्रपति

कैग परिसर में डॉ भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा का अनावरण

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 22 July 2020 06:05:33 PM

dr. bhimrao ambedkar statue unveiled in cag campus

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भ्रष्टाचार की कुवृत्ति को देश के विकास और प्रगति में सबसे बड़ा अवरोध बताते हुए सरकार, सिविल सोसायटी और सभी नागरिकों से एकसाथ मिलकर इसे देश से समाप्त करने का आह्वान किया है। उपराष्ट्रपति आज कैग परिसर में बाबासाहब डॉ भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जवाबदेही, पारदर्शिता तथा सुशासन लोकतंत्र की आवश्यक शर्त है। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को उद्धृत करते हुए वेंकैया नायडू ने कहा कि शिक्षक विद्यार्थियों के चरित्र को गढ़ने और एक मूल्य आधारित नैतिक समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि डॉ भीमराव अम्बेडकर बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, वे दूरदृष्टा राजनेता, प्रखर विद्वान, प्रबुद्ध विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, लेखक, समाज सुधारक तथा उदार मानवतावादी थे।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि हमारे संविधान की गणना विश्व के सबसे विशद विधानों में होती है, भारत के संविधान निर्माण में बाबासाहब के महत्वपूर्ण योगदान और विषम परिस्थितियों में देश का मार्गदर्शन करने के लिए राष्ट्र उनके प्रति सदैव से कृतज्ञ है। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान हमारे लिए एक पवित्र ग्रंथ है, जो राष्ट्रीय जीवन के हर मुद्दे पर एक प्रकाश स्तंभ की तरह हमारा मार्गदर्शन करता है। उन्होंने देश के नागरिकों से संविधान की मर्यादाओं के निर्वहन के लिए निरंतर अभीष्ट प्रयास करते रहने का आग्रह किया। बाबासाहब को दबे, दुर्बल वर्गों का मसीहा बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे आजीवन लैंगिक समानता और शिक्षा के माध्यम से नारी सशक्तिकरण के प्रबल समर्थक रहे और सभी नागरिकों में समानता और बराबरी सुनिश्चित करने के लिए जाति के बंधनों को तोड़ने के सार्थक प्रयास करते रहे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि उनकी यह प्रतिमा महान नायक बाबासाहब के आदर्शों और विचारों का स्मरण दिलाती रहेगी, उनकी शिक्षा से भावी पीढ़ियों का मार्गदर्शन करती रहेगी, वे विचार जो आज भी हमको दिशा दिखलाते हैं, यही इस प्रतिमा की स्थापना का उद्देश्य भी है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि कैग यानी भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की प्रतिष्ठा एक स्वतंत्र और विश्वसनीय संस्था के रूपमें स्थापित है और इसका श्रेय हमारे संविधान निर्माताओं विशेषकर बाबासाहब डॉ भीमराव अम्बेडकर को जाता है, जिन्होंने संविधान में एक स्वतंत्र संस्था के रूपमें कैग के व्यापक अधिकारों को निर्धारित किया है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता, तथ्यों पर आधारित निष्पक्ष वस्तुनिष्ठता, उपलब्ध तथ्यों के प्रति निष्ठा, विश्वसनीयता, पारदर्शिता, प्रोफेशनल कौशल उत्कृष्टता के गुण जो आज कैग की पहचान हैं, इन गुणों की प्रेरणा बाबासाहब डॉ भीमराव अम्बेडकर के जीवन और आदर्शों से ही प्राप्त हुई है।
उपराष्ट्रपति ने कैग की रिपोर्टों तथा उनके आधार पर विधाई निकायों और उनकी समितियों में हुए विमर्श के परिणामस्वरूप हुए नियमों में परिवर्तनों, शासकीय प्रणाली में आए बदलावों, सरकारी पद्धतियों में आई प्रभावी किफायत और दक्षता के लिए कैग को श्रेय दिया। उपराष्ट्रपति ने विश्व के सर्वोच्च लेखा संस्थानों में विश्वसनीयता, उत्कृष्टता और ख्याति स्थापित करने के लिए कैग का अभिनंदन किया। उन्होंने कैग द्वारा 2022 तक अपने कार्यालय को पेपर मुक्त बनाने के लक्ष्य की भी सराहना की। इससे पूर्व भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) राजीव महर्षि ने स्वागत भाषण दिया और डेप्युटी कैग अनीता पटनायक ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]