स्वतंत्र आवाज़
word map

दुनिया की संयुक्तराष्ट्र से उम्मीदें बढ़ीं-मोदी

प्रधानमंत्री का संयुक्तराष्ट्र की सदस्यता के बाद पहला संबोधन

संयुक्तराष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद सत्र की बैठक हुई

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 18 July 2020 06:20:10 PM

prime minister's first address after membership of the united nations

न्यूयॉर्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूयॉर्क में संयुक्तराष्ट्र में संयुक्तराष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद यानी ईसीओएसओसी सत्र के इस साल के उच्चस्तरीय खंड को वर्चुअल रूपसे संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत द्वितीय विश्वयुद्ध के फौरन बाद संयुक्तराष्ट्र के 50 संस्थापक सदस्यों में से एक था, उसके बाद से काफी कुछ बदल गया है, आज संयुक्तराष्ट्र 193 सदस्य देशों को साथ लाया है, इसकी सदस्यता के साथ ही इस संगठन से उम्मीदें भी बढ़ी हैं। प्रधानमंत्री का यह 17 जून को 2021-22 के लिए सुरक्षा परिषद के गैर स्थायी सदस्य के रूपमें भारत के भारी मतों के साथ संयुक्तराष्ट्र सदस्यता हासिल किए जाने के बाद पहला संबोधन था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस साल ईसीओएसओसी के उच्चस्तरीय खंड की विषयवस्तु है-कोविड-19 के बाद बहुपक्षवाद: 75वीं वर्षगांठ पर हमें किस प्रकार के संयुक्तराष्ट्र की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि संयोग से संयुक्तराष्ट्र की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ की विषयवस्तु भी संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद की अपनी आगामी सदस्यता के लिए भारत की प्राथमिकता से मेल खाती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने संयुक्तराष्ट्र के विकास कार्यों और ईसीओएसओसी का सक्रिय रूपसे समर्थन किया है, ईसीओएसओसी के पहले अध्यक्ष एक भारतीय थे। उन्होंने कहा कि भारत ने सतत विकास लक्ष्यों समेत ईसीओएसओसी एजेंडे को आकार देने में भी योगदान दिया। उन्होंने कहा कि अपने घरेलू प्रयासों के माध्यम से हम फिर से एजेंडा 2030 और सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में एक प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं, हम विकासशील देशों को उनके सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी सहयोग कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 के बाद के विश्व में एक सुधरे हुए बहुपक्षवाद के लिए भारत के आह्वान को दोहराया, जो समकालीन विश्व की वास्तविकताओं में जाहिर होता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया की आबादी का छठवां हिस्सा भारत में रहता है, हम अपने कर्त्‍तव्य और जिम्मेदारी के प्रति सजग हैं, हम जानते हैं कि अगर भारत अपने विकास के उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल होता है तो यह वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा और इसीलिए हमने अपने राज्यों, हमारी स्थानीय सरकारों, हमारे नागरिक समाज, समुदायों और हमारे लोगों के माध्यम से 'पूरे समाज का' अप्रोच अपनाया है। नरेंद्र मोदी ने ईसीओएसओसी और सतत विकास के लक्ष्यों सहित संयुक्तराष्ट्र के विकास संबंधी कार्यों के साथ भारत की लंबी भागीदारी को याद दिलाया।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत का विकास संबंधी आदर्श वाक्य सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास एसडीजी के कोई भी व्यक्ति पीछे न छूटे के सिद्धांत के साथ मेल खाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की अपनी विशाल जनसंख्या में सामाजिक और आर्थिक संकेतकों में सुधार में सफलता का वैश्विक एसडीजी लक्ष्यों पर खासा प्रभाव पड़ा है। उन्होंने दूसरे विकासशील देशों में उनके एसडीजी लक्ष्यों को पूरा करने में सहायता देने की भारत की प्रतिबद्धता पर भी बात की। नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान के माध्यम से स्वच्छता में सुधार, महिला सशक्तिकरण, वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करना और हाउसिंग फॉर आल कार्यक्रम तथा आयुष्मान भारत योजना जैसी प्रमुख योजनाओं के माध्यम से आवास और स्वास्थ्य की उपलब्धता में विस्तार सहित वर्तमान में जारी विकास संबंधी प्रयासों के बारे में बात की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्यावरण स्थायित्व और जैव विविधता संरक्षण को भारत की प्राथमिकता पर प्रकाश डाला और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन तथा आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन की स्थापना में भारत की अहम भूमिका को याद दिलाया। प्रधानमंत्री ने विभिन्न देशों को दवा की आपूर्ति सुनिश्चित करने में भारत सरकार और भारतीय दवा कंपनियों के सहयोग तथा सार्क देशों के बीच संयुक्त प्रतिक्रिया रणनीति के लिए समन्वय को याद दिलाया। यह दूसरी बार है कि प्रधानमंत्री ने ईसीओएसओसी को संबोधित किया है। उन्होंने इससे पहले जनवरी 2016 में ईसीओएसओसी की 70वीं वर्षगांठ पर हुए कार्यक्रम को संबोधित किया था।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]