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विदेशी मुसलमान भारत में क्यों बुलाए गए?

भारत की तमाम मस्जिदों में छिपाए गए हैं जमाती मुसलमान

तब्लीगी के असली मकसद की एनआईए भी पड़ताल करे!

Monday 1 June 2020 11:14:16 AM

रंजना जैन

रंजना जैन

why were foreign muslims invited to india?

इंडोनेशिया, किर्गिस्तान, मलेशिया, चीन आदि से हज़ारों की संख्या में गरीब लफंगे टाइप के मुसलमान दिल्ली में बुलाए गए। वीसा अवधि समाप्त होने पर ये वापस नहीं गए, बल्कि भारत के तमाम शहरों की मस्जिदों में छिप गए। लगभग 900 तो अभी तक ढूंढे नहीं जा सके हैं। सुनियोजित तरीके से ये पूरे देश मे खपा दिए गए। सोचिए कि अगर देश में कोरोना नहीं फैलता तो क्या इनको कोई ढूंढता? शायद इनके बारे में कोई सोचता भी नही, ढूंढने की तो बात दूर है। असल में किसी की इनमें इतनी रुचि भी नहीं थी कि इनकी ऐसी गतिविधियों पर कोई ध्यान दे और सोचे कि ऐसी कोई जमात या मीटिंग भी होती है और उसका असल मकसद क्या है?
इनका मकसद क्या सिर्फ धार्मिक बातें या मीटिंग करना है? अब यह एक सोचने का विषय बन गया है। कोरोना के पहले इस देश में कितनी बार तब्लीगी जमात या किसी अन्य जमात में कितने विदेशी मुसलमान, कितनी बार, कब-कब बुलाये गए और उनमें से कितने वापस गए, किसी ने कभी सोचा? और ये अपने आप को छिपा क्यों रहे हैं? इनको छिपाने के लिए लगभग सभी जगह डॉक्टरों और पुलिस टीम पर पथराव हो रहा है, एक ही पैटर्न में सुनियोजित तरीके से, क्योंकि अगर पकड़े गए तो गिनती होगी, कागज चेक होंगे, डिपोर्ट कर दिए जाएंगे। एक और बात ध्यान देने की है कि इंडोनेशिया आदि से आए लोगों का मुरादाबाद, बरेली, इलाहाबाद, लखनऊ और देश के अन्य छोटे शहरों में क्या संबंध, जान-पहचान या रिश्तेदारी हो सकती है, जबकि ये हिंदी भी बोलना नहीं जानते हैं?
आप इंडोनेशिया आदि से आए इन लोगों को ध्यान से देखें तो यह कोई बहुत अच्छी हैसियत के लोग भी नहीं दिखते हैं। कोई अगर विदेशी वीसा अवधि के बाद भी वापस नहीं जाता तो उसको 137 करोड़ जनसंख्या वाले देश मे ढूंढना बहुत मुश्किल होता है, खासतौर से अगर उसका उद्देश्य ही इस देश में खपने का हो। देश से निर्वासन करने का तरीका और उसकी कानूनी कार्यवाही बहुत लंबी और पेंचीदगी भरी है। निर्वासन का तरीका और भी जटिल हो जाता है, अगर कोई ऐसा विदेशी भारत में चार शादी करके 26 बच्चे पैदा कर ले, तब उसके परिवार के सभी सदस्यों को कानूनी अधिकार भी मिल जाते हैं, तब पर्सनल लॉ की दुहाई भी दी जाती है। स्थिति साफ होती जा रही है कि धार्मिक मीटिंग की आड़ में क्या चल रहा है? भारत में दारुल हरब से दारुल इस्लाम बनाना ही इनकी रणनीति है। अगर ये सब किसी पुरानी सरकार के वोटबैंक को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य की आड़ में किया जा रहा हो तो मामला एनआईए से गंभीर जांच पड़ताल कराने का बनता है। (रंजना जैन की फेसबुक पोस्ट से साभार)।

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