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रोज़गार बढ़ाने की योजनाओं पर जुटी मोदी सरकार

एमएसएमई की मजबूती सरकार की प्राथमिकता-राजनाथ सिंह

आत्‍मनिर्भर भारत अभियान में हैं रोज़गार के लाखों अवसर

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 22 May 2020 12:40:35 PM

rajnath singh addressing the msmes e-conclave

नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की भूमिका की सराहना की है। उन्होंने नई दिल्‍ली में एसआईडीएम, भारतीय उद्योग परिसंघ और रक्षा उत्पादन विभाग के संयुक्त रूपसे आयोजित एमएसएमई ई-कॉन्क्लेव को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा है कि यह बेहद खुशी की बात है कि एसआईडीएम ने कुशल समन्वय से रक्षा उद्योग के क्षेत्र में डीआरडीओ रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के डिजाइन पीपीई किट, मास्क, वेंटिलेटर के कुलपुर्जों का निर्माण तेज कर दिया है। उन्होंने कहा कि दो महीने से भी कम समय में हमने न केवल अपनी घरेलू मांग को पूरा किया है, बल्कि हम आने वाले समय में पड़ोसी देशों की मदद करने के बारे में भी सोच सकते हैं।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने एमएसएमई को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताया और कहा कि यह जीडीपी वृद्धि को तेज करता है, निर्यात के माध्यम से बहुमूल्‍य विदेशी मुद्रा अर्जित करता है और रोज़गार के अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि एमएसएमई को मजबूत रखना सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है। उन्होंने कहा कि हमारे कई संगठन आयुध कारखानों, डीपीएसयू और सेवा संगठनों में से 8,000 से अधिक एमएसएमई हैं, वे इन संगठनों के कुल उत्पादन में 20 प्रतिशत से अधिक का योगदान करते हैं। रक्षा उद्योग में आने वाली कठिनाइयों को स्वीकार करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि मौजूदा आपूर्ति श्रृंखला में लॉकडाउन और व्यवधान के कारण विनिर्माण क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुआ है और रक्षा क्षेत्र इसके लिए कोई अपवाद नहीं है, बल्कि यह कहा जा सकता है कि रक्षा क्षेत्र अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक बढ़ा हुआ क्षेत्र है, क्योंकि रक्षा उत्पादों की एकमात्र खरीदार सरकार है।
एसआईडीएम ने लॉकडाउन लागू होने के बाद से रक्षा मंत्रालय और सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अनेक बार बातचीत की हैं, जिससे रक्षा उद्योगों की समस्याओं को जानने का मौका मिला है और उनकी रोकथाम के लिए कई सुझाव भी एसआईडीएम को प्राप्त हुए हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए रक्षा मंत्रालय ने उद्योगों, खासकर एमएसएमई के लिए अनेक कदम उठाए हैं जैसे-आरएफपी/ आरएफआई की जवाब देने की तारीखों को बढ़ाना, लंबित भुगतानों का जल्‍द भुगतान इत्यादि। इस संकट में उद्योगों के वित्तीय बोझ को कम करने के लिए सरकार और आरबीआई ने अनेक वित्तीय सहायता उपायों की घोषणा की है। अतिरिक्त कार्यशील पूंजी की उपलब्धता, ब्याज भुगतानों में चूक के कारण ये कुछ राहत प्रदान करेंगे। रक्षामंत्री ने आश्वासन दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आत्‍मनिर्भर भारत अभियान भारतीय उद्योग को अनेक अवसर प्रदान करेगा और लाखों नौकरियों को बहाल करने में मदद करेगा।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ आह्वान का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारे पास अपने स्वदेशी उत्पाद होने चाहिएं, लेकिन इससे पहले हमारे अपने जीवन में लोकल केंद्र बिंदु में होना चाहिए, यानी हमें अपने जीवन में स्वदेशी उत्पादों को अपनाना होगा, इसमें कोई संदेह नहीं है कि स्वदेशी विनिर्माण के लक्ष्य में और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य में एमएसएमई की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। राजनाथ सिंह ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की आत्‍मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत घोषित कुछ उपायों का उल्लेख किया। एमएसएमई के लिए 3 लाख करोड़ का बिना गारंटी का ऋण लगभग 45 लाख इकाइयों को फिर से स्थापित करने और रोज़गार बचाने में प्रभावी होगा। दो लाख एमएसएमई के लिए 20,000 करोड़ रुपये के अधीनस्थ ऋण प्रावधान की घोषणा की गई है, इससे परेशानी में चल रहे एमएसएमई को मदद मिलेगी। जरूरतमंद एमएसएमई को लाभांवित करने के उद्देश्य से मदर-डॉटर फंड के जरिए 50,000 करोड़ रुपये का इक्विटी इन्फ्यूजन प्रदान किया जाएगा।
एमएसएमई इकाइयों की क्षमता बढ़ाने और विपणन के लिए 10,000 करोड़ रुपये का फंड ऑफ फंड्स स्थापित किया जा रहा है, इसीलिए एमएसएमई की परिभाषा को संशोधित किया गया है, ताकि एमएसएमई का विस्तार किया जा सके, साथ ही विनिर्माण और सेवा क्षेत्र एमएसएमई के बीच कोई अंतर नहीं होगा। दो सौ करोड़ रुपये या उससे कम मूल्य के सरकारी अनुबंध (खरीद) में वैश्विक निविदाओं की अनुमति नहीं होगी। इससे एमएसएमई को अपना कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी। कोविड-19 के कारण व्यापार मेलों में भाग लेने में असमर्थ होने की स्थिति में ई-मार्केट लिंकेज सुनिश्चित किए जाएंगे। सरकार और पीएसयू अगले 45 दिन में सभी बकाया भुगतान की मंजूरी भी सुनिश्चित करेंगे। ई-सम्‍मेलन की विषयवस्‍तु बिज़नेस कंटीन्यूइटी फॉर एमएसएमई इन डिफेंस एंड एयरोस्पेस सेक्टर थी, जिसमें 800 से अधिक रक्षा एमएसएमई ने भाग लिया। अमेरिका के उदाहरण का हवाला देते हुए द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान दो वर्ष के भीतर घरेलू रक्षा उद्योग विकसित हुआ, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा कि भारत का अपना रक्षा उद्योग होना चाहिए।
जनरल बिपिन रावत ने एमएसएमई से भारत को रक्षा प्रौद्योगिकियों में शीर्ष दस देशों में रखने के लिए काम करने का आग्रह किया। रक्षा उत्पादन सचिव राज कुमार ने रक्षा विनिर्माण उद्योग में आने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए किए गए उपायों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डीपीएसयू को एमएसएमई का भुगतान करने को कहा गया है और यह भी घोषणा की कि उनका उत्पादन लक्ष्य कम नहीं किया गया है। वित्तमंत्री के घोषित सुधारों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि ये उपाय 2025 तक 25 बिलियन अमरीकी डालर के रक्षा उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेंगे। इस अवसर पर एसआईडीएम के अध्यक्ष जयंत डी पाटिल, एसआईडीएमके पूर्व अध्यक्ष बाबा एन कल्याणी, सीआईआईके महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी, रक्षा मंत्रालय, आयुध फैक्‍टरी बोर्ड, डीपीएसयू के वरिष्ठ नागरिक और सैन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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