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मोबाइल उपभोक्‍ता पूरी तरह से सुरक्षित!

'किसी तरह की निगरानी या निजता का उल्‍लंघन नहीं'

दूरसंचार विभाग का मीडिया में खबरों पर स्‍पष्‍टीकरण

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 19 March 2020 05:49:22 PM

mobile consumer completely safe

नई दिल्ली। दूरसंचार विभाग ने मोबाइल उपभोक्‍ताओं की निजता के उल्‍लंघन के बारे में मीडिया में छपी कुछ खबरों पर जैसे सरकार की निर्धारित मानक संचालन प्रक्रियाओं से हटकर दूरसंचार विभाग ने टेलीकाम सेवा प्रदाता कंपनियों से फरवरी 2020 में कुछ मार्गों पर कुछ दिनों के कॉल रिकार्ड के डेटा मांगे थे, जो विभाग के इरादे के बारे में संदेह पैदा करते हैं पर स्‍पष्‍टीकरण देते हुए कहा है कि उसने इन खबरों का संज्ञान लेते हुए इनके समाधान के लिए उपाय कर लिए हैं। दूरसंचार विभाग ने कहा है कि बड़ी संख्‍या में उपभोक्‍ताओं की ओर से टेलीकाम नेटवर्क की गुणवत्ता, काल ड्राप, लाइन पर शोर, क्रास कनेक्‍शन या बीच में ही नेटवर्क संपर्क टूट जाने जैसी कई शिकायतें मिली हैं, जिसपर दूरंसचार विभाग ने सेवाप्रदाताओं के साथ मिलकर मोबाइल नेटवर्क के इन डार्क स्‍पाट एरिया यानी समस्‍याओं वाली जगहों की पहचान करके उनके सुधार के प्रयास किए हैं।
टेलीकाम टावरों का कवरेज क्षेत्र पर्याप्‍त नहीं होने की वजह से भी काल ड्राप की समस्‍या आती है। इस बात को ध्‍यान में रखते हुए अतिरिक्‍त मोबाइल टावर लगाने, चलित मोबाइट टावर खड़े करने तथा सेवाओं की कवरेज और गुणवत्ता क्षमताओं को मापने एवं उनका आकलन करने जैसे विभिन्‍न प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा विभाग ने खास तरह की समस्‍याओं और मार्गों पर जहां कॉल ड्राप्‍स की समस्‍या सबसे अधिक है की पहचान करने के लिए स्‍वदेशी तकनीक वाला एक अनोखा साफ्टवेयर विकसित किया है, जो सटीक तरीक से इन समस्‍याओं का पता लगाने में सक्षम है। मोबाइल नेटवर्कों की गुणवत्ता का पता लगाने के प्रयोजन से किसी भी मोबाइल टावर के कवरेज क्षेत्र में मोबाइल से किए गए कॉल के डेटा की इस बात की जांच की जाती है कि कहीं कॉल करने के 30 सेकेंड के अंदर ऐसी काल खुद ब खुद ड्राप तो नहीं हो जाती, जिससे ग्राहक को दोबारा से उसी नंबर पर कॉल करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इस तरह के कॉल और विशिष्‍ट क्षेत्रों में कॉल ड्रॉप्‍स की सटीक जानकारी हासिल करने के लिए बिग डेटा एनालिटिक्‍स तकनीक का उपयोग किया जा सकता है।
दूरसंचार विभाग टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं के साथ मिलकर वास्‍तविक डेटा उपलब्‍ध होने पर बेहतर काम कर सकता है। इस प्रयोजन के लिए पहचान किए गए सेल फोन टॉवर के स्‍थानों से किसी विशेष समयावधि के दौरान किए गए कॉल का कुल डेटा जहां से शिकायतें प्राप्‍त होती हैं, विश्‍लेषण को और सटीक बनाने के लिए एकत्र किया जाता है। दूरसंचार विभाग ने ऐसे डेटा एकत्र करने के अपने इरादे पर स्‍पष्‍टीकरण देते हुए कहा कि ये उस किस्‍म के डेटा हैं, जिसमें कॉल करने वाले या कॉल रिसीव करने वाले का नाम नहीं होता, ऐसे में इसमें निजता के उल्‍लंघन का कोई मामला नहीं बनता। इन डेटा के जरिए किसी की व्‍यक्तिगत जानकारी नहीं जुटाई गई है और न ही किसी खास मोबाइल नंबर पर नज़र रखी गई है। इसी तरह से कॉल ड्राप के विवरण भी केवल वैसे उपभोक्‍ताओं के लिए गए हैं, जिन्‍होंने किसी ऐसे खास मोबाइल टावर क्षेत्र से कॉल किया है, जिसके बारे में कॉल ड्राप की शिकायतें मिली हैं। दूरसंचार विभाग ने कहा है कि ऐसे मामलों में फोन करने वाले या जिसे फोन किया गया है दोनों में से किसी के भी नाम या पते की जानकारी इकठ्ठा नहीं की गई है। फोन पर की गई बातचीत का ब्‍यौरा भी एकत्र नहीं किया गया है।
कॉल ड्रॉप के कुल आंकड़ों में उन कॉल को भी शामिल किया जाता है, जो कॉल करने के 30 सेकेंड के अंदर ड्राप हो जाती हैं, जिसकी वजह से फोन करने वाले को दोबारा उस नंबर पर तुरंत फोन करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। दूरसंचार विभाग के अनुसार कॉल ड्राप के मामलों की पहचान करने और इस समस्‍या का समाधान निकालने का यह एक अभिनव तरीका है। दूरसंचार विभाग के अनुसार इस प्रयास में किसी भी मोबाइल उपभोक्‍ता की निजता का उल्‍लंघन नहीं होता। उपभोक्‍ता की पहचान नहीं होती, केवल उसकी कॉल किस मोबाइल टॉवर कवरेज क्षेत्र से हुई इस इसकी जानकारी मिलती है। दूरसंचार विभाग ने कहा कि भारतीय टेलीग्राफ नियम-1951 के नियम 419 के तहत नेटवर्क गुणवत्ता सुधार के लिए उसे ऐसे आंकड़े एकत्र करने का अधिकार है, जिसके लिए उसने खुद ही एक मानक संचालन प्रक्रिया तय की है, जिसके तहत आंकड़े इकट्ठा करने के पहले किसी भी वरिष्‍ठ अधिकारी से उसकी अनुमति लेना अनिवार्य बनाया गया है। इसके साथ ही ऐसे डेटा महज तीन से छह घंटे की छोटी अवधि के लिए एकत्र करने का फैसला लिया गया है, इसलिए सभी मोबाइल उपभोक्‍ताओं को आश्‍वस्‍त किया जाता है कि यह प्रक्रिया केवल नेटवर्क गुणवत्ता सुधार के लिए है। इसके लिए जो भी डेटा एकत्र किए गए हैं, उनमें उपभोक्‍ताओं की कोई निजी जानकारी नहीं है साथ ही उनके कॉल पर कोई निगरानी नहीं रखी जा रही।

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