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'भारतीय सिविल सेवा सरदार पटेल की ऋणी'

हमें राष्‍ट्र के लिए मिल-जुलकर काम करना है-प्रधानमंत्री

केवड़िया में प्रशिक्षु अधिकारियों से प्रधानमंत्री का संवाद

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 1 November 2019 01:25:11 PM

pm narendra modi

केवड़िया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग और लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी मसूरी के संयुक्त रूपसे आयोजित 94वें सिविल सेवा फाउंडेशन कोर्स के 430 प्रशिक्षु अधिकारियों के साथ गुजरात के केवड़िया में संवाद किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री को अपनी तरह के पहले सप्‍ताहभर चलने वाले अनूठे व्‍यापक फाउंडेशन कोर्स ‘आरंभ’ के बारे में अवगत कराया गया। प्रधानमंत्री के समक्ष पारस्‍परिक संवादात्‍मक सत्र के दौरान प्रशिक्षु अधिकारियों ने 5 विषयगत क्षेत्रों कृषि एवं ग्रामीण सशक्तिकरण, स्‍वास्‍थ्‍य सेवा संबंधी सुधारों एवं नीति निर्माण, टिकाऊ ग्रामीण प्रबंधन तकनीकों, समावेशी शहरीकरण और शिक्षा के भविष्‍य पर प्रस्‍तुतियां दीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्‍व बैंक के अध्‍यक्ष डेविड मालपास, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, कैबिनेट सचिव, इंस्‍टीट्यूट ऑफ फ्यूचर एवं यूनिवर्सिटी ऑफ डायवर्सिटी के विद्वानों एवं विश्‍लेषकों ने विषयगत मुद्दों पर संचालित विभिन्‍न सत्रों की मुख्‍य बातों से भी अवगत कराया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक प्रशंसनीय बात है कि यह कोर्स 31 अक्‍टूबर को सरदार वल्‍लभभाई पटेल की जयंती पर आयोजित किया जा रहा है, जिन्‍हें भारतीय सिविल सेवाओं का जनक माना जाता है। उन्‍होंने कहा कि भारतीय सिविल सेवा काफी हदतक सरदार पटेल की ऋणी है। प्रधानमंत्री ने ‘आरंभ’ फाउंडेशन कोर्स को भविष्‍य पर केंद्रित एक ऐसा पाठ्यक्रम बताया, जिसमें प्रशासन में व्‍यापक बदलाव लाने की अपार क्षमता है। उन्होंने कहा कि यह पाठ्यक्रम राष्‍ट्र केंद्रित एवं भविष्‍य केंद्रित है, यह प्रशासन में इस तरह का व्‍यापक बदलाव लाने का मार्गप्रशस्‍त करेगा, जिसके तहत लोग अलग-थलग रहकर काम करना बंदकर देंगे, इसके विपरीत लोग एकसाथ मिलकर और व्‍यापक तरीके से काम करेंगे। उन्‍होंने कहा कि प्रणाली में अलग-थलग रहकर काम करने और पदानुक्रम को हटाने की कोशिश करनी चाहिए, अलग-थलग रहकर कार्य करने और पदानुक्रम से हमारी प्रणाली को कोई मदद नहीं मिलती है। उन्होंने कहा कि हम चाहे जो भी हों, हम चाहे जहां भी हों, हमें राष्‍ट्र के लिए मिल-जुलकर काम करना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रशिक्षुओं का आह्वान करते हुए कहा कि वे चीजों को देखने के तरीके में बदलाव लाएं। उन्‍होंने कहा कि कभी-कभी शब्दावली में परिवर्तन भी परिप्रेक्ष्य को बदलने में मदद करती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे पहले लोग पिछड़े जिले कहा करते थे, अब हम आकांक्षी जिले कहते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी पोस्टिंग को सजा वाली पोस्टिंग के रूपमें क्यों देखा जाना चाहिए, क्‍यों नहीं इसे अवसर वाली पोस्टिंग के रूपमें देखा जाना चाहिए। प्रशिक्षु अधिकारियों की प्रतिबद्धता एवं उनके नए विचारों की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने उम्‍मीद जताई कि सर्वोत्तम वैश्विक तौर-तरीकों और प्रौद्योगिकियों पर आयोजित इस अनूठे प्रशिक्षण कोर्स से मिली ठोस जानकारियां नीति निर्माण और लोक प्रशासन में आगे उनके करियर में लाभप्रद साबित होंगी।

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