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बाबा भलकु की स्मृति में साहित्यिक रेल यात्रा

हिमालय साहित्य, संस्कृति एवं पर्यावरण मंच का आयोजन

लेखकों ने देखी अविस्मरणीय कालका-शिमला रेल धरोहर

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 12 August 2019 04:34:24 PM

literary train journey in memory of baba bhalku

शिमला। विश्व धरोहर के रूपमें विख्यात शिमला-कालका रेलवे में अनपढ़ इंजीनियर बाबा भलकु की स्मृति में हिमालय साहित्य, संस्कृति एवं पर्यावरण मंच ने 33 लेखकों और संस्कृतिकर्मियों के सहयोग से अनूठी साहित्यिक यात्रा और गोष्ठी का आयोजन किया। बाबा भलखू कालका-शिमला रेलवे के जनक कहे जाते हैं। हिमालय मंच के अध्यक्ष और लेखक एसआर हरनोट का कहना है क‌ि‌ भलकु चायल के समीप झाझा गांव का एक अनपढ़, किंतु विलक्षण प्रतिभा संपन्न ग्रामीण था, जिसकी सलाह और सहयोग से अंग्रेज इंजीनियर शिमला-कालका रेलवे लाइन के निर्माण में सफल हो पाए थे। एसआर हरनोट ने यात्रा के उद्देश्य, कार्यक्रम की रूपरेखा और बाबा भलकु के योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला।
बड़ोग में उत्तरी रेलवे अम्बाला के मंडल रेल प्रबंधक दिनेश सी शर्मा ने लेखकों और संस्कृतिकर्मियों से मुलाकात की और पुष्पमालाएं पहनाकर उनका अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि रेलवे इस यात्रा से प्रेरणा लेकर आगामी दिनों में अपने स्तरपर भी साहित्यिक गोष्ठियां आयोजित करने की योजना बना रहा है। उन्होंने कालका शिमला रेल पर हाल ही में प्रकाशित रेलवे कॉफ़ी टेबल बुक की एक प्रति एसआर हरनोट को भेंट की। लेखकों और संस्कृतिकर्मियों में राजीव पंत, कौमुदी ढल, मैदान हिमाचली, हेमंत अत्रि, संजीव, मधु कौशक, आदित्य, दया राम, जावेंद्र दीक्षित, देविंदर वर्मा, नवीन वर्मा और ललित वर्मा शामिल थे।
रेलवे स्टेशनों के नाम से सभी साहित्यिक सत्र आयोजित किए गए। पहला सत्र कहानी विधा को समर्पित शिमला स्टेशन के नाम था, जिसकी अध्यक्षता कथाकार सुदर्शन वशिष्ठ ने की और बद्री सिंह भाटिया, विद्या निधि, दीप्ति सारस्वत एवं देविना अक्ष्यवर ने कहानियां पढ़ीं। इस सत्र का संचालन आत्मा रंजन ने किया। दूसरा सत्र कैथलीघाट के नाम से था, जो कविता पाठ के लिए समर्पित था। इसकी अध्यक्षता प्रोफेसर मिनाक्षी एफ पॉल ने की और संचालन कौशल मुंगटा ने किया। आत्मा रंजन, गुप्तेश्वरनाथ उपाध्याय, मोनिका छट्टू और शांतिस्वरुप शर्मा ने इस सत्र में कविता पाठ किया। कंडाघाट सत्र ग़ज़ल पाठ एवं गायन विधा को समर्पित रहा, जिसकी अध्यक्षता सतीश रत्न ने की और संचालन सीताराम शर्मा ने किया। नरेश देयोग, कुलदीप गर्ग तरुण, राकेश कुमार सिंह, धनंजय सुमन, वंदना राणा और किरण गुलेरिया ने ग़ज़ल व गीत पाठ एवं सोलन के रचनाकारों ने कविता पाठ किया।
शिमला स्टेशन तक कविता के तीन सत्र आयोजित किए गए थे, जो सोलन, कनोह और तारादेवी स्टेशनों के नाम पर थे। इनकी अध्यक्षता कुल राजीव पंत, विद्या निधि और बद्री सिंह भाटिया ने की और संचालन दिनेश शर्मा, देवकन्या ठाकुर और शांतिस्वरूप शर्मा ने किया। कविता पाठ करने वालों में विनोद बिट्ठल, भारती कुठियाला, सीताराम शर्मा, प्रियंवदा शर्मा, दिनेश शर्मा, स्नेह नेगी, सुनील शर्मा, कल्पना गांगटा, मधु शर्मा, अश्विनी कुमार, डॉ हेमराज कौशिक और आनंद प्रकाश हैं। लेखकों का यह दल बाबा भलकु के पैत्रिक गांव झाझा भी गया, उनके परिवार से मिला, उनके पुश्तैनी मकान का दर्शन किया और स्थानीय लोगों से संवाद किया तथा साहित्यिक गोष्ठियां आयोजित कीं।

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