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लोकतंत्र के लिए मेरी सबसे बहुत अपेक्षाएं-मोदी

'निष्‍पक्षभाव से जनकल्‍याण को प्राथमिकता देने का संकल्प'

'नई लोकसभा में नई उमंग, नया उत्‍साह और नए सपने'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 17 June 2019 03:05:46 PM

pm narendra modi

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत के लोकतंत्र की विशेषताएं क्‍या हैं, ताकत क्‍या है? हर चुनाव में हम उसको अनुभव करते हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद संसदीय चुनाव में सबसे ज्‍यादा मतदान, सबसे ज्‍यादा महिला प्रतिनिधियों का चुनना, पहले की तुलना में बहुत अधिक महिलाओं द्वारा मतदान करना, अनेक विशेषताओं से भरा हुआ ये लोकसभा चुनाव रहा है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि कई दशकों के बाद एक सरकार को दोबारा पूर्ण बहुमत के साथ और पहले से अधिक सीटों के साथ जनता-जनार्दन ने सेवा करने का अवसर दिया है। प्रधानमंत्री ने ये बातें आज नई लोकसभा के गठन के बाद प्रथम सत्र प्रारंभ होने पर कहीं। उन्होंने कहा कि यह अनेक नए साथियों के परिचय का अवसर है और जब नए साथी जुड़ते हैं तो उनके साथ नई उमंग, नया उत्‍साह और नए सपने भी जुड़ते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारा विगत पांच वर्ष का अनुभव है कि जब सदन चला है, तंदुरूस्‍त वातावरण में चला है, तब देशहित के निर्णय भी बहुत अच्‍छे हुए हैं, उन अनुभवों के आधार पर मैं आशा करता हूं कि सभी दल बहुत ही उत्तम प्रकार की चर्चा के साथ जनहित के फैसले और जनाकांक्षाओं की पूर्ति की दिशा में आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि हमने यात्रा प्रारंभ की थी-सबका साथ सबका विकास से, लेकिन देश की जनता ने सबका साथ सबका विकास के अंदर एक अद्भुत विश्‍वास भर दिया है और उस विश्‍वास को लेकर सामान्‍य मानव की आशा आकांक्षाओं को पूरा करने के संकल्‍प से हम जरूर आगे बढ़ने का प्रयास करेंगे। नरेंद्र मोदी ने कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष का होना, विपक्ष का सक्रिय होना, विपक्ष का सामर्थ्‍यवान होना लोकतंत्र की अनिवार्य शर्त है और मैं आशा करता हूं कि प्रतिपक्ष के लोग नंबर की चिंता छोड़ देंगें, देश की जनता ने जो उनको नंबर दिया सो दिया, हमारे लिए उनका हर शब्‍द मूल्‍यवान है, उनकी हर भावना मूल्‍यवान है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब हम सदन की चेयर पर बैठते हैं, एमपी के रूपमें बैठते हैं, तब पक्ष-विपक्ष से ज्‍यादा निष्‍पक्ष का पक्ष बहुत महत्व रखता है। उन्होंने कहा कि मुझे विश्‍वास है कि पक्ष और विपक्ष के दायरे में बंटने की बजाय निष्‍पक्ष भाव से जनकल्‍याण को प्राथमिकता देते हुए हम इन 5 साल में सदन की गरिमा बनाए रखने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि सदन में पहले की तुलना में अधिक जनहित के कामों में अधिक ऊर्जा, अधिक गति और अधिक सामूहिक चिंतन का भाव प्रकट करने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि सदन में कई सदस्‍य बहुत ही उत्तम विचार रखते हैं, बहस को बहुत प्राणवान बनाते हैं, लेकिन चूंकि ज्‍यादातर वो रचनात्‍मक होते हैं इसलिए उसका और टीआरपी का मेल नहीं होता है, लेकिन कभी-कभी टीआरपी से ऊपर भी ऐसे सदस्‍यों को अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि अगर कोई सांसद सदन में सरकार की आलोचना भी बहुत तर्कबद्ध करता है तो उससे लोकतंत्र को बल मिलता है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस लोकतंत्र को बल देने में आप सबसे मेरी बहुत अपेक्षाएं हैं। उन्होंने कहा कि अगर सकारात्‍मक भूमिका होगी, सकारात्‍मक विचारों को बल देंगे तो सदन में भी सकारात्‍मक वातावरण विकसित होगा, इसलिए देश के सामान्‍य मानव की आशा-आकांक्षाओं को पूर्ण करने में हम कहीं कमी न रखें।

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