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दिल्‍ली में अस्तित्‍व: प्रभाकर बरवे की महक प्रदर्शनी

संग्रहालय हमारे पूर्वजों के सम्‍मान के प्रतीक-संस्‍कृति राज्‍यमंत्री

प्रभाकर बरवे की कई चरणों में कलात्‍मक कृतियां प्रदर्शित

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 14 June 2019 03:39:05 PM

prahalad singh patel visiting after inaugurating the exhibition

नई दिल्‍ली। भारत सरकार में स्‍वतंत्र प्रभार संस्‍कृति और पर्यटन राज्‍यमंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने दिल्‍ली की राष्‍ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा में ‘अस्तित्‍व: प्रभाकर बरवे की महक’ प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। संस्‍कृति मंत्री ने संग्रहालय के महत्‍व की चर्चा करते हुए कहा कि अपने इतिहास की झलक पाने के लिए संग्रहालयों की आवश्‍यकता है, ताकि हम इनसे सीख लेकर जीवन में आगे बढ़ सकें। उन्होंने कहा कि संग्रहालय हमारे पूर्वजों के सम्‍मान के प्रतीक के रूपमें काम करते हैं। उन्‍होंने कहा कि प्रकृति और कला की ओर बढ़ने से हमारे दिमाग को शांति मिलती है और अहंकार खत्‍म होता है, इसीलिए हमें अपनी कला और गुरु का सम्‍मान करना चाहिए।
अस्तित्‍व: प्रभाकर बरवे की महक प्रदर्शनी दिल्‍ली में आयोजित अपनी तरह की पहली प्रदर्शनी है, जिसमें चार अलग-अलग चरणों में कलात्‍मक कृतियों को प्रदर्शित किया गया है। इसकी शुरुआत रूप तंत्र से हुई, जिसमें सर जेजे स्‍कूल ऑफ आर्ट से शुरु किए गए प्रभाकर बरवे के कार्यों और उनके तांत्रिक रूपमें बदलाव को दिखाया गया है। वीवर्स सर्विस सेंटर में उनके कार्यकाल के दौरान कलाकार द्वारा तैयार डिजाइन और वस्‍त्रों पर किए गए कार्यों को प्रदर्शित किया गया है, जो प्रभाकर बरवे के डिजाइनों को तंत्र में और उसके बाद उनके स्‍वतंत्र में बदलते हुए दर्शाते हैं। उनके कार्यों में अलौकिक परिवर्तन की झलक मिलती है। प्रदर्शनी में 1958 से 1977 तक के उनके कार्यों को शामिल किया गया है। अगले दो खंड रूप अर्थ और रूप तत्‍व हैं। रूप अर्थ में कलाकार के ज्ञान संबंधी बदलाव की झलक दिखाई देती है, चित्रकारी में प्रभाकर बरवे की 1972 से 1988 तक की सृजनात्‍मकता का मिश्र है। रूप तत्‍व में उनके कार्य मेनी आइडेंटीटीस ऑफ द सेल्‍फ के दृष्‍टांत हैं, जिसमें 1980 के दशक के आखिरी दिनों से लेकर उनके अधूरे कैनवस तक शामिल किए गए हैं।
प्रदर्शनी के आकर्षण का केंद्र रूप विचार खंड है, जिसमें प्रभाकर बरवे की 52 डायरियों को प्रदर्शित किया गया है। इसमें डायरी के पन्‍ने, एनीमेटिड वीडियो और डायरियों की फिर से तैयार प्रतिकृतियां हैं, साथ ही दस्‍तावेजी घटनाक्रम में कलाकार के जीवन को शामिल किया गया है। यह प्रदर्शनी रविवार 28 जुलाई 2019 तक जनता के लिए खुली रहेगी। इसे मंगलवार से शुक्रवार तक सुबह 11 बजे से शाम 6.30 बजे तक और शनिवार और रविवार को सुबह 11 से रात 8 बजे तक देखा जा सकता है। सोमवार को दीर्घा बंद रहेगी।

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