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सरकारी आवास पर अवैध कब्जे के विरुद्ध कानून

अनधिकृत लोगों की बेदखली संशोधन विधेयक प्रस्ताव मंजूर

संसद के इसी सत्र में पेश होगा बेदखली संशोधन विधेयक

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 13 June 2019 01:55:50 PM

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नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक परिसर अनधिकृत लोगों की बेदखली संशोधन विधेयक-2019 के नाम से एक नया विधेयक पेश करने को मंजूरी दे दी है। पुरानी व्यवस्‍था में संशोधनों से सरकारी आवासों पर अवैध रूपसे कब्‍जा जमाए बैठे लोगों को बड़ी आसानी एवं तेजी से बेदखल करने में मदद मिलेगी और इस तरह से खाली होने वाले आवास प्रतीक्षा सूची में अपनी बारी का इंतजार कर रहे पात्र लोगों को आवंटन के लिए उपलब्‍ध हो जाएंगे। इससे सरकारी आवास की सुविधा पाने की प्रतीक्षा अवधि भी कम हो जाएगी। यह देश के नागरिकों के लिए एक पारदर्शी और बाधा रहित गवर्नेंस के प्रति सरकार की कटिबद्धता को दर्शाने वाला एक और महत्‍वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है।
नया बेदखली विधेयक सार्वजनिक परिसर अनधिकृत लोगों की बेदखली संशोधन विधेयक-2017 के स्‍थान पर लाया गया है। यह विधेयक संसद के इसी सत्र में पेश किया जाएगा। विधेयक में सार्वजनिक परिसर अनधिकृत लोगों की बेदखली अधिनियम 1971 की धारा 2, धारा 3 और धारा 7 में संशोधन करने की बात कही गई है। इसके लिए धारा 2 में अनुच्‍छेद (एफबी) से पहले अनुच्‍छेद (एफए), धारा 3 की धारा 3ए के नीचे एक नई धारा 3बी और सार्वजनिक परिसर अनधिकृत लोगों की बेदखली अधिनियम 1971 की धारा 7 के तहत उप-धारा (3) के नीचे एक नई उप-धारा 3ए जोड़ने की बात कही गई है। प्रस्‍तावित संशोधनों से संपदा अधिकारी सरकारी आवासों पर अवैध रूप से कब्‍जा जमाए बैठे लोगों की बेदखली के लिए बिना विलंब के कार्रवाई करने और मुकदमेबाजी की अवधि के दौरान सरकारी आवास पर कब्‍जा बनाए रखने के एवज में क्षति प्रभार लगाने में समर्थ हो जाएंगे।
बेदखली विधेयक से सरकारी आवासों पर अवैध रूप से कब्‍जा जमाए बैठे लोगों को तेजी से बेदखल करना और इसके साथ ही पात्र व्‍यक्तियों के लिए सरकारी आवासों की उपलब्‍धता बढ़ाना संभव हो जाएगा। दरअसल भारत सरकार को पीपीई अधिनियम-1971 के प्रावधानों के तहत सरकारी आवासों पर अवैध रूप से कब्‍जा जमाए बैठे लोगों को बेदखल करना है। अभी तक बेदखली की कार्रवाई में असामान्‍य रूपसे लंबा समय लगता है। इस वजह से नए अथवा पात्र लोगों के लिए सरकारी आवासों की उपलब्‍धता घट जाती है। वर्तमान पीपीई अधिनियम-1971 जिसमें पीपीई अधिनियम विधेयक-2015 के जरिए संशोधन किया गया है, के तहत बेदखली की प्रक्रिया में लगभग 5 से 7 हफ्तों का समय लग जाता है। अवैध रूपसे कब्जा जमाए बैठे लोगों को बेदखल करने में बेहद लंबा समय, यहां तक कि कई वर्ष भी लग जाते हैं। प्रस्‍तावित विधेयक के तहत संपदा अधिकारी को अब नोटिस भेजने, कारण बताओ नोटिस भेजने और जांच करने जैसी लंबी-चौड़ी प्रक्रियाओं का पालन नहीं करना होगा, बल्कि वे तत्‍काल बिना किसी विलंब के बेदखली प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।

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