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यूपी और महाराष्ट्र एक-दूजे के लिए-नाईक

चित्रकारों के सम्मान के साथ कार्यशाला का समापन

चित्रकारों ने राजभवन में मनमोहक चित्र बनाए

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 11 June 2019 11:59:00 AM

completion of painting workshop in raj bhavan

लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक ने राजभवन में पांच दिवसीय चित्रकला कार्यशाला का चित्रकारों के सम्मान के साथ समापन किया। समापन समारोह में राज्यपाल ने कलाकारों को अंग वस्त्र, प्रमाण पत्र, पांच-पांच हजार रुपये की धनराशि तथा अपनी पुस्तक चरैवेति! चरैवेति!! की प्रतियां बतौर यादगार प्रदान कीं। उल्लेखनीय है कि ललित कला अकादमी, राष्ट्रीय कला संस्थान नई दिल्ली तथा संस्कार भारती उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में राजभवन में 6 जून से 10 जून 2019 तक पांच दिवसीय कला कार्यशाला आयोजित की गई थी, जिसमें कलाकारों ने मुख्यतः राज्यपाल एवं राजभवन की इमारत के चित्र बनाए थे।
राज्यपाल ने इस मौके पर कहा कि मेरा फोटो सुंदर है पर यदि मैं और सुंदर होता तो चित्र भी ज्यादा सुंदर होता, सभी कलाकारों ने चित्रकारी में अपनी असीमित कल्पना शक्ति का प्रयोग करके सुंदर चित्र बनाए हैं। राज्यपाल ने कहा कि विश्व में भारत की पहचान कला से भी है, भारत में कला का समृद्ध इतिहास है, हमारे देश में 64 कलाएं विद्यमान हैं, कलाओं की गौरवशाली परम्परा को आज भी गुफाओं में देखा जा सकता है। राज्यपाल ने कहा कि 22 जुलाई 2014 को जब उन्होंने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के पद की शपथ ली थी तो उन्होंने राजभवन के दरवाजे सभी के लिए खोलकर इन 5 साल में 30 हजार से ज्यादा लोगों से भेंट की। उन्होंने कहा कि राजभवन वास्तव में केवल राज्यपाल का ही नहीं बल्कि पूरे समाज का है, राजभवन की सुंदरता चित्रों के माध्यम से और ज्यादा सुंदर होकर बाहर आई है।
राम नाईक ने कहा कि राज्यपाल पद संभालने के बाद उन्होंने कहा था कि वे महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के बीच सेतु का काम करेंगे, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र एकदूजे के लिए हैं। उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों के बीच प्राचीन संबंध हैं, मुंबई को आर्थिक राजधानी बनाने में उत्तर भारतीयों का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीरामचंद्र ने वनवास के लिए पहले महाराष्ट्र की पंचवटी को ही चुना था, इसी प्रकार छत्रपति शिवाजी का राज्याभिषेक काशी के विद्वान गागा भट्ट ने किया था। राज्यपाल ने कहा कि 1857 में स्वतंत्रता संग्राम उत्तर प्रदेश से शुरु हुआ पर इसमें रानी लक्ष्मीबाई, लोकमान्य बालगंगाधर तिलक जैसे अनेक महानुभाव ऐसे थे, जिनका रिश्ता महाराष्ट्र से था। उन्होंने कहा कि चित्रकला कार्यशाला का राजभवन में आयोजन अपने में महत्वपूर्ण कार्यक्रम है, चित्रकला कार्यशाला महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश को एक-दूसरे के और भी करीब लाने का प्रयास है।
राजभवन में कला कार्यशाला के सभी प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। कार्यशाला में प्रतिभाग करने वाले कलाकारों में सांगली महाराष्ट्र से मांगेश आनंदराव पाटील, औरंगाबाद महाराष्ट्र से नानासाहेब भाउसाहेब येओले, पुणे महाराष्ट्र से उत्तम रामचंद्र साठे, लखनऊ उत्तर प्रदेश से अमित कुमार, महाराष्ट्र से मनोज कुमार एम सकाले, लखनऊ उत्तर प्रदेश से भारत भूषण शर्मा, उत्तर प्रदेश से कमलेश्वर शर्मा, महाराष्ट्र से सत्यजीत वारेकर, पुणे महाराष्ट्र से मंजरी मोरे एवं पुणे महाराष्ट्र से सुरभि के गुलवेलकर थे। राज्यपाल की पत्नी कुंदा नाईक, महापौर लखनऊ संयुक्ता भाटिया, राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव हेमंत राव, पद्मश्री बाबा योगेंद्र, संस्कार भारती के संगठन मंत्री गिरीश चंद्र, ललित कला अकादमी के धर्म सिंह और बड़ी संख्या में कलाप्रेमी उपस्थित थे।

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