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सीसीआई ने लगाया दवा संघों व कंपनियों पर जुर्माना

मेसर्स मध्य प्रदेश केमिस्ट्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन ने दी थी सूचना

प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002 के प्रावधानों के उल्लंघन का गंभीर आरोप

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 6 June 2019 05:14:25 PM

indian competing commission

नई दिल्ली। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने मध्य प्रदेश केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन, इंदौर केमिस्ट एसोसिएशन, हिमालय ड्रग कंपनी और इंटास फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड के साथ-साथ उनके कुछ पदाधिकारियों और अधिकारियों को भी प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002 के प्रावधानों का उल्लंघन करने का दोषी पाया है। आयोग ने अधिनियम की धारा 27 के तहत इन संघों के कार्यकलापों पर रोक लगाने का निर्देश जारी करने के अलावा एमपीसीडीए पर 4,18,404 रुपये और आईसीए पर 39,142 रुपये का मौद्रिक जुर्माना लगाया है। इन संघों के कुछ पदाधिकारियों की भूमिका को ध्यान में रखते हुए इनपर जुर्माना लगाया गया है। आयोग ने हिमालय ड्रग कंपनी और इंटास फार्मास्युटिकल लिमिटेड के प्रतिस्‍पर्धारोधी कारकों को ध्यान में रखते हुए इनपर क्रमशः 18,59,58,000 रुपये और 55,59,68,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। इनके कुछ पदाधिकारियों पर भी जुर्माना लगाया है। हालांकि आयोग को कुछ अन्य संघों और दवा कंपनियों की ओर से प्रावधानों का उल्लंघन करने का कोई सबूत नहीं मिला।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने एमपीसीडीए को अपने सदस्यों के लिए मध्य प्रदेश में छह माह की अवधि में कम से कम पांच प्रतिस्‍पर्धा जागरुकता और अनुपालन कार्यक्रम आयोजित करने का भी निर्देश दिया है। इसी तरह आयोग ने आईसीए को इंदौर जिले में एक प्रतिस्‍पर्धा जागरुकता कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही आयोग ने एचडीसी और आईपीएल को एक प्रतिस्‍पर्धा अनुपालन कार्यक्रम शुरु करने और आयोग के समक्ष अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का भी निर्देश दिया। आयोग ने इस आशय की कार्रवाई तब की है, जब मेसर्स मध्य प्रदेश केमिस्ट्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन ने आयोग के समक्ष एक विशिष्‍ट सूचना दर्ज कराई थी, जिसमें एमपीसीडीए और कुछ दवा कंपनियों सहित अन्य द्वारा अधिनियम की धारा 3 के प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था।
आरोप था कि ये एसोसिएशन स्टॉकिस्टों की नियुक्ति से पहले 'अनापत्ति प्रमाणपत्र' या सहमति पत्र को अनिवार्य करने के अपने तौर-तरीकों के जरिए विभिन्न फार्मास्युटिकल उत्पादों तक उपभोक्ताओं की पहुंच को सीमित करके और बाज़ार में दवाओं की आपूर्ति को नियंत्रित करके बाज़ार में प्रतिस्पर्धा को बाधित कर रहे थे। सीसीआई ने प्रथम दृष्टया राय बनाने के बाद महानिदेशक के कार्यालय को इस मामले की जांच करने का निर्देश दिया था, जिसके तहत महानिदेशक की जांच में इन एसोसिएशन और कुछ दवा कंपनियों के उल्लंघन किए जाने की पुष्टि हुई और इन्‍हें इस तरह के प्रतिस्पर्धा रोधी तौर-तरीकों को बढ़ावा देने का दोषी पाया गया। महानिदेशक ने कुछ व्यक्तियों और कुछ संघों एवं दवा कंपनियों के पदाधिकारियों और अधिकारियों को भी अधिनियम की धारा 48 के तहत उत्तरदायी माना है। सीसीआई ने 3 जून 2019 को इस आशय का आदेश दिया था। विस्तृत आदेश आयोग की वेबसाइट www.cci.gov.in पर उपलब्ध है।

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