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दुनिया ने देखा मोदी का ऐतिहासिक शपथ ग्रहण

सबका साथ सबका विकास और सबके विश्वास का संकल्प

समृद्धि, सुरक्षा, सम्मान और राष्ट्रवाद की प्रचंड लहर

Thursday 30 May 2019 11:09:39 PM

दिनेश शर्मा

दिनेश शर्मा

pm narendra modi historic swearing

नई दिल्ली। राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में देश-देश के राष्ट्राध्यक्षों, राष्ट्रों के प्रतिनिधियों, देश-विदेश से आए मेहमानों, कश्मीर से कन्याकुमारी तक से प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी के दूसरे शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित जनसामान्य से लेकर विशिष्ट पहचान रखने वालों ने आज शाम भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास के नए संकल्प को साकार होते हुए देखा। अपने दम पर तीन सौ तीन लोकसभा सीटों के प्रचंड जनादेश से लबरेज़ भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व ने गठबंधन सहयोगियों को मंत्रिमंडल में स्‍थान देकर देश और दुनिया को संदेश दिया कि वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी को साथ लेकर चलने की भावना के धनी हैं, उन्होंने किसी को भी प्रचंड जनादेश के किसी भी तरह के अहंकार को महसूस करने का मौका नहीं दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह शपथ ग्रहण समारोह इस मायने में और भी याद किया जाएगा कि उसमें यहां से देश के ग़रीब से ग़रीब व्यक्‍ति के कल्याण की प्रतिबद्धता उसकी समृद्धि सुरक्षा सम्मान और राष्ट्रवाद की लहरें उठी हैं। सबकी नज़रें नरेंद्र दामोदरदास मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर थीं। नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल का एक शानदार यादगार और विश्वास से भरा शपथ ग्रहण समारोह साक्षात देखने वाले अभिभूत दिखाई दे रहे थे।
राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल में शपथ ग्रहण समारोह हुआ करते हैं, लेकिन अशोक हॉल की क्षमता केवल पांच सौ लोगों की है और वैसे भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल का शपथ ग्रहण भी राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में ही हुआ था। पिछलीबार करीब पांच हजार मेहमान आए थे, मगर इस बार मेहमानों की संख्या इससे कहीं ज्यादा थी। सर्वोच्च अभेद्य सुरक्षा के बीच नरेंद्र दामोदरदास मोदी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जब प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई तो राष्ट्रपति का प्रांगण देरतक तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा। कहीं मोदी-मोदी के स्वर गूंज रहे थे तो कहीं भारत माता की जय और कहीं जय श्रीराम का उद्घोष हो रहा था। राष्ट्रपति भवन पर सुरक्षा व्यवस्‍था बहुत सख्त थी और मेहमानों के बैठने का प्रबंध भी बहुत अच्छा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इस बार असामाजिक तत्वों की हिंसा में पश्चिम बंगाल में मारे गए भाजपा के कार्यकर्ताओं के परिजन और कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादी अटैक में शहीद हुए जवानों के परिजनों को भी आमंत्रित किया था। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह विदेशी मेहमानों से गर्मजोशी से मिलते हुए दिखाई दिए। राजनाथ सिंह और अन्य भाजपा नेता भी एक दूसरे से गर्मजोशी से हाथ मिलाते और गले लगते दिखे। राजनाथ सिंह ने नंबर दो पर और अमित शाह ने नंबर तीन पर शपथ ली। इस बार कई बड़े नाम उड़ गए हैं और लोकसभा चुनाव पूर्व भाजपा नेतृत्व को आंखें दिखाती एवं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से गलबहियां करती अपना दल की अनुप्रिया पटेल भी फिलहाल साइड कर दी गईं।
सोशल मीडिया, समाचार पत्रों और टीवी समाचार चैनलों पर समाचारों एवं डिबेट कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह और उनके मंत्रिमंडल के भावी सदस्यों के बारे में कई दिन से ही अटकलों, समाचारों और प्रतिक्रियाओं का अनवरत दौर चल रहा था। टीवी चैनल तो कईयों को मंत्री बना रहे थे और मंत्रियों के विभाग भी बांट दिए थे, मगर नरेंद्र मोदी और अमित शाह के मन की बात कोई नहीं समझ पाया, सब देखते रह गए, जिसपर शपथ ग्रहण समारोह के बाद विराम भी लग गया। अब विभागों और सरकार के कार्यक्रमों पर बहस चल रही है। भारतीय जनता पार्टी को इस चुनाव में अति पिछड़ों, पिछड़ों और महिलाओं का अपार समर्थन मिला है, जिसका असर नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल के स्वरूप पर भी दिखाई दिया है। देखने और समझने वाली बात यह है कि नरेंद्र मोदी सरकार से जनसामान्य की अपेक्षाएं और चुनौतियां कहीं अधिक बढ़ गई हैं, यह बात हर एक की ज़ुबान पर है। शपथ ग्रहण समारोह में भी जनसामान्य की संख्या काफी दिखाई दी। उम्मीद की जा रही है कि इस बार नरेंद्र मोदी सरकार का फोकस इस ओर ज्यादा ही दिखाई देगा, यह सब वे चर्चाएं हैं, जो शपथ ग्रहण समारोह में सुनाई पड़ीं। नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल की इसबार 58 मंत्रियों से शुरुआत हुई है, ‌जिनमें 37 पुराने और 6 नए मंत्री हैं।
विदेश सचिव एस जयशंकर को भी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। संभवतया वे ही अगले विदेश मंत्री होंगे और सुषमा स्वराज का स्‍थान लेंगे, जो पहले ही अपने खराब स्वास्‍थ्य के कारण मंत्री नहीं बनने की इच्छा प्रकट कर चुकी हैं। इसी प्रकार भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली भी खराब स्वास्‍थ्य के कारण मंत्री की जिम्मेदारी लेने से अनिच्छा प्रकट कर चुके हैं। अमित शाह को गृहमंत्री बनाया जा सकता है। मेनका गांधी को मंत्रिमंडल में नहीं लिया जाना चौंकाने वाली खबरों में एक खबर है। माना जा रहा है कि अमेठी में गांधी परिवार को जो राजनीतिक झटका स्मृति ईरानी ने दिया है, वैसा झटका मेनका गांधी भी कभी नहीं दे पाईं, इसलिए फिलहाल उनकी उपयोगिता अब क्षीण हो गई है, बल्‍कि उनके राजपुत्र वरुण गांधी की महत्वाकांक्षी राजनीतिक रणनीतियों से भी मेनका गांधी को बड़ा नुकसान हुआ। अपनी झूंठी प्रशंसा सुनकर और अपने-पराए से सदैव अनजान वरुण गांधी का चालाक और दलाल किस्म के तथाकथित राजनीतिक शुभचिंतकों और कुछ मीडियावालों के सामने अमित शाह और नरेंद्र मोदी के लिए आलोचनात्मक मुंह खोलना उनके राजनीतिक कॅरियर को बड़ा ग्रहण लगा गया है, भले ही वरुण गांधी अब कितनी ही सफाई क्यों न देते रहें। कहा तो यहां तक जाता है कि उनका निजी स‌चिव नसीब सिंह ही ताबूत में कील सिद्ध हुआ है, जिसने सही लोगों को वरुण गांधी तक पहुंचने ही नहीं दिया और एक अच्छा राजनेता एक निजी सचिव की निजी महत्वाकांक्षाओं के कारण राजनीतिक साजिशों का शिकार हो गया।
एनडीए के सहयोगी जद यू के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने यह कहकर सबको चौंकाया है कि वे एनडीए में तो रहेंगे, लेकिन उनका दल मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होगा। उनका कहना है कि वे सांकेतिक रूपसे सरकार में शामिल नहीं होंगे। नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल का आगे जल्दी ही विस्तार होगा और वह भी कदाचित कुछ चौंकाने वाला होगा। उत्तर प्रदेश के संदर्भ में मंत्रिमंडल को देखा जाए तो दो बातें प्रमुखता से सामने आती हैं, जिनमें एक तो राजनाथ सिंह को नंबर दो पर शपथ दिलाना और दूसरे भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष डॉ महेंद्रनाथ पांडेय को कैबिनेट मंत्री बनाना। राजनाथ सिंह का महत्व बढ़ाना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कुर्सी के लिए शुभ संकेत नहीं लगता है। कोई माने या ना माने, लेकिन यह योगी आदित्यनाथ के लिए साफ-साफ संदेश है कि भाजपा हाईकमान कमान के सामने उत्तर प्रदेश में उनका सजातीय विकल्प मौजूद है और यदि किसी ब्राह्मण की बात आती है तो वह चेहरा भी सामने है और पिछड़े की बात आती है तो वह भी चेहरा मौजूद है। माना जा रहा है कि फिलहाल किसी पिछड़े को उत्तर प्रदेश भाजपा का नेतृत्व दिए जाने की तैयारी ह‌ै, क्योंकि नरेंद्र मोदी के लिए उत्तर प्रदेश में अति पिछड़ा और पिछड़ा वर्ग एवं कॉमनमैन ही सपा-बसपा रालोद गठबंधन के सामने चट्टान बनकर खड़ा हो गया और उसने उसको धूल चटा दी। इन छह महीने में यूपी में कई विधानसभा उपचुनाव भी होने हैं, इस प्रकार आने वाले समय में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की राजनीति का स्वरूप अलग ही होगा लगता है। देखना है कि यूपी की राजनीति किस करवट बैठती है।

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