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नरेंद्र मोदी को एक बार फिर से प्रचंड बहुमत!

लोकसभा चुनाव में विपक्ष नहीं दे पाया मोदी को टक्कर

भाजपा के फिर 272 से भी आगे निकलने का अनुमान

Sunday 19 May 2019 06:08:21 PM

दिनेश शर्मा

दिनेश शर्मा

narendra modi

नई दिल्ली। सत्रहवीं लोकसभा के सात चरणों के चुनाव पूर्ण होने के बाद अनुमान है कि नरेंद्र भाई दामोदरदास मोदी एकबार फिर प्रचंड बहुमत से देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। पश्चिम बंगाल में मारधाड़, भाषा की गरिमा से परे निजता पर हमलों और खुलेआम गाली-गुफ्तार से बिजबिजाते लोकसभा के इस महासंग्राम में एक तरफ नरेंद्र मोदी थे और दूसरी तरफ महागठबंधन के नाम पर शक्तिशाली भ्रष्टाचारियों एवं बदनाम नेताओं के गिरोह थे, जिन्होंने पूरे लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के खिलाफ लाक्षागृह बनाकर गालियां देकर उन्हें देश से भी बाहर फेंक देने का अभियान चलाया हुआ था और नरेंद्र मोदी जनता से देश के लिए वोट डालने की अपील कर रहे थे। खुद के लिए नरेंद्र मोदी की अपील बड़ी काम आई और जनता ने उन्हें पूर्णबहुमत से एकबार फिर देश पर राज करने का मौका दे दिया है, लोकसभा चुनाव के रुझान यही बताते हैं। डंके की चोट पर संकेत मिल रहे हैं कि नरेंद्र मोदी और भाजपा के खिलाफ कांग्रेस और क्षेत्रीय गठबंधनों ने मुंहकी खाई है। जहां तक एनडीए का सवाल है तो अनुमान है कि उसने तीन सौ सीटों से भी आगे छलांग मारी है, तेईस मई को इस सच्चाई की पुष्टि भी हो जाएगी।
नरेंद्र भाई मोदी के लिए इस लोकसभा चुनाव में भले ही इसबार भी अनुकूल लहर चली हो और वह विरोधी गठबंधनों ‌के शिविर उड़ाने में कामयाब रहे हों, लेकिन इसमें इस सच्चाई को भी स्वीकार करना पड़ेगा कि देश की जनता ने उन्हें कठिन परिस्थितियों में दोबारा प्रधानमंत्री के रूपमें स्वीकार किया है, जिसमें उन्होंने जहां एक तरफ विपक्ष से भीषण लड़ाई लड़ी है, वहीं भाजपा के भीतर के घमासान तक का सामना किया है। नरेंद्र मोदी किन-किन से लड़े यह सारे देश ने अख़बारों और टीवी समाचार चैनलों पर समाचारों और विश्लेषणों में देखा और समझा है। इस लोकसभा चुनाव में एक दौर ऐसा आया जब नरेंद्र मोदी को विजय संकल्प सभाओं में यह कहना पड़ा कि जनता भाजपा को जो वोट देगी वह सीधे मेरे यानी नरेंद्र मोदी के खाते में जाएगा। नरेंद्र मोदी की यह अपील इस बात का प्रमाण है कि देश की जनता भाजपा नेताओं और सांसदों या भाजपा शासित राज्य सरकारों की कार्यप्रणाली से ज्यादा संतुष्ट नहीं है, जिसे नरेंद्र मोदी भी भलीभांति समझते हैं, अलबत्ता जनता केंद्र सरकार में नरेंद्र मोदी का शासन चाहती है और पुख्ता अनुमान हैं कि वैसा ही नरेंद्र मोदी के लिए जनादेश आ रहा है। मतदान के रुझानों से स्पष्ट है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की संगठनात्मक रणनीतियों के साथ नरेंद्र मोदी सरकार बनाने के 272 के आंकड़े से भी बहुत आगे निकल गए हैं।
नरेंद्र मोदी के लिए जनसामान्य ही सबसे बड़ी ताकत है और वही सबसे ज्यादा काम आया है, जिसको ध्यान में रखकर उन्होंने उज्जवला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, किसान कल्याण योजना, गांवों में फ्री बिजली कनेक्‍शन योजना, जनधन योजना, स्वच्छ भारत योजना के तहत शौचालयों का निर्माण, आयुषमान भारत जैसी अनेक लोकप्रिय प्रधानमंत्री योजनाओं का सूत्रपात किया। लोकसभा चुनाव में जनसामान्य ने इन योजनाओं का सकारात्मक संज्ञान लिया और नरेंद्र मोदी को विपक्षी गठबंधनों के ताबड़तोड़ हमलों से बचाया है। एक समय यह बात कही जाने लगी थी कि नरेंद्र मोदी सरकार की वापसी नामुमकिन लग रही है, बावजूद इसके कि नरेंद्र मोदी कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन कश्मीर में पुलवामा में भारतीय जवानों की शहादत के बाद भारत की पाकिस्तान पर तगड़ी एयर स्ट्राइक से नरेंद्र मोदी के पक्ष में देश खड़ा हो गया और वह नरेंद्र मोदी सरकार की कुछ आंतरिक नाकामियों को भूल गया। देश में अंदर-अंदर सुरक्षा और राष्ट्रवाद की लहर ने जोर मारा और नरेंद्र मोदी को उसका चेहरा बनाकर देशवासियों ने उन्हें शर्तिया जनादेश दे दिया है। यहां उन कारकों घटनाओं और मुद्दों का जिक्र करना अब उतना प्रासंगिक नहीं रहा है, जो चुनाव में सर चढ़कर बोले हैं, बल्कि नरेंद्र मोदी के लिए उनसे शिक्षा लेकर आगे बढ़ने की जरूरत है, क्योंकि देश अब ऐसे जोखिम लेने की स्थिति में नहीं है, जिनमें देश की बाह्य और आंतरिक स्थिति पर खतरनाक बयानबाज़ियां जारी रहें और भारत विकसित देश की दौड़ से बाहर हो जाए।
लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी ने अकेले अपने दम पर लड़ा है, यह देश-दुनिया को अच्छी प्रकार मालूम है, यदि यह कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी, बल्कि यह ही सच्चाई मानी जाती है। पिछली लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के जो लोग जीतकर आए थे, वे मोदी लहर में जीते थे और इस चुनाव में जो जीतकर आ रहे हैं, वह भी नरेंद्र मोदी के ही कंधों पर बैठकर संसद में आ रहे हैं। पिछली लोकसभा के भाजपा सांसदों में अधिकांश का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा, जिस कारण नरेंद्र मोदी का जीत का संघर्ष पहले से ज्यादा था। नरेंद्र मोदी को कई मोर्चों पर घमासान सी लड़ाई लड़नी पड़ी है। सबसे तगड़ी चुनौती तो उत्तर प्रदेश से मिली है, जहां गोरक्षपीठ गोरखपुर के महंत योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है। जैसाकि ज्ञात है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत हासिल हुआ था, इसके बावजूद भाजपा ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स‌हित सभी उपचुनाव सपा-बसपा गठबंधन के हाथों हारे। गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव हारने के बाद भाजपा के खिलाफ सपा-बसपा गठबंधन के हौसले चरम पर पहुंच गए, जिनका भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसा किन कारणों से हुआ यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जानते हैं, भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह भी अच्छी तरह जानते हैं, उत्तर प्रदेश की भाजपा को भी मालूम है कि किसने भाजपा के साथ क्या किया है और क्या कर रहे हैं। बहरहाल नरेंद्र मोदी ही भाजपा के तारणहार सिद्ध हुए। सवाल है कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह के अलावा औरों की भी तो कोई जिम्मेदारी है?

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