नई संस्कृति में लेखन का उद्देश्य बदल गया है और लेखकीय प्रतिभा के मानदण्ड भी बदल गये हैं। जिस प्रकार अमृत की प्राप्ति के लिये भेष बदलकर देवताओं की पंक्ति में बैठे राहु को देवता भी नहीं पहचान सके थे, उसी प्रकार आज पाठकों के लिये असली और नकली लेखकों की पहचान कठिन हो गई है।...