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लेखापरीक्षक भी आत्मविश्लेषण करें-राष्ट्रपति

डिजिटल युग में लेखापरीक्षा व लेखाप्रणाली पर हुई चर्चा

दिल्ली में 29वें महालेखाकार सम्मेलन का उद्घाटन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 10 October 2018 05:22:14 PM

president ramnath kovind

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज दिल्ली में 29वें महालेखाकार सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा है कि 29वां महालेखाकार सम्मेलन जवाबदेही, पारदर्शिता और सुशासन को बढ़ावा देने के हमारे मिशन को आगे बढ़ाने की जरूरतों का पता लगाने के लिए आत्मविश्लेषण और विचार विमर्श करने हेतु एक उचित अवसर है। इस साल के महालेखाकार सम्मेलन का विषय है-डिजिटल युग में लेखापरीक्षा और लेखाप्रणाली। उन्होंने कहा कि जब सरकार डिजिटल भारत को आगे बढ़ाने की दिशा में बड़ी प्रगति कर रही हो तो ऐसे समय में यह सम्मेलन बेहद प्रासांगिक है। राष्ट्रपति ने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक संस्थान एक डेटा प्रबंधन नीति के साथ आगे आया है और अपने लेखापरीक्षा कार्य में डाटा विश्लेषण का अधिक से अधिक उपयोग कर रहा है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि डाटा परीक्षण तकनीकियों के उपयोग से सीएजी न केवल वर्तमान के लिए पूरी पहचान करने में मदद कर सकता है, बल्कि पूर्वानुमान प्रदान करने में भी सहायता कर सकता है। डिजिटल अर्थव्यवस्था में फैले डाटा के प्रबंधन और जांच के लिए उपयुक्त व्यवस्था के साथ सीएजी लंबी अवधि के रुझानों और अर्थव्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण एवं राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे उभरते हुए मुद्दों का पूर्वानुमान लगाने के लिए तैयार है, इन पर कानून बनाने वालों और कार्यकारियों के ध्यान देने की जरूरत है। राष्ट्रपति ने कहा कि लेखापरीक्षा अपने आप में कार्य की समाप्ति नहीं है, बल्कि यह सरकारों को बेहतर काम करने के योग्य बनाने का माध्यम है, हमें उत्पादन की तुलना में कार्यक्रम मूल्य के अधिक सार्थक प्रयासों के रूप में निष्कर्षों पर अधिक जोर देना चाहिए।
रामनाथ कोविंद ने कहा कि सीएजी यह विचार कर सकता है कि वह किस प्रकार एक संगठन के रूपमें विभिन्न कार्यक्रमों के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए निष्कर्षों की पहचान, समझ और माप कर सकता है। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन प्रभावशीलता के ऐसे अध्ययन नीति निर्माताओं के लिए एक बड़ा वरदान सिद्ध होगा, ऐसे अध्ययन में प्रेरणा और परिप्रेक्ष्य समझने के लिए कार्यांवयन एजेंसियों के साथ विचार विमर्श को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीएजी एक संस्थान के रूपमें स्थानीय नागरिकों और राज्य की लेखा परीक्षा सम्मितियों को प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण, दिशानिर्देश तैयार करने मानदंड विकसित करने, कार्यप्रणाली तैयार करने और लेखा परीक्षा तैयार करने के सलाह देने के कार्य में भागीदारी कर सकता है।

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