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बुद्ध के संदेश मानवता केलिए अमूल्य हैं-राष्ट्रपति

अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ का आषाढ़ पूर्णिमा-धम्म चक्र दिवस कार्यक्रम

'बुद्ध की शिक्षाओं के प्रति संशयवादी व नास्तिक भी आकर्षित होते हैं'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 24 July 2021 02:40:33 PM

president kovind plants a sapling from the holy bodhi tree in the rashtrapati bhavan

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि वैश्विक चिंता से जुड़े मुद्दों के समाधान में बौद्ध मूल्यों और सिद्धांतों के उपयोग से विश्व को आरोग्यता प्रदान करने और इसे एक बेहतर स्थल बनाने में सहायता मिलेगी। राष्ट्रपति ने ये विचार वीडियो संदेश के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के आयोजित वार्षिक आषाढ़ पूर्णिमा-धम्म चक्र दिवस कार्यक्रम में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि बुद्ध की शिक्षाओं के सार से जुड़े रहना महत्वपूर्ण है और इसकी अलग-अलग व्याख्याओं एवं विविधताओं में उलझना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के उद्देश्य प्रशंसनीय हैं। उन्होंने मानवता की सेवा केलिए सभी बौद्ध परंपराओं और संगठनों को एक साझा मंच प्रदान करने के आईबीसी के प्रयास की भी सराहना की।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि उनका मानना है कि बौद्ध धर्म का प्रभाव इसे औपचारिक रूपसे ग्रहण करने वाले लगभग 550 मिलियन अनुयायियों से भी अधिक व्यापक है। उन्होंने कहा कि अन्य धर्मों के लोग और यहां तककि संशयवादी एवं नास्तिक भी बुद्ध की शिक्षाओं के प्रति आकर्षण का अनुभव करते हैं। रामनाथ कोविंद ने कहा कि बौद्ध धर्म का यह सार्वभौमिक और शाश्वत प्रभाव समय एवं स्थल पर मानव द्वारा सामना की जानेवाली मूलभूत समस्याओं के तार्किक, तर्कसंगत और सरल समाधानों के कारण है। उन्होंने कहा कि दुख को समाप्त करने का बुद्ध का आश्वासन, सार्वभौमिक करुणा और अहिंसा पर उनका जोर, जीवन के सभी पहलुओं में नैतिकता और संयम के उनके संदेश ने पिछले 2600 वर्ष में असंख्य लोगों को सारनाथ में उनके प्रथम उपदेश के पश्चात प्रेरणा दी है। राष्ट्रपति ने कहा कि जीवन के संदर्भ में बुद्ध के बेहतर रूपसे प्रलेखित संदेश मानवता के लिए अमूल्य हैं। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध का अपने आलोचकों और विरोधियों के प्रति अत्यधिक विश्वास और सम्मान था कि वे उनके अनुयायी बन जाएंगे और उन्होंने यह आध्यात्मिक शक्ति इसलिए प्राप्त की, क्योंकि वे सदैव सत्य के पालन के प्रति दृढ़ रहे।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि कोरोना महामारी के प्रभाव से जूझ रही दुनिया को पहले से कहीं अधिक करुणा, दया और नि:स्वार्थ भाव के साथ उपचार की आवश्यकता है। राष्ट्रपति ने कहा कि बौद्ध धर्म के प्रचारित इन सार्वभौमिक मूल्यों को सभी को अपने विचारों और कार्यों में अपनाने की आवश्यकता है। राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व आज बुद्ध की असीम करुणा से प्रेरित होकर मानव पीड़ा के सभी स्रोतों को दूर करने का संकल्प लेता है। इससे पूर्व प्रातःकाल में राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति भवन के उपवन में बोधिवृक्ष का पौधा लगाया और भगवान बुद्ध की प्रतिमा पर पुष्पांजलि भी अर्पित की। इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी, संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल और मीनाक्षी लेखी एवं अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के महासचिव डॉ धम्मपिया उपस्थित थे।

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