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भारत-ऑस्ट्रेलिया में आयुर्वेद चिकित्सा पर करार

'आयुर्वेदिक चिकित्सा बेहतर और सुरक्षित स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली'

दिल्ली में इंडिया ऑस्ट्रेलिया इंटरनेशनल एजुकेशन एंड रिसर्च वर्कशाप

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 24 November 2019 04:18:36 PM

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नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान यानी एआईआईए और ऑस्ट्रेलिया की वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के बीच एक समझौता हुआ है, जिसके तहत आधुनिक चिकित्सा के साथ आयुर्वेद के सिद्धांतों को एकीकृत करने के लिए अनुसंधान और विकासशील दिशा-निर्देशों में दोनों देश सहयोग को बढ़ावा देंगे। ऑस्ट्रेलिया की वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर बर्ने ग्लोवर और अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की निदेशक प्रोफेसर तनुजा नेसारी ने 22 नवंबर को आयुष मंत्रालय में इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे। इस अवसर पर ऑस्ट्रेलिया सरकार के शिक्षामंत्री डेन तेहान भी उपस्थित थे।
भारत और ऑस्ट्रेलिया में अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर दिल्ली में इंडिया ऑस्ट्रेलिया इंटरनेशनल एजुकेशन एंड रिसर्च वर्कशाप के दौरान इस समझौते पर सहमति बनी। भारत सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल, ऑस्ट्रेलिया के शिक्षामंत्री डेन तेहान और भारत में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त हरिंदर सिद्धू की मौजूदगी में इस एमओयू का आदान-प्रदान हुआ। गुणवत्ता मानकों को सुनिश्चित करने के साथ ही शिक्षा, अनुसंधान और पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में सहयोग के विशिष्ट क्षेत्रों की पहचान करके दोनों संस्थान अपने सहयोग को उच्चतम स्तरपर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। दोनों के बीच पारंपरिक चिकित्सा से संबंधित बुनियादी ढांचे में निवेश को प्रोत्साहित करने पर भी सहमति बनी। आधुनिक चिकित्सा की परंपरागत अवधारणाओं के साथ पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा को जोड़कर वैज्ञानिक प्रमाण उत्पन्न करने में उम्मीद है, जिससेआगे वैश्विक स्वास्थ्य सेवा में योगदान करने में मदद मिलेगी।
वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर बर्ने ग्लोवर ने इस अवसर पर कहा कि ऑस्ट्रेलिया की अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियों में भारत प्राथमिकता वाले देशों में शामिल है और यह समझौता स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के इतिहास में मील का पत्थर है। उन्होंने कहा कि डेटा वाली सुस्पष्ट प्रौद्योगिकियों का संयोजन और आयुर्वेदिक चिकित्सा ब्रह्मांड के लिए एक बेहतर एवं सुरक्षित स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली प्रदान करने के वर्तमान लक्ष्यों खासतौर पर पारंपरिक एवं पूरक चिकित्सा का एक सुरक्षित और प्रभावी एकीकरण विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान होगा।

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