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ऐसे थे हमारे सबके अटल बिहारी वाजपेयीजी!

'वाजपेयी की वीज़ा नी‌ति ने बिछड़े मुस्लिम परिवार मिलाए'

'भाजपा बनाई तो मुस्लिम बुद्धिजीवियों से भी राय ली गई'

फ़ीरोज़ अशरफ़

Wednesday 29 August 2018 09:40:36 AM

atal bihari vajpayee's firoz ashraf writes a memorable letter

मेरा सौभाग्य ही था कि उसदिन अटल बिहारी वाजपेयी से देश के मुसलमानों के बारे में कुछ अन्य मुस्लिम बुद्धिजीवियों, लेखकों, पत्रकारों और साहित्यकारों के साथ चर्चा में हम भी शामिल थे। उससे पहले हम मुंबई के नानावती अस्पताल में थे, जहां मेरे साईटिका का इलाज हो रहा था और दाहिने पैर में प्लास्तर लगा हुआ था। शायद वह दिसंबर की सुबह थी, एक नर्स ने धर्मयुग के संपादक डॉ धर्मवीर भारती की सेक्रेट्री शहनाज़ के फोन की सूचना दी। मुझे ताज्जुब हुआ! शहनाज़ को अस्पताल का फोन कहां से मिला? मेरी पत्नी फोन लेने जाने लगी, तो हमने उन्हें मना किया और हम उसी प्लास्तर लगी टांग को घसीटते हुए फोन तक गए। फोन पर शहनाज़ ने कहा कि एक घंटे के अंदर डॉक्टर साहब के घर पर पहुंच जाओ, बहुत ज़रुरी मीटिंग है, डॉक्टर साहब ने आने को कहा है। कहने की ज़रुरत नही कि हम किसी भी हाल में डॉक्टर साहब का हुक्म टाल नही सकते थे। उसी समय वार्ड के डॉक्टर भी आ गए। हमने उनसे कहा कि एक दो घंटे के लिए अत्यंत जरुरी काम से बांद्रा जाना है। डॉक्टर हंसे और बोले कि हर्गिज़ नही! लेकिन हमारी ज़िद पर इतना ज़रुर कहा कि अगर कुछ हुआ तो उसकी जिम्मेदारी हमपर होगी।
हमारे लिखकर देने की बात कहकर तुरंत पत्नी आरिफा अशरफ़ टैक्सी ले आई और किसी तरह मुझे भारतीजी के मकान के दरवाज़े तक पहुंचाया। हमें उस हाल में देखकर भारतीजी सहारा देने आगे बढ़े। उस कमरे के अंदर अटल बिहारी वाजपेयी के अलावा एक से बढ़कर एक हस्तियां मौजूद थीं। हमें उस हाल में देखकर वाजपेयीजी ने मुझे अपने बग़ल में बैठाया और कहा कि मुझे ऐसी हालत में नही आना चाहिए था। हमने कहा कि आपसे मुलाकात करने किसी भी हाल में किसी भी समय और कहीं भी आ सकते हैं। उस हाल में उनके बग़ल में हमें एक टांग फैलाकर बैठने में शर्मिंदगी और हिचकिचाहट हो रही थी। मेरी मनोदशा को भांपते हुए वाजपेयीजी ने कहा कि पिछले दिनों उन्हें भी स्लिप डिस्क हो गया था, मैं आपकी तकलीफ़ को समझता हूं, आराम से बैठिए। डॉ धर्मवीर भारती के उस बड़े कमरे में हमारे अलावा, डॉ राही मासूम रज़ा, जावेद अख़्तर, सलीम खां, हसन कमाल, महमूद अय्यूबी, हारून रशीद थे। वाजपेयीजी के सहयोगियों में एलके आडवाणी, सिकंदर बख़्त, मुरली मनोहर जोशी और राम जेठमलानी थे। डॉ धर्मवीर साहब की धर्मपत्नी पुष्पाजी मेहमान नवाज़ी कर रही थीं।
जनता पार्टी से अलग होकर पुराने जनसंघ के नेता और कार्यकर्ता उनदिनों भारतीय जनता पार्टी के नाम से एक नई पार्टी बनाने की तैयारी में थे। वाजपेयीजी के सहयोगी देशभर के दौरे करके जगह-जगह लोगों से भेंट मुलाकात और अपनी नई पार्टी के बारे में हर तरह के लोगों से विचार-विमर्श कर रहे थे। नई पार्टी के बारे में वे मुस्लिम बुद्धिजीवियों, लेखकों, पत्रकारों से भी उनके विचार जानने के सिलसिले मुंबई आए थे। बताना ज़रुरी है कि वाजपेयीजी और उनकी टीम उन दिनों अपनी नई पार्टी के लिए गांधी समाजवाद की बात भी कर रहे थे। बैठक में डॉ राही मासूम रज़ा ने गांधी समाजवाद को लेकर दो टूक शब्दों में वाजपेयीजी से गांधी समाजवाद पर सवाल किया। वाजपेयीजी ने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए गांधी समाजवाद को एक समतावादी समाज की संज्ञा दी, जहां देसी और कुटीर उद्योग को भारतीय अर्थव्यवस्था की कुंजी माना गया। मुसलमानों की समस्या को लेकर उन्हें वही सब कुछ बताया गया जो आज भी उतना ही समसामयिक है-आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक पिछड़ापन, बेरोज़गारी इत्यादि। संप्रादायिक दंगों की बात भी उठाई गई।
अटल बिहारी वाजपेयीजी और उनकी टीम ने गंभीरता से यह सब सुना। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि देशभर में मुसलमानों के साथ इस प्रकार की दिल खोलकर बातें होनी चाहिएं। उनके सुझाव का डॉ राही मासूम रज़ा समेत सभों ने समर्थन किया। उन्होंने इस बात का भी अश्वासन दिया कि उनकी नई पार्टी धर्म और जाति को लेकर किसी प्रकार का भेदभाव नही करेगी। गांधी समाजवाद पर एक बार फिर हल्के फुल्के अंदाज़ में डॉ राही मासूम रज़ा ने कुछ टीका टिप्पणियां भी कीं, जिन्हें वाजपेयीजी ने सहजता से लिया। डेढ़ दो घंटे की बैठक में दोनों ओर से खुलकर बातचीत हुई। कमरे का माहौल अत्यंत अनौपचारिक था। बीच-बीच में ठहाके पर ठहाके भी लगाए जा रहे थे। इतना तो स्पष्ट था कि वाजपेयीजी अपनी नई पार्टी में मुसलमानों के लिए दरवाज़े खोलने की पहल कर रहे थे, इसीलिए उन्होंने मुसलमानों की समस्याओं को भी ध्यानपूर्वक सुना। उन्होंने देश के अन्य भागों विशेषकर दिल्ली में भी आमने-सामने वाली बैठकों की इच्छा जताई। महफिल बरखास्त होने के पहले हमने उन्हें अपनी ख़ाला अम्मा यानी मौसी द्वारा उन्हें दी गईं दुआओं का ज़िक्र किया।
अटल बिहारी वाजपेयीजी ने सन 1977 के जनता पार्टी शासनकाल में विदेशमंत्री बनते ही खिड़की खोलने, धूप और हवा के आने-जाने वाले बयान याने दोनों देशों के सैकड़ों बिछड़े हुए परिवारों के सदस्यों के आने-जाने के लिए वीज़ा की सहूलियतों को बहुत आसान बनाया था। उससे पहले दोनों देशों में सन 1965 के बाद यहां वहां जाने के लिए वीज़ा देना बंद था। अटल बिहारी वाजपेयीजी की उस वीज़ा नीति के कारण ही बिहार यूपी समेत देश के अन्य भागों के दोनों देशों में बिछड़े परिवारों के सदस्यों और ख़ूनी रिश्तेदारों को एक दूसरे के यहां आने जाने का अवसर प्राप्त हुआ। मेरी खाला भी सन 1947-48 में अपने बच्चों के साथ पाकिस्तान चली गईं और उनका हमारी अम्मां से नाता टूट गया। वाजपेयीजी की वीज़ा नीति के कारण खाला अम्मा और मेरी अम्मा को वर्षों बाद एक दूसरे से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, जिसके लिए उन्होंने वाजपेयीजी को दुआएं दीं। मौत के पहले दोनों के मिलन की इच्छा पूरी हुई। वाजपेयीजी की नरम वीज़ा नीति से सन 1977 के बाद कई भारतीय लेखक, कवि, शायर, कलाकार, संगीतकार, पत्रकार इत्यादि को और वर्षों बाद पाकिस्तान के लोगों के बीच अपनी कला, रचना और विचारों को प्रदर्शन करने का मौका मिला और इसी प्रकार इन सभों और पाकिस्तानी कलाकारों को भी हमारे यहां अपनी रचना को प्रदर्शित करने आनेका मौका मिला।
भारत-पाकिस्तान के बीच शांति और दोस्ती के लिए सेकंड ट्रेक यानी दूसरी पगडंडी का सिलसिला शुरु हुआ। वैसे भी दुनिया जानती है कि वाजपेयीजी पाकिस्तान के साथ किस कदर दोस्ती और शांति चाहते थे, यहां तककि उन्होंने दिल्ली-लाहौर जैसी यादगार बससेवा शुरू की और उसकी स्वयं रहनुमाई भी की। लाहौर के उनके अत्यंत भावुक भाषण को दोनों देशों में आजतक याद किया जाता है। बहरहाल जो हुआ सो हुआ। हमने बाद में डॉ धर्मवीर भारती के घर पर हुई बैठक की धर्मयुग और उर्दू के लोकप्रिय साप्ताहिक उर्दू ब्लिट्ज़ में प्रकाशित रिपोर्ट की कतरनें वाजपेयीजी को भेजीं, जिसका जवाब भी उन्होंने दिया। उनके पत्र के दो वाक्य से हमारे प्रति उनके स्नेह की गहराई भुलाई नही जा सकती। उन्होंने पत्र में अत्यंत अपनेपन से लिखा-'अब आपकी तबियत कैसी है? बंबई आने पर आपसे सम्बंध स्थापित करने की कोशिश करुंगा।' ऐसे थे हमारे आपके और सभों के अटल बिहारी वाजपेयी! जो हम जैसे पत्रकार की तबियत के बारे में भी चिंतित थे।-फ़ीरोज़ अशरफ़-ए-1, अब्बा अपार्टमेंट, एस व्ही रोड, जोगेश्वरी (पश्चिम) मुंबई-400102.

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