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युद्ध प्रकृति लगातार बदल रही है-सीडीएस

तीनों सेनाओं में तालमेल की प्राथमिकता पर व्याख्यान श्रृंखला

'भविष्य के युद्धक्षेत्र पर प्रभुत्व' विषय पर विचार विमर्श हुआ

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 6 August 2025 05:40:05 PM

chief of defence staff general anil chauhan

नई दिल्ली। भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने देश-दुनिया में युद्ध की लगातार बदलती प्रकृति से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने केलिए विघटनकारी प्रौद्योगिकियों को तेजीसे अपनाने, विरासत संरचनाओं पर पुनर्विचार करने और सेनाओं में तालमेल को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल दिया है। वे 5 अगस्त 2025 को दिल्ली कैंट मानेकशॉ सेंटर में सेंटर फॉर जॉइंट वारफेयर स्टडीज (सीईएनजेओडब्ल्यूएस) के स्थापना दिवस पर आयोजित वार्षिक ट्राइडेंट व्याख्यान श्रृंखला के उद्घाटन संस्करण में मुख्य भाषण दे रहे थे। उन्होंने वर्तमान समय में राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने केलिए प्रौद्योगिकी अभिसरण और एकीकृत संचालन को अत्यधिक महत्वपूर्ण करार दिया।
व्याख्यान श्रृंखला में वरिष्ठ रक्षा नेतृत्व, रणनीतिक विचारकों और विद्वानों को ‘भविष्य के युद्धक्षेत्र पर प्रभुत्व’ विषय पर विचार विमर्श करने केलिए एक मंच पर साथ लाया गया। इस अवसर पर मानव-मानवरहित टीमिंग पर जनरल बिपिन रावत के प्रथम लेख का औपचारिक विमोचन भी किया गया, जो भारत के पहले सीडीएस और संयुक्त परिचालन दर्शन एवं परिवर्तनकारी रक्षा सोच को आकार देने में उनकी स्थायी विरासत को श्रद्धांजलि है। सीईएनजेओडब्ल्यूएस की प्रमुख पत्रिका सिनर्जी का अगस्त 2025 अंक का भी जारी किया गया, जिसमें उभरते रणनीतिक रुझानों पर विशिष्ट लेख शामिल हैं। चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ ने कार्यक्रम के एक भाग के रूपमें ‘त्रि-सैन्य सुधारों की तात्कालिकता’ पर व्याख्यान दिया, जिसमें सार्थक सुधार केलिए आवश्यक महत्वपूर्ण समयसीमा और संस्थागत गतिविधियों को रेखांकित किया गया।
चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के उपप्रमुख (सिद्धांत, संगठन और प्रशिक्षण) ने ‘भविष्य के युद्ध में भारतीय विरासत की शासन कला को आत्मसात करना’ विषय पर व्याख्यान दिया, जिसमें इसबात को परखा गयाकि स्वदेशी सभ्यतागत ज्ञान आधुनिक सैन्य सोच पर कैसे असर डाल सकता है। गौरतलब हैकि व्याख्यान श्रृंखला आलोचनात्मक चिंतन, रणनीतिक दूरदर्शिता और नीति नवाचार केलिए एक वार्षिक मंच के रूपमें कार्य करती है, जिसका उद्देश्य युद्ध और राष्ट्रीय रक्षा की उभरती गतिशीलता का सामना करना है।

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