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Tuesday 5 August 2025 11:59:12 AM
चेन्नई। भारतीय सेना ने रक्षा प्रौद्योगिकी क्षेत्रमें आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशामें एक और ऐतिहासिक कदम उठाया है। सेना ने आईआईटी मद्रास परिसर में भारतीय सेना अनुसंधान प्रकोष्ठ (आईएआरसी) 'अग्निशोध' की स्थापना केलिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास से सहभागिता की है। सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अपनी दो दिवसीय चेन्नई यात्रा के दौरान इस अनुसंधान प्रकोष्ठ का औपचारिक रूपसे उद्घाटन किया। यह पहल भारतीय सेना में व्यापक परिवर्तन लाने वाले आधारभूत ढांचे का हिस्सा है, जो सेना प्रमुख के व्यक्त बदलाव के पांच स्तंभों से निर्देशित है। अग्निशोध विशेष रूपसे आधुनिकीकरण एवं प्रौद्योगिकी सम्मिश्रण के एक स्तंभ को आगे बढ़ाता है, यह भारतीय सेना के शैक्षणिक अनुसंधान को वास्तविक समय परिचालन अनुप्रयोगों केसाथ समेकित रूपसे एकीकृत करने के प्रयास का प्रतिनिधित्व करता है।
जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने आईआईटी मद्रास में ‘ऑपरेशन सिंदूर-आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक नया अध्याय’ विषय पर संगोष्ठी को संबोधित करते हुए ऑपरेशन सिंदूर को ऐतिहासिक, खुफिया कार्रवाई संचालित प्रतिक्रिया बताया, जिसने भारत के आतंकवादरोधी सिद्धांत को नए सिरे से परिभाषित किया है। सेनाप्रमुख ने कहाकि ऑपरेशन सिंदूर पैमाने, सीमा, गहराई और रणनीतिक प्रभाव की दृष्टि से अभूतपूर्व था और इसे डीआईएमई स्पेक्ट्रम में क्रियांवित किया गया। उन्होंने कहाकि इसमें तीनों सेनाओं की संयुक्त कर्रवाई ने भारत के सटीक, दंडात्मक और समन्वित हमला करने की क्षमता को प्रदर्शित किया, जिससे पाकिस्तान को 88 घंटों के भीतर युद्ध विराम की मांग करने पर मजबूर होना पड़ा। उन्होंने बदलते समय में युद्ध की विकासशील प्रकृति का भी उल्लेख और कहाकि भारतीय सशस्त्र बल बिना संपर्क युद्ध, रणनीतिक तालमेल और मनोवैज्ञानिक प्रभुत्व से प्रेरित पांचवीं पीढ़ी के संघर्षों केलिए तैयार हैं। उन्होंने स्वदेशीकरण से सशक्तिकरण केतहत आत्मनिर्भरता की भारतीय सेना की प्रतिबद्धता दोहराई। सेनाध्यक्ष ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी मिशन जैसे-इंडियाएआई, चिप-टू-स्टार्टअप और प्रोजेक्ट क्विला केतहत प्रमुख सहयोगों काभी जिक्र किया, जिसमें एमसीटीई महू एक रणनीतिक साझेदार है।
सेनाध्यक्ष ने आईआईटी दिल्ली, आईआईटी कानपुर और आईआईएससी बेंगलुरु में भारतीय सैन्य प्रकोष्ठों की शैक्षणिक नवाचारों का उपयोग करके प्रारंभ की गईं विभिन्न परियोजनाओं की सराहना की। जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने रक्षा अनुसंधान में उत्कृष्टता केलिए आईआईटी मद्रास की प्रशंसा करते हुए कहाकि प्रोजेक्ट संभव और आर्मी बेस वर्कशॉप केसाथ एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग साझेदारी पहल नए मानक स्थापित कर रही हैं। उन्होंने कहाकि नया आईआईटीएम-भारतीय सेना अनुसंधान केंद्र अग्निशोध अकादमिक उत्कृष्टता को युद्धक्षेत्र नवाचार में बदल देगा और यह विकसित भारत 2047 की ओर भारत की सैन्य यात्रा को शक्ति प्रदान करेगा। गौरतलब हैकि अग्निशोध सहयोग आईआईटी मद्रास रिसर्च पार्क तक विस्तारित होगा, जो उन्नत विनिर्माण प्रौद्योगिकी विकास केंद्र (एएमटीडीसी) और प्रवर्तक टेक्नोलॉजीज फाउंडेशन जैसी संस्थाओं केसाथ मिलकर कार्य करेगा। यह प्रयोगशाला स्तरीय नवाचारों को युद्ध क्षेत्र हेतु तैयार प्रौद्योगिकियों में परिवर्तित करने केलिए अद्वितीय मंच के रूपमें अपनी सेवाएं देगा। अग्निशोध प्रमुख उभरते क्षेत्रोंमें सैन्यकर्मियों को कुशल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिसमें एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग, साइबर सुरक्षा, क्वांटम कंप्यूटिंग, वायरलेस संचार और मानवरहित हवाई प्रणाली शामिल हैं। इससे सशस्त्र बलों के भीतर तकनीकी रूपसे सशक्त मानव संसाधन आधार का निर्माण होगा।
जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी का भी दौरा किया, जहां उन्हें अकादमी के बुनियादी ढांचे, आधुनिक प्रशिक्षण पद्धतियों और समकालीन चुनौतियों से निपटने हेतु भावी सैन्य अधिकारियों को तैयार करने केलिए संचालित की गतिविधियों की जानकारी दी गई। उन्होंने सैन्य कैडेटों में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने और उनके भीतर प्रमुख सैन्य मूल्यों को स्थापित करने में अनुदेशात्मक कर्मियों के प्रयासों की प्रशंसा की। सेना प्रमुख ने भारतीय सेना की परिवर्तनकारी यात्रा का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने ग्रे जोन संघर्षों, तकनीकी लोकतंत्रीकरण और एकीकृत प्रतिक्रियाओं की आवश्यकता द्वारा युद्ध के बदलते चरित्र को उजागर किया। उन्होंने कहाकि भविष्य के संघर्षों में पारंपरिक सामर्थ्य और आधुनिक क्षमताओं के मिश्रण की आवश्यकता होगी, जहां पर बूट्स को बॉट्स केसाथ स्थान साझा करना होगा। सेना प्रमुख ने विभिन्न सुधारों के माध्यम से भारतीय सेना के ‘परिवर्तन के दशक’ केलिए प्रतिबद्धता दोहराई। सेनाध्यक्ष ने पूर्व सैनिकों के एक समूह से बातचीत की और राष्ट्र एवं सशस्त्र बलों केप्रति उनके योगदान को सराहा। इस अवसर पर उन्होंने चार प्रतिष्ठित पूर्व सैनिकों को उनकी नि:स्वार्थ सेवा और राष्ट्र निर्माण केप्रति निरंतर वचनबद्धता के सम्मान में वेटरन अचीवर्स से सम्मानित किया।