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भारत में सुरक्षा वातावरण मिलने से पर्यटन बढ़ा

किंतु स्वच्छता मानकों को लेकर नकारात्मक प्रभाव कायम हैं

राष्ट्रपति ने समारोह में राष्‍ट्रीय पर्यटन पुरस्‍कार प्रदान किए

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 19 September 2015 03:44:19 AM

president pranab mukherjee, national tourism award

नई दिल्ली। राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विज्ञान भवन में एक समारोह में राष्‍ट्रीय पर्यटन पुरस्‍कार प्रदान किए और पुरस्‍कार विजेताओं को बधाई दी। उन्होंने कहा कि सम्‍मानित विशिष्‍ट व्‍यक्तियों और संस्‍थानों ने भारत को एक पर्यटक स्‍थल के तौर पर प्रोत्‍साहित करने में सर्मपण कर अपनी उत्‍कृष्‍ट पहचान बनाई है। उन्‍होंने उम्‍मीद जताई कि राष्‍ट्रीय पर्यटन सम्‍मान से पर्यटन क्षेत्र के सभी हितधारकों की प्रतिबद्धता को बल मिलेगा और उन्‍हें इस क्षेत्र के विस्‍तार तथा प्रगति के लिए नई उर्जा से काम करने के लिए प्रोत्‍साहन मिलेगा। राष्‍ट्रपति ने कहा कि हम उम्‍मीद कर सकते हैं कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में वृद्धि और लोगों की सुगम आय बढ़ने से आने वाले समय में भी पर्यटकों का आना जारी रहेगा, हमें देश में उच्‍च गुणवत्‍ता के पर्यटन के बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान देना चाहिए, दो पहलों-स्वच्छ दर्शन और प्रसाद तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्धन अभियान के शुभारंभ का उद्देश्य सर्किट और धार्मिक केंद्रों का व्‍यापक विकास करना है। उन्‍होंने ज़ोर दिया कि हमारी सुरक्षा प्रक्रियाएं और सावधानियां ऐसी होनी चाहिएं कि मेहमान अपने और अपनी वस्‍तुओं के प्रति आश्‍वस्त हो सके।
राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पर्यटन उद्योग से कहा कि इस क्षेत्र के सतत विकास के लिए वह अपनी निवेश योजनाएं हमारी प्राकृतिक और सांस्‍कृतिक धरोहर से समझौता किए बिना बनाए। उन्‍होंने कहा कि पर्यटकों और मेजबान समुदाय के बीच संपर्क से लोगों के बीच आपसी समझ, सहिष्‍णुता और जागरूकता बढ़ेगी, पर्यटन से देश और विदेश में आपसी सहयोग और सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान बढ़ता है, भारत विश्‍व के सर्वोत्‍तम पर्यटन स्‍थलों में से एक है। राष्‍ट्रपति ने कहा कि उन्‍हें कोई संदेह नही कि हम सब मिलकर विश्‍व के पर्यटन नक्‍शे पर भारत का उचित स्‍थान हासिल कर सकते हैं। राष्‍ट्रपति ने कहा कि हमारे देश में पर्यटन क्षेत्र विकास का एक कारक होने के साथ-साथ आर्थिक विकास और रोज़गार सृजन का एक वाहक भी है, प्रशिक्षित मानव संसाधन किसी क्षेत्र के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है। उन्होंने कहा कि पर्यटन मंत्रालय ने पर्यटन क्षेत्र और आतिथ्य उद्योग की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधन तैयार करने की ओर ध्यान दिया है, देश के होटल प्रबंधन संस्थान, भारतीय पर्यटन और यात्रा प्रबंधन संस्थान तथा फूड क्राफ्ट संस्थान पर्यटन क्षेत्र में सेवा के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण देने हेतु अवसर प्रदान कर रहे हैं।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि पर्यटन मंत्रालय की 'हुनर से रोज़गार तक' योजना के अधीन युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है, यह समाज के कमजोर वर्गों के लिए सामाजिक समानता लाने और रोज़गार के अवसर पैदा करने में एक सराहनीय पहल है। सम्मेलन में दी गई जानकारी के अनुसार वर्ष 2014 में भारत में घरेलू पर्यटकों की कुल संख्या 128.20 करोड़ रही, उस वर्ष भारत में 76.80 लाख विदेशी पर्यटक आए जो गत वर्ष की तुलना में 10.2 प्रतिशत वृद्धि दर्शाता है, हालांकि यह विश्व भर में 1.10 अरब अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन की तुलना में महज 0.7 प्रतिशत ही है, इसलिए विदेश से पर्यटकों के आगमन में कई गुना वृद्धि होने की काफी संभावना है। वर्ष 2014 के दौरान पर्यटन क्षेत्र से 1.2 लाख करोड़ रुपए मूल्य की विदेशी मुद्रा अर्जित की गई, जो इससे पिछले वर्ष की तुलना में 14.5 प्रतिशत अधिक है, 113 देशों के लिए ई-पर्यटन वीजा को लागू करने से काफी अच्छे परिणाम निकले हैं। अमरीका, यूके, स्पेन, मलेशिया, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, मॉरीशस, जापान, चीन कोरिया, न्यूज़ीलैंड आदि जैसे अधिक संभावना वाले कई देशों के लिए अब ई-पर्यटन वीजा सुविधा उपलब्ध है। जनवरी-जुलाई 2015 के दौरान ई-पर्यटन वीजा के माध्यम से लगभग 1.5 लाख पर्यटक हमारे देश में आए।
राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास और हमारी जनता की सुलभ आय में वृद्धि के साथ आने वाले वर्षों में हम देश में पर्यटकों के आगमन में सकारात्मक प्रगति होने की उम्मीद कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें देश में उच्च गुणवत्ता वाली पर्यटन सुविधाएं विकसित करने की ओर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने बताया कि सर्किटों और तीर्थ केंद्रों के समंवित विकास के उद्देश्य से ‘स्वदेश दर्शन’ और ‘प्रसाद (पिलग्रीमेज रिजुबिनेशन एंड स्प्रीचुअल ऑगमेंटेशन ड्राइव)’ नामक दो पहलों की शुरूआत की गई है, ताकि इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए काफी मदद मिले। उन्होंने कहा कि हम जो सुरक्षा तंत्र तैयार करते हैं, जो सावधानियां हम लागू करते हैं, उससे हमारे अतिथियों को निश्चित तौर पर आश्वस्त होना चाहिए, ताकि उन्हें अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा और उनके सामानों की सुरक्षा के बारे में कतई कोई आशंका नहीं हो। पर्यटन मंत्रालय ने पर्यटकों को महत्वपूर्ण जानकारी देने और उन्हें आकस्मिक समय में मार्गदर्शन के लिए 24 घंटे 7 दिन के लिए अतुल्य भारत हेल्पलाइन शुरू किया है, ताकि पर्यटकों की सुरक्षा संबंधी चिंताओं का समाधान किया जा सके। पर्यटकों के लिए 'करें और न करें' पर आधारित जानकारी सहित प्रवासन काउंटरों पर 'वेलकम बुकलेट' बांटी जा रही हैं, जो विदेशी पर्यटकों के आगमन पर तत्काल उनके के लिए मददगार होंगी।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि स्वच्छता संबंधी मानकों में उतार-चढ़ाव का नकारात्मक प्रभाव होता है, ऐसे में जब हमारा पर्यटन उद्योग हमारे सांस्कृतिक स्थलों, हमारे साहसिक पर्यटन केंद्रों के नजारे और हमारी वास्तुकला की समृद्ध विरासत को काफी सुंदर बनाना चाहता है, ऐसे में यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि पर्यटन केंद्रों पर स्वच्छता और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय के ‘स्वच्छ भारत-स्वच्छ पर्यटन अभियान’ सही दिशा में एक स्वागत योग्य कदम हैं, यह भारत को समझने के सभी पहलुओं को लेकर इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सभी हितधारकों को साथ मिलकर काम करने का आह्वान करता है। उन्होंने कहा कि दूरस्थ स्थानों तक शीघ्र पहुंचना, व्यापक तौर पर सुलभ आय प्राप्त होना और रहन-सहन की आकांक्षाएं बढ़ना अब यात्रियों की संख्या में वृद्धि का सूचक हैं। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि मैं पर्यटन उद्योग से अपेक्षा करता हूं कि अपने निवेश की तर्कसंगत योजना इस प्रकार तैयार करें, ताकि हमारी प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत से समझौता किए बिना इस क्षेत्र में वृद्धि सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि ऊर्जा और जल के उपभोग के लिए नई-नई विधियां शुरू होनी चाहिए, पर्यटन संस्थापनाओं और आतिथ्य ईकाइयों पर इस प्रकार संचालन करने का उत्तरदायित्व होना चाहिए, ताकि वे जल और ऊर्जा का उपभोग घटाने, कचरा उत्पन्न होने में कमी लाने, कचरा प्रबंधन में सुधार लाने और सृजनशील पुनश्चक्रण और प्रभावकारी कचरा निपटारा करने में समर्थ हो सकें।

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