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बेटियां पशु चिकित्सा के क्षेत्र में भी आगे!

राष्ट्रपति ने की आईवीआरआई की उपलब्धियों की प्रशंसा

भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली में दीक्षांत

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 30 June 2025 04:20:19 PM

convocation at indian veterinary research institute, bareilly

बरेली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। राष्ट्रपति ने पशुओं में प्लेग ‘रिंडरपेस्ट महामारी’ की रोकथाम केलिए वर्ष 1889 में स्थापित आईवीआरआई की 135 वर्ष की महत्वपूर्ण उपलब्धियों की प्रशंसा की और कहाकि संस्थान के वैज्ञानिकों के शोध कार्यों का प्रमाण इस संस्थान के नाम दर्ज अनेक पेटेंट, डिज़ाइन और कॉपीराइट हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि इलाज से बेहतर बीमारी की रोकथाम है, जिसमें टीकाकरण की अहम भूमिका है। उन्होंने कहाकि यह गर्व का विषय हैकि राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अनेक टीके यहीं पर विकसित किए गए हैं। उन्होंने कहाकि मानव का वनों और वन्यजीवों केसाथ सहअस्तित्व का रिश्ता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने चिंता व्यक्त कीकि गिद्धों की संख्या का घटना, गिद्धों का विलुप्तप्राय जैवविविधता के क्षरण का एक उदाहरण है, औरभी कई प्रजातियां या तो विलुप्त हो गई हैं या विलुप्त होने के कगार पर हैं। उन्होंने कहाकि पशु चिकित्सा में इस्तेमाल होनेवाली रासायनिक दवाओं पर प्रतिबंध लगाने का गिद्धों के संरक्षण की दिशा में सराहनीय कदम है। द्रौपदी मुर्मु ने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान जैसे संस्थानों से अपील कीकि वे जैवविविधता को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभाएं और आदर्श प्रस्तुत करें। उन्होंने खुशी जताईकि बेटियां भी पशु चिकित्सा के क्षेत्रमें भी आगे आ रही हैं। उन्होंने उपाधि और पदक प्राप्त करनेवाले स्नातकों को बधाई और शुभकामनाएं दीं। राष्ट्रपति ने कहाकि भारतीय संस्कृति 'ईशावास्यम् इदं सर्वम्' के जीवन मूल्य पर आधारित है, जो सभी जीवों में ईश्वर की उपस्थिति को देखती है, हमारे देवताओं और ऋषियों की पशुओं से संवाद करने की मान्यता भी इसी सोच से जुड़ी है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि कोरोना महामारी ने मानवजाति को चेतावनी दी हैकि उपभोग पर आधारित संस्कृति न केवल मानवजाति, बल्कि दूसरे जीवों और पर्यावरण को भी अकल्पनीय नुकसान पहुंचा सकती है। उन्होंने कहाकि आज दुनियाभर में 'वन हेल्‍थ' की अवधारणा को महत्व मिल रहा है, इसमें मनुष्य, पालतू और जंगली जानवर, वनस्पतियां और व्यापक पर्यावरण सभी एकदूसरे पर निर्भर हैं। उन्होंने कहाकि हमें पशु कल्याण के प्रयास करना चाहिएं और प्रमुख पशु चिकित्सा संस्थान के रूपमें आईवीआरआई इस क्षेत्रमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, खासकर जूनोटिक बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण में। राष्ट्रपति ने कहाकि प्रौद्योगिकी में पशु चिकित्सा और देखभाल में भी क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता है, प्रौद्योगिकी के उपयोग से देशभर के पशु चिकित्सालयों को सशक्त बनाया जा सकता है, जीनोम एडिटिंग, भ्रूण स्थानांतरण तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डेटा एनालिटिक्स जैसी तकनीकों का उपयोग इस क्षेत्रमें क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। उन्होंने आईवीआरआई जैसे संस्थानों से पशुओं केलिए स्वदेशी और कम लागत वाले उपचार और पोषण खोजने की अपील की।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि उन्हें उन दवाओं के विकल्प भी तलाशने चाहिएं, जिनके दुष्प्रभाव न केवल पशुओं, बल्कि मनुष्यों और पर्यावरण को भी प्रभावित करते हैं। राष्ट्रपति ने आईवीआरआई के छात्रों की इस बात केलिए प्रशंसा कीकि उन्होंने बेजुबान जानवरों के इलाज और उनके कल्याण को अपना करियर चुना है। उन्होंने छात्रों को सलाह दीकि वे अपने जीवन और करियर में किसी दुविधा की स्थिति में उन जानवरों के बारेमें सोचें, इससे उन्हें सही रास्ता दिखाई देगा। उन्होंने छात्रों से उद्यमी बनने और पशु विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रोंमें स्टार्टअप स्थापित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि इस प्रयास से वे न केवल जरूरतमंदों को रोज़गार दे पाएंगे, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी योगदान दे सकते हैं। दीक्षांत समारोह में केंद्रीय कृषिमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, वैज्ञानिक और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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