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शांति और भव्य का संगम है राष्‍ट्रपति भवन

राष्ट्रपति ने स्‍मृति डाक टिकट जारी किया

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राष्ट्रपति भवन पर डाक टिकट-stamp on rashtrapati bhavan

नई दिल्ली। राष्‍ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने शुक्रवार को राष्‍ट्रपति भवन के दरबार हॉल में राष्‍ट्रपति भवन पर एक स्‍मृति डाक टिकट जारी किया। यह डाक टिकट इस भवन में कार्य शुरू होने की 80वीं सालगिरह को अंकित करता है जब भारत के तत्‍कालीन गवर्नर जनरल लार्ड इर्विन इसमें रहने वाले सबसे पहले व्‍यक्ति बने थे। यह वर्ष नई दिल्‍ली का सौवां स्‍थापना वर्ष है। भारत की राष्‍ट्रपति ने अभी हाल में अपने कार्यकाल के 4 वर्ष पूरे किए हैं। इस वॉयसराय हाउस को 26 जनवरी 1950 को राष्‍ट्रपति भवन का नाम दिया गया था। सन् 1911 में दिल्‍ली दरबार के बाद भारत के तत्‍कालीन वायसराय एवं गवर्नर जनरल लॉर्ड हार्डिंग के तत्‍वाधान में इसकी अवधारणा के साथ वर्ष 1913 में 130 हेक्‍टेयर भूमि में 200,000 वर्ग फुट से अधिक क्षेत्र में 340 कमरों का भवन बनाने के लिए निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ।

गुलाबी बलुआ पत्‍थर एवं धौलपुर पांडु पत्‍थरों का उपयोग, राष्‍ट्रपति भवन का, मुगल एवं राजपुर प्रासादों से संबंध स्‍थापित करता है। राष्‍ट्रपति भवन की सबसे प्रमुख विशेषता बौद्ध गुंबद है जो एक विशाल अग्रपाद पर ऊँचा उठता हुआ सांची के स्‍तूप को नमन करता है। अन्‍य मुगल इमारत की विशेषता छज्‍जों, छतरियों एवं जालियों का उपयोग है। मुगल गार्डन, जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, ताजमहल और श्रीनगर के शालीमार बागों की ज्‍यामितीय संरचना है। इस भवन को बनाने में 7000 लाख ईंटें, 30 लाख घन फीट पत्‍थर लगे हैं। इसमें लोहे का बहुत कम प्रयोग हुआ है। अंग्रेजी के अक्षर एच के आकार में बना राष्‍ट्रपति भवन चार मंजिला है।

राष्‍ट्रपति भवन के अहातों में प्रवेश स्‍थान को चिन्‍हित करने वाली पिटवां लोहे की जाली जैसी ग्रिल अपने आप में कला का नमूना है जो टी आकार के दरबार में प्रवेश कराती है जिसके क्षैतिज भाग अग्रिम दरबार बनाते हैं जहां देश एवं सरकार के आगंतुक प्रमुखों को गार्ड ऑफ आनर की सलामी दी जाती है। टी स्‍टैंड के बाहर निकले हुए भाग के केंद्र में शक्‍तिशाली जयपुर स्‍तंभ खड़ा है। दरबार हाल में प्रवेश द्वार के सामने अशोक का सांड स्‍थित है जिसे रामपुरवा सांड के नाम से भी जाना जाता है जो अशोककालीन है। गुंबद की छत से लटके फानूस के नीचे अवस्‍थित गौतम बुद्ध की प्रतिमा गुप्‍त काल की है।

अशोक हाल पहले बॉलरूम था लेकिन आजकल इसमें शपथ ग्रहण समारोह एवं रक्षा एवं असैनिक प्रतिष्‍ठान समारोहों के प्रमुख कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसकी छत में सुंदर पेंटिंग की गई है जिसके केंद्र में अंडाकार रूप की 9 पीस की कजर चित्रकारी की गई है। स्‍टेट बैंक्‍वेट हाल में पूर्व राष्‍ट्रपतियों के पोट्रेट लगे हैं। इसी हाल में मध्‍ययुगीन हथियारों का संकलन भी दर्शाया गया है। वास्‍तव में राष्‍ट्रपति भवन स्‍थापत्‍य कला का अद्भुत नमूना है और यह सर ए‍डविन लैंडसीर लुटयेंस की गौरवपूर्ण उपलब्‍धि है।

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