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उपराष्ट्रपति का सेना के पराक्रम को नमन!

जयपुर में श्री भैरों सिंह शेखावत स्मृति पुस्तकालय का उद्घाटन

भैरों सिंह शेखावत का राजनीतिक व्यक्तित्व शिक्षाप्रद है-धनखड़

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 16 May 2025 01:39:53 PM

bhairon singh shekhawat's political personality is instructive- dhankhar

जयपुर। भारतीय सेना के पराक्रम से प्रफुल्लित और गौरवांवित उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सेना को नमन करते हुए कहा हैकि भारतीय सेना ने विश्वस्तर पर अपनी वीरता और लक्ष्यभेदी श्रेष्ठता का नया मानदंड स्थापित किया है, जिसमें शांति का संदेश है तो आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस का स्पष्ट उद्देश्य है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि अपनी धरती से ही पहलीबार अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पार जाकर पाकिस्तान में स्थापित जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों के मुख्यालयों पर सटीक प्रहार किया, जिसे दुनिया ने देखा और किसी ने भी इसकी सच्चाई का प्रमाण नहीं मांगा। उन्होंने कहाकि दुनिया में भारत की शक्ति का एक सशक्त संदेश गया है। उन्होंने कहाकि अब और आतंकवाद बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, दुनिया को समझ लेना चाहिएकि आतंकवाद किसी एक देश का नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की समस्या है। उपराष्ट्रपति जयपुर में भैरों सिंह शेखावत स्मृति पुस्तकालय के उद्घाटन कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहाकि भारत ने केवल सैन्य मोर्चे पर ही नहीं, एक बड़ी कूटनीतिक लड़ाई भी जीती है, सिंधु जल संधि को निलंबित किया गया, जबतक पाकिस्तान आतंकवाद खत्म नहीं करता और भारत के दृष्टिकोण से हालात सामान्य नहीं होते, तबतक सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार नहीं होगा। उपराष्ट्रपति ने कहाकि भारत का यह एक ऐसा ऐतिहासिक कदम है, जिसकी पहले कभी कल्पना की गई थी।
राजस्थान की ऐतिहासिक सांस्कृतिक और वीरता की विरासत का स्मरण करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि मैं महाराणा प्रताप और महाराजा सूरजमल की भूमि से उन सभी को नमन करता हूं, जिन्होंने देश की रक्षा करते हुए हमारी पहचानों को जीवंत और सुरक्षित रखा। उन्होंने कहाकि भारत अपनी नई पीढ़ी के सामने पहलीबार मई में ही राजस्थान की धरती पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण करके अपनी ताकत और इच्छाशक्ति का परिचय दे चुका है, उस समय अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री और भैरों सिंह शेखावत राजस्थान के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने कहाकि यह परमाणु परीक्षण हमारे लिए मील का पत्थर था। उपराष्ट्रपति ने कहाकि जब पहलगाम में उकसावे की वारदात हुई, तब दुनिया भारत की ताकत को पहले ही जाने हुई थी, हम अपनी अर्थव्यवस्था में एक बड़ी छलांग लगा चुके थे, आज हम विश्व की चौथी सबसे बड़ी शक्ति हैं और तीसरे स्थान की ओर बढ़ रहे हैं।
जगदीप धनखड़ ने कहाकि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगाकि भारत की पहचान और ताकत को चुनौती दी जा रही है, उन्होंने बिहार की धरती से दुनिया को अपनी ताकत का संदेश दिया और उस पर दृढ़ता से टिके रहे, दुनिया ने देख लियाकि हमारे आकाश का क्या अर्थ है, ब्रह्मोस का क्या अर्थ है, आज यह शक्ति वैश्विक रूपसे स्वीकार कर ली गई है। अपने जीवन के दो पथ प्रदर्शकों को स्मरण करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि मेरे जीवन में दो महान व्यक्तित्वों का विशेष महत्व रहा है-एक भैरों सिंह शेखावत और दूसरे चौधरी देवीलाल का, दोनों का अपनी धरती से गहरा जुड़ाव और जनसामान्य से मजबूत संबंध था, दोनों के सार्वजनिक जीवन निष्कलंक थे, उन्होंने राजनीति में एक महान परंपरा को पोषित किया, मैं उसी वटवृक्ष का एक छोटा सा पत्ता हूं। एक व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि भैरों सिंह शेखावत का दिल और दिमाग़ हमेशा आम आदमी केसाथ चलता था, मैंने एक भावनात्मक चित्र देखा, जिसमें माननीय चंद्रशेखर, नानाजी देशमुख, जयप्रकाश नारायण और भैरों सिंह शेखावत थे और वह उन्हें अंत्योदय की अवधारणा समझा रहे थे, अंत्योदय की शुरुआत उन्होंने ही की थी। जगदीप धनखड़ ने भैरों सिंह शेखावत के संसदीय पारदर्शिता में ऐतिहासिक योगदान की सराहना की, राज्यसभा के सभापति के रूपमें भैरों सिंह शेखावत एक प्रखर व्यक्तित्व थे, जिन्होंने पारदर्शिता में एक नया मानदंड स्थापित किया।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भैरों सिंह शेखावत से जुड़ी अनुकरणीय स्मृतियां जारी रखते हुए कहाकि उन्होंने सांसदों को अपनी संपत्ति की घोषणा करने केलिए बाध्य किया, किसी के भी सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता की यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण शुरुआत थी। उपराष्ट्रपति ने भैरों सिंह शेखावत केलिए यह भी कहाकि उनके गरिमामयी राजनीतिक आचरण और नेतृत्व का दुनिया के किसी भी कोने, देश या प्रदेश में दुश्मन नहीं मिलेगा, उन्होंने राजनीति में यह महत्वपूर्ण बात भी परिभाषित कीकि राजनीति में सदैव कोई किसी का दुश्मन नहीं होता है, यह बात आज के नेतृत्व को, हर राजनीतिक दल को राजनेता को उनसे सीखने की आवश्यकता है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि भैरों सिंह शेखावत ने अभिव्यक्ति, संवाद, वाद विवाद, मंथन और यदि मैं वैदिक भाषा की बात करुं उसमें ‘अनंतवाद’ के उच्चतम मापदंड स्थापित किए, जो किसी भी व्यवस्था विशेष रूपसे लोकतंत्र में अनिवार्य हैं। विपक्ष के सदस्य के रूपमें अपने अनुभव साझा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि मैंने इसे स्वयं देखा है, मैं पांच वर्ष विपक्ष का विधायक था, भैरों सिंह शेखावत का दिल विपक्ष केलिए पसीजता था, विपक्ष के हर सदस्य को यह अनुभव भी होता थाकि मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत हमारे संरक्षक हैं, हम यदि कोई उचित और जायज़ बात रखते तो वह हमेशा सकारात्मक प्रतिक्रिया देते थे।
उपराष्ट्रपति ने भैरों सिंह शेखावत की अद्वितीय और पोषणकारी उपस्थिति को वर्णित करते हुए कहाकि वह वटवृक्ष थे, उन्होंने उस कहावत को गलत सिद्ध किया कि उसकी छाया में कोई नहीं पनपता, लेकिन भैरों सिंह शेखावत ने इस धारणा के विपरीत अनेक नेताओं को पोषित किया और तैयार किया। इस अवसर पर राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ किशनराव बागडे, केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, सांसद घनश्याम तिवाड़ी, राजस्थान के उपमुख्यमंत्री डॉ प्रेमचंद बैरवा, सांसद मदन राठौड़, राजस्थान सरकार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री नरपत सिंह राजवी, श्री भैरों सिंह शेखावत स्मृति संस्थान के संस्थापक सचिव अभिमन्यु सिंह राजवी और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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