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Wednesday 14 May 2025 05:55:10 PM
नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल ने आज भारत सेमीकंडक्टर मिशन के तहत उत्तर प्रदेश में भी सेमीकंडक्टर इकाई की स्थापना को मंजूरी दे दी है। एचसीएल और फॉक्सकॉन इलेक्ट्रॉनिक्स मिलकर यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण या वाईईआईडीए में जेवर हवाई अड्डे केपास यह संयंत्र स्थापित करेंगे। गौरतलब हैकि देश में पहले से ही पांच सेमीकंडक्टर इकाइयां निर्माण के उन्नत चरणों में हैं। इस छठी इकाई केसाथ भारत रणनीतिक रूपसे महत्वपूर्ण सेमीकंडक्टर उद्योग को विकसित करने की दिशामें तेजीसे प्रगति कर रहा है। हार्डवेयर विकसित करने और निर्माण करने का एचसीएल का लंबा अनुभव रहा है। फॉक्सकॉन इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण क्षेत्रमें एक वैश्विक प्रमुख कंपनी है। यह इकाई एचसीएल और फॉक्सकॉन इलेक्ट्रॉनिक्स का एक संयुक्त उद्यम है।
सेमीकंडक्टर संयंत्र मोबाइल फोन, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल, पीसी और डिस्प्ले संबंधी उपकरणों केलिए डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स का निर्माण करेगा। इस संयंत्र को 20000 वेफर्स प्रतिमाह के अनुसार से डिजाइन किया गया है, इसकी डिजाइन आउटपुट क्षमता 36 मिलियन यूनिट प्रतिमाह है। सेमीकंडक्टर उद्योग अब पूरे देशमें विस्तारित हो रहा है। देश के कई राज्यों में विश्वस्तरीय डिजाइन सुविधाएं उपलब्ध हैं। राज्य सरकारें डिजाइन फर्मों को बढ़ावा देने केलिए काफी प्रयास कर रही हैं। देश के 270 शैक्षणिक संस्थानों और 70 स्टार्टअप में छात्र और उद्यमी नए उत्पादों के विकास केलिए विश्वस्तरीय नवीनतम डिजाइन तकनीकों पर काम कर रहे हैं। इन शैक्षणिक संस्थानों में विकसित 20 उत्पादों को एससीएल मोहाली ने टेप आउट (डिजाइन चरण-आवश्यक सत्यापन और मान्यता चरण को पूरा करने की प्रक्रिया) किया है।
जेवर सेमीकंडक्टर इकाई पर अनुमानित निवेश 3,700 करोड़ रुपये है। भारत ने सेमीकंडक्टर क्षेत्रमें अपनी सुविधाएं स्थापित की हुई हैं। एप्लाइड मैटेरियल्स और लैम रिसर्च दो सबसे बड़े उपकरण निर्माता हैं और इन दोनों की अब भारत में उपस्थिति है। मर्क, लिंडे, एयर लिक्विड, आईनॉक्स और कई अन्य गैस और रासायनिक आपूर्तिकर्ता भारत के सेमीकंडक्टर उद्योग के विकास के लिए पूरी तरह तैयार है। भारत में लैपटॉप, मोबाइल फोन, सर्वर, चिकित्सा उपकरण, बिजली इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरण और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के तेजीसे विकास केसाथ सेमीकंडक्टर की मांग बढ़ रही है। आशा की जाती हैकि यह नई इकाई आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को और आगे बढ़ाएगी।