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बहुजन समाज भी ख़ुद के लिए बदले-लक्ष्य

'बदलते भारत में बहुजन समाज की दशा और दिशा' पर चर्चा

'शिक्षा, सामाजिक एकजुटता और विकास समय की जरूरत'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 30 September 2021 02:09:55 PM

bhimcharcha in aashiyana under the 'lakshay ghar-ghar ki or' campaign

लखनऊ। बहुजन समाज के बीच सामाजिक सुधार के उद्देश्यों-उनकी शिक्षा, उनकी बेहतर जीवनशैली और सामाजिक एकजुटता के लिए काफी समय से निष्काम सेवा कर रहे भारतीय समन्वय संगठन 'लक्ष्य' की महिला टीम ने 'लक्ष्य घर-घर की ओर' अभियान के तहत लखनऊ के आशियाना में लक्ष्य कमांडर अनीता गौतम के निवास पर एक भीमचर्चा का आयोजन किया, जिसमें 'बदलते भारत में बहुजन समाज की दशा और दिशा' विषय पर विस्तार से चर्चा की गई और इसमें बहुजन समाज में जन्मे महापुरुषों के योगदान को भी याद किया गया।
लक्ष्य महिला टीम के वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि बदलते भारत में बहुजन समाज को भी बदलना होगा अर्थात हमें भी समय के अनुसार चलना होगा। वक्ताओं का कहना था कि बहुजन समाज विशेषतौर से बेटियों की शिक्षा पर ध्यान दे। उनका कहना था कि जिस प्रकार देश का सर्वसमाज हर क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा में लगा है, उसी प्रकार बहुजन समाज अपने भीतर हीनता की भावना का त्यागकर, कमजोर और एक-दूसरे की सहायता को अपना कर्तव्य समझकर चले, क्योंकि एक तो बहुजन समाज का भविष्य शिक्षा से ही तय होगा और वो भी बेटियों की शिक्षा से ज्यादा सुदृढ़ होगा दूसरी ओर उसे समाज के भीतर की कुरीतियों को त्यागकर संस्कार एवं चरित्र निर्माण पर ध्यान देना होगा, लकीर के फ़क़ीर से मुक्ति पानी होगी और अच्छे बुरे में भेद तय करना होगा।
लक्ष्य की महिला कमांडरों ने कहा कि बहुजन समाज की शिक्षित महिलाओं पर बड़ी जिम्मेदारी है, जिन्हें वक्त निकालकर अपने समाज की बालिकाओं बच्चों और महिलाओं के शिक्षा और सामाजिक सभ्यता के विकास के लिए प्रेरित करना है, अपनी क्षमता के अनुसार उनकी मदद भी करनी है, तभी बहुजन समाज के विकास का यह आंदोलन समाज की आनेवाली पीढ़ी के लिए एक शानदार उत्तरदान बन सकेगा। महिला कमांडरों ने इसबात पर भारी चिंता व्यक्त की कि अपवाद को छोड़कर अभीभी बहुजन शराब, नशा और अंधविश्वास से बाहर नहीं निकल पा रहा है और बहुजन समाज के प्रगतिशील लोगों का केवल अपने ही घर-परिवार पर ध्यान है, जबकि उन्हें अपने समाज के संघर्षशील परिवारों पर भी ध्यान देना चाहिए और इससे बड़ा कोई परोपकार नहीं है।
महिला कमांडरों का कहना था कि अब समय आ गया है कि जब बहुजन समाज औरों की तरह तरक्की और समृद्धि के लिए आत्मनिर्भरता की ओर बढ़े, समाज के लोगों को अपनी क्षमता के अनुसार हिम्मत करके राजनीतिक और सामाजिक आंदोलन में सहभागिता करनी होगी। वक्ताओं का कहना था कि बहुजन समाज की महिलाओं को इन सभी क्षेत्रों में नेतृत्व संभालना होगा, जिससे बहुजन समाज की दशा और रचनात्मक दिशा में परिवर्तन होगा। लक्ष्य की महिला कमांडरों को बदलते भारत में बहुजन समाज की दशा व दिशा विषय पर बहुत महिलाओं बालिकाओं और युवाओं ने सुना और चर्चा को आत्मसात करने का संकल्प लिया। भीम चर्चा में लक्ष्य कमांडर अनीता गौतम, चेतना राव, विजय लक्ष्मी गौतम, एडवोकेट लक्ष्मी गौतम, ममता प्रकाश, स्मिता चंद्रा, सुजाता सिंह, नीलम चौधरी, नीलम भारती, सरिता सत्संगी एवं अमन गौतम ने मुख्य रूपसे हिस्सा लिया।

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