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टाटा शिक्षा ट्रस्ट को कोर्ट से मिली बड़ी राहत

'आयकर विभाग न्यायसंगत दृष्टिकोण से करदाता से व्यवहार करे'

'न्यायिक फोरम में निरर्थक मुकद्मे गंभीर मुकद्मों की राह में रोड़े'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 25 July 2020 06:00:08 PM

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नई दिल्ली। आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) की खंडपीठ ने टाटा शिक्षा और विकास ट्रस्ट को बड़ी राहत देते हुए आयुक्त आयकर (सीआईटी) के उस अपील आदेश के खिलाफ ट्रस्ट की अपील पर उसके पक्ष में फैसला सुनाया है, जिसमें कर विभाग ने टाटा शिक्षा और विकास ट्रस्ट पर 220 करोड़ रुपये से अधिक राशि की देनदारी थोप दी थी। खंडपीठ में आईटीएटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति पीपी भट्ट भी शामिल थे। आईटीएटी ने इसके साथ ही बिना किसी न्यूनतम भुगतान के इस मांग के मामले पर भी रोक लगा दी है। यह मामला भारतीय विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति प्रदान करने हेतु अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय में एक एंडोमेंट फंड बनाने के लिए ट्रस्ट द्वारा खर्च की गई धनराशि और ‘टाटा हॉल’ नामक एक कार्यकारी भवन के निर्माण के लिए हार्वर्ड बिजनेस स्कूल को दी गई वित्तीय सहायता के आकलन वर्ष 2011-12 और 2012-13 से संबंधित है। इसने वर्ष 2011-12 में 197.79 करोड़ रुपये और वर्ष 2012-13 में 25.37 करोड़ रुपये दान किए थे।
टाटा शिक्षा और विकास ट्रस्ट से यह विवाद तब शुरू हुआ, जब वर्ष 2018 में लोकसभा की लोक लेखा समिति (पीएसी) ने इस मामले की जांच करने की जरूरत बताई थी, क्‍योंकि उसका यह मानना था कि प्रत्यक्ष कर निकाय द्वारा दी गई छूट आयकर अधिनियम का उल्लंघन है। इस मामले का समापन करते हुए आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) ने कहा है कि अपील के अन्य सभी आधार ‘व्‍यर्थ, अव्‍यावहारिक और निष्‍फल’ होंगे। आईटीएटी ने कहा कि हमने इस मामले में फैसला कर निर्धारिती के पक्ष में सुनाया है, इसलिए अपील के इस आधार को अनुमति दे दी है, हम कर निर्धारिती की याचिका को बरकरार रखते हैं और छूट के दावे की नामंजूरी को निरस्‍त करते हैं। खंडपीठ ने कहा कि आयकर विभाग को न्यायसंगत दृष्टिकोण से करदाता से व्यवहार करना चाहिए।
अपीलीय न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि यह पूरी तरह से परिहार्य या निरर्थक मुकद्मा है, जो न केवल न्यायिक फोरम के समक्ष विचाराधीन गंभीर मुकद्मों की राह में रोड़े अटकाता है, बल्कि परोपकारी निकायों जैसे कि हमारे समक्ष मौजूद कर निर्धारिती के दुर्लभ संसाधनों को उन क्षेत्रों की तरफ मोड़ देता है, जो समग्र समाज का कुछ भी भला नहीं करते हैं। न्यायाधिकरण ने उम्मीद जताई कि भारत सरकार वृहद स्‍तर पर इस तरह की दूरदर्शी नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए जो सराहनीय काम कर रही है, उसपर फील्‍ड स्तर पर उत्‍पन्‍न होने वाली इस तरह की छिटपुट परिस्थितियों के कारण कोई आंच नहीं आने दी जाएगी, जिसे संबंधित अधिकारियों को संवेदनशील बनाकर कम से कम किया जाना चाहिए। न्यायाधिकरण ने यह राय व्‍यक्‍त कीकि कर प्रशासन के हर स्तर पर न्यायसंगत एवं समुचित दृष्टिकोण अपनाकर करदाता के अनुकूल माहौल बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए।

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