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पूर्वोत्तर में सीमाई अवसंरचना जरूरी-रक्षामंत्री

पूर्वोत्तर के हितों की रक्षा के लिए भारत को आरसीईपी नामंजूर

पूर्वोत्तर सीमा क्षेत्र विकास के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए गए

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 16 November 2019 04:29:15 PM

rajnath singh inaugurating sisseri river bridge connecting lower dibang valley with east siang

ईटानगर। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा अवसंरचना को उन्नत बनाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर तथा पूरे देश की सुरक्षा के लिए अवसंरचना को उन्नत बनाना बहुत आवश्यक है। रक्षामंत्री ने अरुणाचल प्रदेश में लोअर दिबांग घाटी में सिसेरी नदी पुल का उद्घाटन करते हुए कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सरकार की पहली प्राथमिकता है। यह पुल 200 मीटर लंबा है, जो जोनाई-पासीघाट-राणाघाट-रोइंग सड़क के बीच बना हुआ है, यह दिबांग घाटी और सियांग को जोड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि अरुणाचल प्रदेश के लोग बहुत पहले से इस पुल की मांग कर रहे थे। यह पुल बन जाने से पासीघाट से रोइंग जाने के सफर में लगभग पांच घंटे की कमी आएगी। रक्षामंत्री ने कहा कि सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों के आसपास रहने वालों की सुरक्षा के मद्देनज़र सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम शुरू किया है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने राज्य में कई अवसंरचना परियोजनाएं शुरु की हुई हैं, इनमें भालुकपोंग-टेंगा-तवांग के बीच प्रस्तावित रेलवे लाइन, पासीघाट हवाईअड्डा शुरू करना, होलोंगी हवाईअड्डे और सेला दर्रे पर सुरंग निर्माण की स्वीकृति आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में सड़क, रेल, हवाईमार्ग, जलमार्ग और डिजिटल नेटवर्क की मजबूत श्रृंखला शुरू करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी से बाहर रहने का निर्णय किया है, ताकि देश के आर्थिक हितों और खासतौर से पूर्वोत्तर के हितों की रक्षा की जा सके। उन्होंने कहा कि बैंकॉक में आसियान शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने एक अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय किया है कि भारत आरसीईपी का हिस्सा नहीं होगा, यदि भारत आरसीईपी में शामिल हो जाता तो किसानों, मजदूरों, कारखानों और उद्योगों पर बहुत प्रभाव पड़ता, यह एक बड़ा निर्णय है।
रक्षामंत्री ने कहा कि सरकार की एक्ट ईस्ट नीति से पूर्वोत्तर और खासतौर से अरूणाचल प्रदेश में तेज अवसंरचना विकास के नए द्वार खुलेंगे। उन्होंने कहा कि सिसेरी नदी पर बने पुल से लोअर दिबांग घाटी और पूर्वी सियांग में विकास को मदद मिलेगी तथा अरूणाचल प्रदेश में मजबूत अवसंरचना से भारत और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बीच संपर्क बढ़ेगा। उल्लेखनीय है कि सिसेरी नदी पर बने पुल से धोला-सादिया पुल के जरिए तिनसुकिया से संपर्क हो जाएगा। इस पुल को सीमा सड़क संगठन की परियोजना ब्रह्मांक के तहत बनाया गया है। उन्होंने देशभर के सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों और पुलों के रखरखाव व निर्माण तथा सैन्य बलों की सामरिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बीआरओ की प्रशंसा की। राज्य में बीआरओ की चार परियोजनाएं चल रही हैं, जिनमें वर्तक, अरूणांक, ब्रह्मांक और उद्यांक शामिल हैं। इस अवसर पर अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, उपमुख्यमंत्री चाउना मीन, बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह और अरुणाचल पूर्व से सांसद तापिर गाओ भी उपस्थित थे।

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