

पाकिस्तान भारत के लिए ऐसा घाव है जो न भरता है, न सूखता है, बल्कि जब भी उसके भरने और सूखने की थोड़ी उम्मीद जगती है, वह कोई ऐसा घातक प्रहार कर जाता है कि वह पुनः रिसने लगता है। इतिहास को हम न पलट सकते हैं, न इसे झुंठला सकते हैं। हां, अगर दूरदर्शिता हो तो इतिहास की गलतियों से सबक लेकर ऐसे कदम जरुर उठाए जा सकते हैं।...

वैसे तो अंग्रेजों और दूसरे विदेशी आक्रमणकारियों ने हिंदुस्तान का जैसे हो सका शोषण किया, परंतु अंग्रेजों ने यहां बहुत अच्छे काम भी किए थे, जिनमें एक सराय एक्ट भी बनाया था। समाचार आया है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने चुपके से सराय एक्ट को भी दफना दिया है और किसी को इसकी कानोकान ख़बर भी न लगी। ना जाने कैसे इस...

प्रधानमंत्री ने 2 जी मामले में भी कहा था कि वे उसके सामने गवाही देने को तैयार हैं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। कांग्रेस एवं सरकार ने इसे अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया। इस समय भी जब प्रधानमंत्री कैग और विपक्ष दोनों को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं तो इसका अर्थ राजनीतिक टकराव को कम करने की मानसिकता नहीं है।इसमें प्रधानमंत्री का यह...

सांप्रदायिकता चाहे कैसी भी हो वह अंततः राष्ट्रविरोधी ही होती है। वह एक धर्म के अनुयायियों को दूसरे धर्म के अनुयायियों के विरुद्ध खड़ा करने और राष्ट्र की एकता की जड़ों को खोदने का काम करती है। धार्मिक कट्टरवाद पर अधारित हिंसा को बढ़ाने के लिए सांप्रदायिक सोच ही जिम्मेदार है। भारतीय समाज और राजनीति में सांप्रदायिकता की...

प्रणब दा 1986-87 के जैल सिंह की तरह या 1999 के डॉ केआर नारायणन की तरह की भूमिका से बचेंगे, किंतु वे एकदम प्रतिभा देवी सिंह पाटिल की तरह शतप्रतिशत मुहर की भूमिका निभाएंगे, ऐसा नहीं मानना चाहिए। डॉ शंकर दयाल शर्मा के बाद प्रणब के रुप में पहली बार शीर्ष राजनीति की मुख्यधारा का कोई व्यक्ति राष्ट्रपति बना है। प्रणब ने 1989 से आरंभ गठबंधन...

बराक ओबामा ने न जाने कितनी बार कहा है कि भारत जैसे उभरते हुए देश को अलग रखकर आप किसी वैश्विक समस्या का समाधान नहीं कर सकते। बड़ी विडंबना है कि यही बात हमारे यहां कही जाए तो वह दबाव नहीं और अमेरिका का राष्ट्रपति कहे तो दबाव हो गया! पर इसे ओबामा का दबाव मानने या सरकार को गलत कदम उठाने के लिए मजबूर करने वाला प्रयास नहीं कह सकते।...

उच्चतम न्यायालय का राष्ट्र भाषा हिंदी में कार्य करना अपने आप में गौरव और हिंदी को प्रोत्साहन का विषय है। राजभाषा पर संसदीय समिति ने 28 नवंबर 1958 को संस्तुति की थी कि उच्चतम न्यायालय में कार्यवाहियों की भाषा हिंदी होनी चाहिए। इस संस्तुति को पर्याप्त समय व्यतीत हो गया है, किंतु इस दिशा में आगे कोई सार्थक प्रगति नहीं हुई है।...

विफल और अराजक सत्ता सच को कभी भी स्वीकार करने के लिए तैयार ही नहीं होती है। इस कसौटी पर मनमोहन सिंह और कांग्रेस अपनी नाकामियाबियों को स्वीकार करेगी तो क्यों और कैसे? झूठ, फेरब और भ्रष्टाचार के सहारे मनमोहन सिंह की सत्ता चल रही है। मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल का कौन सा मंत्री अपवाद है, जिस पर आरोप नहीं हैं?मनमोहन सिंह के लिए...

उच्चतम न्यायालय के लिखित अवलोकन राष्ट्रपति चुनाव में भी समान शक्ति के साथ लागू होंगे। इसके अनुरूप, निर्वाचन आयोग के विचार में, राष्ट्रपति चुनाव में अपनी इच्छा के अनुरूप वोट देना या नहीं देना भारत के संविधान की 10वीं अनुसूची के अंतर्गत अयोग्यता के दायरे में नहीं आएगा और राष्ट्रपति चुनाव में मतदाता अपनी स्वतंत्र...

पेस के हवाले से यह कयास लगाए जा रहे थे कि वे विष्णुवर्द्धन के साथ जोड़ी बनाने से इनकार कर देंगे, लेकिन देश हित में अपने करिअर के 22 साल समर्पित कर कालजयी सफलताएं अर्जित करने वाले पेस ने विष्णु जैसे जूनियर खिलाड़ी के साथ जोड़ी बनाने के अखिल भारतीय टेनिस संघ के निर्णय को शिरोधार्य कर फिर उस बड़प्पन और महानता का परिचय दिया है, जो...

जी-20 सम्मेलन में काले धन के मुद्दे पर क्या राय थी और क्या यह मुद्दा अप्रासंगिक हो चुका है या फिर इसमें कोई सुधार हुआ है? प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, यह समस्या बरकरार है, इसके समाधान के लिए कोई जादू की छड़ी नहीं है, यह बेहद धीमी प्रक्रिया होगी। वित्तीय प्रबंधन के मामले में भी कुछ समस्याएं...

पीए संगमा ने आदिवासी कार्ड खेलते हुए कहा है कि मैं देश की आत्मा की आवाज़ का आह्वान करता हूं, राष्ट्रपति चुनाव में उनकी जीत दस करोड़ से ज्यादा आदिवासियों के लिए भी बड़ा संदेश होगी, इससे नक्सलवाद और उग्रवाद जैसी आदिवासियों की समस्याओं से निपटने में भी मदद मिलेगी, यह पूर्वोत्तर की गरिमा का भी सवाल है न कि पार्टी से जुड़ाव...

भारत के चौदहवें राष्ट्रपति का चुनाव 19 जुलाई को होना तय पाया गया है। देश में जब से गठबंधन सरकारों का युग आया है, यह चुनाव भी बड़ी प्रतिष्ठा एवं उत्सुकता का विषय बन गया है। राष्ट्रपति चुनाव विविध संवैधानिक प्रक्रियाओं से गुजरता है। देश के नागरिकों, युवाओं, विद्यार्थियों के जानने के लिए यहां प्रस्तुत हैं, इससे जुड़ी महत्वपूर्ण...

संसद में पारित यौन अपराध अधिनियम 2012 में बच्चे को परिभाषित किया गया है, बच्चों से संबंधित अपराध, कानून में स्पष्ट रूप से पहली बार परिभाषित किये गये हैं, इस अधिनियम के अंतर्गत कठोर दंड का प्रावधान है। इस कानून का एक कमजोर पक्ष यह है कि इसमें मीडिया को भी पाबंद किया गया है, जिसमें अदालत की अनुमति के बिना बच्चे की पहचान का...

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आइएलओ) ने मई दिवस पर दुनियाभर में रोज़गार संकट पैदा होने की चेतावनी दी है। उसका कहना है कि ग्लोबल आर्थिक मंदी के बाद कई देश आर्थिक विकास की पटरी पर तो लौट आए, मगर नौकरियों की स्थिति में कोई भी सुधार नहीं आया है। आशा की जा रही थी कि आर्थिक मंदी की वापसी के बाद रोज़गार के अवसरों का सृजन होगा, लेकिन...