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स्‍कूलों में मध्‍याह्न भोजन की उपग्रह से निगरानी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 19 June 2013 07:30:01 AM

mid day meal

नई दिल्‍ली। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय वास्‍तविक समय के आधार पर मध्‍याह्न भोजन योजना की निगरानी के लिए एक अत्‍याधुनिक तंत्र की स्‍थापना करेगा। बारह लाख से अधिक स्‍कूलों में पढ़ने वाले साढ़े दस करोड़ से भी अधिक स्‍कूली बच्‍चों को इस योजना में शामिल किया गया है और इसकी निगरानी अत्‍याधुनिक संचार प्रणाली-इंटर वॉयस रिस्‍पांस प्रणाली (आईवीआरएस) यानी एक तरह से उपग्रह की सहायता से प्रतिदिन की जाएगी। प्रत्‍येक स्‍कूल में भोजन प्राप्‍त करने वाले कुल बच्‍चों की संख्‍या से संबंधित जानकारी इस प्रणाली में उपलब्‍ध होगी। इस संबंध में यदि कोई त्रृटि होती है तो उसका समाधान जिला प्रशासन के माध्‍यम से किया जाएगा।
समुदाय के प्रतिनिधि सहित कोई भी हितधारक भोजन की गुणवत्‍ता के मामले में शिकायत दर्ज करा सकता है। यह प्रणाली क्‍लाउड टेलीफोनिक के जरिए इंटर वॉयस रिस्‍पांस प्रणाली को वेब पोर्टल से जोड़ेगी। वेबसाइट पर संबंधित जानकारियों को उपलब्‍ध कराना स्‍कूल के प्रधान अध्‍यापक की जिम्‍मेदारी होगी। कैलोरी मानदंडों के लिए सरकार ने न्‍यूट्रिशन फांउडेशन ऑफ इंडिया के निदेशक डॉ प्रेमा रामा चंद की अध्‍यक्षता में एक समिति का भी गठन किया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय इस योजना से संबंधित निगरानी प्रणाली को और मजबूत करने का प्रयास कर रही है।
मध्‍याह्न भोजन योजना सबसे बड़ा स्‍कूल पोषण कार्यक्रम है। इसका उद्देश्‍य स्‍कूलों में भागीदारी को बढ़ावा देने के साथ-साथ कक्षा में भूख को समाप्‍त करना है। आवश्‍यक कैलोरी और उपलब्‍ध कैलोरी के बीच का अंतर बच्‍चों में स्‍कूल से पूर्व और स्‍कूलों में 450 से बढ़कर 700 हो गया है। उपलब्‍ध सूचनाओं से यह पता चलता है कि इस योजना के जरिए कक्षा में पढ़ने वाले बच्‍चों को नियमित रूप से आवश्‍यक भोजना उपलब्‍ध कराकर उनकी भूख की समस्‍या को दूर करने में मदद मिली है।
यह योजना सहायता प्राप्‍त सर‍कारी स्‍कूलों, स्‍थानीय निकायों के स्‍कूलों एवं राष्‍ट्रीय बाल श्रम परियोजना से जुड़े स्‍कूलों में चलाई जा रही है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत शामिल मदरसों/मकतबों को भी इस योजना के दायरे में लाया गया है। बारहवीं पंचवर्षीय योजना के तहत इसमें 54000 से भी अधिक निजी एवं गैर सहायता प्राप्‍त स्‍कूलों में पढ़ने वाले 1 करोड़ 75 लाख अतिरिक्‍त बच्‍चों को शामिल किये जाने का भी प्रस्‍ताव है।

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